12 February Sant Ravidas Jayanti speech

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इस बार 2025 में 12 फरवरी को संत रविदास जयंती मनाई जाएगी। भारत भूमि संतों की धरती रही है।भूमि पर ऐसे संत हुए जिन्होंने अपने कर्मों और दिव्य वाणी से पूरे विश्व में भारत की पहचान बनाई। संत रविदास ध्रुव तारे की तरह माने जाते हैं। जिन्होंने पाखंड और आडंबरों का विरोध किया। और कहा कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। यानी इंसान के हृदय में पवित्रता होनी चाहिए। संत रविदास जी के वचनों से प्रभावित ज्योतिबा फुले और डॉ भीमराव अंबेडकर ने संत रविदास की वाणी पर चलने का आह्वान किया।
संत रविदास का जन्मदिन भारत में कुछ स्थानों पर बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। अगर आपको उनकी जयंती पर भाषण देना हो या उनके विचार बोलना हो या मंच संचालन करना हो तो आप Swami Ji YouTube channel पर विजिट कर सकते हैं। इसके साथ हमारे इस वेबसाइट पर भी आपको भाषण मिलेंगे। यह भाषण और उनके विचार आप पढ़ सकते हैं।

संत रविदास‌ जयंती शायरी सहित भाषण

जीवन का आनंद स्वाधीनता और साहस में है
ईश्वर भक्ति का रस आनंद के एहसास में है
परम संत रविदास जी के वचनों को अपनाएं
इनकी वाणी की गूंज पूरे विश्व के आकाश में है

सर्वप्रथम युग बोधक,युग प्रवर्तक, कर्मयोगी, मानव समाज का उत्थान करने वाले परमसंत रविदास जी महाराज के चरणों में प्रणाम करता हुं। सभा में उपस्थित सभी माननीय सज्जनों का अभिवादन करता हुं। आज का दिन हमारे एक गौरवशाली दिवस है। जब भी हम किसी महान संत की प्रेरणा में एकत्रित होते हैं तो वह दिन हमारे लिए पर्व बन जाता है। क्योंकि किसी भी समाज का गौरव उसके पीर पैगंबर और महापुरुषों से होता है। आपसी स्नेह सामंजस्य और प्रेम से से ही समाज में नवचेतना जागृत होती है।

आज परम संत रविदास के वचनों को जीवन में अपनाने के संकल्प का अवसर है। असल में जीवन का ज्ञान तभी होता है जब हम अपने महपुरुषों की प्रेरणा पर चलते हैं। रविदास महाराज ने स्वयं मूर्ति पूजा का खंडन किया। अपनी तेजस्वी वाणी से आडंबरों और कुरीतियों पर प्रचंड प्रहार किया। इसलिए परम संत रविदास जी के जीवन का अनुकरण करते हुए उनके विचारों को जीवन में अपनाना जरूरी है। हम ऐसे धर्म का खंडन करें जिसमें मानव को जातियों में बांटा जाता है। हमारे किस काम के वो देव स्थल जहां द्वैत भाव की प्रबलता हो।

खोटे सिक्कों के कभी दाम नहीं आते
नीम के पेड़ पर कभी आम नहीं आते
जिस मंदिर कि नींव में भर दी गई है लाशें
उस मंदिर में दर्शन देने कभी राम नहीं आते

रविदास जी ने कहा है

ब्राह्मण मत पुजिये जो होवे गुणहीन
पुजिये चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीण

बेशक हम कितने भी वंचित, दीन, गरीब हों मगर ऐसे विद्वानों के आगे कभी ना झुकें जिसमें कोरे तथ्यों का ज्ञान तो है मगर इन्सानियत, समता का भाव नहीं। रजवाड़ों के घर से होते हुए हुए भी मीरा ने संत रविदास जी को अपना पैगम्बर बनाया। ये उनके आध्यात्मिक ज्ञान की प्रकाष्ठा थी। भारतीय संविधान के महानायक बाबासाहेब अंबेडकर ने भी कहा था की” मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है।” बाबा साहेब का ये अमूल्य विचार महाराज रविदास, गौतम बुद्ध,महात्मा ज्योतिबा फुले जैसे महापुरुषों के विचारों का ही प्रतिबिंब है।

आज हमें अपने महापुरुषों से प्रेरित होकर जागृत होने की जरूरत है। आओ हम अपनी आत्मिक योग्यता को पहचान कर एक लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करके समाज के लिए महान प्रेरणा बनें। इन्हीं शब्दों के साथ एक बार पुनः आप सभी को परम संत रविदास जी की जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।

भक्ति में शक्ति बंधु
शक्ति का एहसास है
ऊंच नीच का भेद मिटाया
वो परम संत रविदास है

बोलो रविदास महाराज की जय।
धन्यवाद

संत रविदास जी के महान विचार शायरी सहित बोले

रविदास जन्म के कारने
होत न कोउ नीच
नर कुं नीच करि डारि है
ओछे करम की कीच !!

कोई भी इन्सान जन्म लेने से छोटा या बड़ा , उंच या नीच नहीं होता है ! इन्सान अपने कर्मो के कारण ही छोटा या बड़ा बनता है। इसलिए हमेशा शुभ कर्म करें

व्यर्थ है धरती पर जात पात का भेद
इंसान की जाति उसका ईमान है
वही वास्तविक ज्ञानी है दुनियां में
जिसका लक्ष्य मानव का उत्थान है

मन ही पूजा मन ही धुप
मन ही सेऊँ सहज स्वरूप

एक पवित्र मन में ही ईश्वर का वास होता है। यदि इस मन की किसी के प्रति कोई भेद – भाव , लालच या द्वेष की भावना नहीं है तो ऐसा मन भगवान का मंदिर है।ऐसे मन में ही ईश्वर निवास करते है।

ना धूप,ना दीप,ना उपवास करते हैं
ना माला,ना पूजा,ना पाठ करते हैं
जिसमें भेद भाव,लालच,नफ़रत ना हो
ऐसे पावन मन में प्रभु निवास करते है

एक काम पर ध्यान केंद्रित करने से सभी काम सध जाते है।यदि हम मन की अस्थिर स्थिति में एक साथ कई लक्ष्य साधने की कोशिश करते है तो उनमें हमें असफलता ही मिलती है।यदि किसी पेड़ की पत्ते, तने और टहनी को सींचा जाये और उसकी जड़ को सूखा छोड़ दिया जाए तो वह पेड़ कभी फल नहीं देता।

जिस पेड़ की जड़ सुखी रहे
उस पेड़ पर कभी फल नहीं होता
एक साथ सब कामों को करने वाला
अपने लक्ष्य में कभी सफल नहीं होता


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