भारत नारी शक्ति का सुनहरा इतिहास है। इस इतिहास को बनाने में हमारी भारतीय नारियों ने अपने साहस और शौर्य का परिचय दिया है।
3 जनवरी 1831 में महाराष्ट्र में जन्मी सावित्रीबाई फुले एक ऐसी साहसी नारी हुई।
जिसने अपने कर्मों की रेखा से भारत की नारियों का भाग्य लिखा।
सावित्रीबाई फुले ने नारी शिक्षा के लिए समाज से संघर्ष किया। अंततः वह इस संघर्ष में सफल हुई और आज हर वर्ष 3 जनवरी को उनकी जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। उनकी जयंती पर अगर आपको भाषण देना हो तो यह भाषण आप बोल सकते हैं।
सावित्रीबाई फुले जयंती संबोधन
जरूरी नहीं कि हर समय
जुबान पर भगवान का नाम आए
वह वक्त भी भक्ति का होता है
जब इंसान इंसान के काम आए
सबसे पहले बालिका शिक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाली 18 वीं सदी की महान नारी सावित्रीबाई फुले के जन्मदिन की आपको हार्दिक शुभकामनाएं।
इस अवसर पर उपस्थित माननीय मुख्य अतिथि महोदय, आदरणीय बुजुर्गों, माता बहनों और नौजवान साथियों का स्वागत करता हूं।
भारतभूमि हमेशा महान आत्माओं का वास रही है। समय-समय पर समाज के उद्धार के लिए ऐसी विभूतियों ने जन्म लिया। जिन्होंने जन्म लेकर समाज को महानता का रास्ता दिया।
1831 में एक ऐसी महान स्त्री ने जन्म लिया, जिसका नाम सावित्रीबाई फुले के नाम से जाना जाता है। इस नाम को शायद कोई न जानता। मगर सावित्रीबाई फुले ने बालिकाओं की शिक्षा के लिए एक वीरांगना की तरह समाज से लोहा लिया। और अपने उद्देश्य में सफल हुई और भारत में स्त्री शिक्षा के द्वार खोलें।
स्वाभिमान और साहस से जीओ
इनके बिना जीवन मौत के समान है
धरती पर आए हो तो इंसानियत सीखो
इंसानियत ही इंसान की पहचान है
अपने पति महात्मा ज्योतिबा फुले से प्रेरणा पाकर सावित्रीबाई फुले ने अपने स्वाभिमान और साहस के बल पर रूढ़िवादी समाज का मुंहतोड़ जवाब दिया।
समाज की रूढ़ियों और बेड़ियों को तोड़ने के लिए जिगर में वीरता और फौलाद की जरूरत होती है। धारणाओं और अंधविश्वासों में जकड़े हुए समाज को महान बदलाव कभी रास नहीं आते।
आज से लगभग 200 वर्ष पहले जहां बालिका शिक्षा को पाप माना जाता था। हालांकि उस समय स्त्री दमित थी। मगर समाज के इस अंधविश्वास को धाराशाई करने वाली एक महिला थी।
कभी दासी तो कभी रानी बन गई
कहीं समर्पण कहीं मर्दानी बन गई
हर क़िरदार निभाने में कुशल है स्त्री
जो दुनियां में घर घर की कहानी बन गई
सावित्रीबाई फुले ने अपने कर्मो से पूरे विश्व को भारतीय नारी की शक्ति और स्वाभिमान से परिचित करवाया।
आज इस अवसर पर मैं इतना ही कहूंगा की बहन बेटियों को शिक्षित करने के लिए प्रेरित हों। सावित्रीबाई फुले ने कहा है कि “शिक्षा ही स्त्री का गहना है।”
समाज में कुछ घटनाएं देखकर मेरे को बड़ी हैरानी होती है। कुछ लोग बेटियों की शादी में लाखों रुपए खर्च कर देते हैं मगर उनको शिक्षा दीक्षा के लिए खर्चा तो दूर आजादी तक नहीं देते।
आज भी अनपढ़ता के कारण नारी पर अत्याचार हो रहे हैं। इसलिए मैं तो कहूंगा की बहन बेटियों को शिक्षित करके स्वावलंबी बनाएं ताकि वह समाज में स्वाभिमान से जी सकें।
सावित्रीबाई फुले का जन्मदिन मनाने का सही अर्थ यही होगा कि हम उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाएं।
मुझे आशा है हम सभी अपने महापुरुषों के विचारों पर मनन करके अपने जीवन में अपनाएंगे और मानवता के लिए कार्य करेंगे।
इन्हीं शब्दों के साथ एक बार पुनः आपको सावित्रीबाई फुले जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।