26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ। इसी दिन हम पूर्ण रूप से संप्रभु बने। देश के हर नागरिक को देश के मुखिया को चुनने का अधिकार मिला। भारत देश लोकतंत्रात्मक गणराज्य बना। इसी उपलक्ष्य में 26 जनवरी के दिन गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। इस बार 76वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। अगर आपको भाषण देना हो तो आगे लिखे हुए भाषण आप बोल सकते हैं।
गणतंत्र दिवस हिंदू मुस्लिम एकता भाषण
हिंदू की नहीं ये मुसलमान की नहीं है
है हिंद जिसका नाम ये शहीदों की ज़मी है
सबसे पहले आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर उपस्थित सभी सुनने वालों का स्वागत करता हूं।
आज पूरे भारतवर्ष में 76वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। वीर भगत सिंह, अशफ़ाकउल्ला खान, हजरत बेगम, रानी लक्ष्मीबाई जैसे वीर वीरांगनाओं ने देश को आजादी दिलवाई। इसके बाद 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ। हम अपने वीर शहीदों और संविधान निर्माताओं को हमेशा याद रखें। आपसी भाईचारे से रहें।
जैसा कि आप जानते हैं कि हम हिन्दू मुस्लिम भाई मिलकर हर राष्ट्रीय दिवस पर तिरंगा फहराते हैं। इसके पीछे यही कारण है कि हमारा आपस में भाईचारा और सद्भावना बनी रहे। भारत की आजादी में हिंदू ,मुस्लिम और सिख इन तीनों कौम के शूरवीरों ने अपना बलिदान दिया है।
दीवाली में अली बसे
राम बसे रमजान
ऐसे ही उज्ज्वल रहे
मेरा प्यारा हिंदुस्तान
हम समाज में रहते हैं और समाज में आपसी मुहब्बत और मिलजुलकर रहकर ही हम सफल जिंदगी जी सकते हैं।
इसके साथ-साथ में यह कहूंगा कि हम अपनी नई पीढ़ी को तहजीब सिखाएं। इसके लिए पहले हम खुद भी अपने आप को एक अच्छा इंसान बनाएं। इंसानियत के रास्ते पर चलना ही हमारा मज़हब है। हमारे पीर पैगंबरों ने हमें यही पाठ पढ़ाया है।
दुनिया के सब पीर पैगंबर
यही संदेश सुनाते हैं
प्रेम से मजलिस सजती है
नफरत से मरघट बनते हैं
गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस, हमारे लिए ये राष्ट्रीय दिवस शुभ संकल्प के अवसर होते हैं। मैं आपसे यही कहूंगा कि बस इसी तरह से हम आपस में मिलकर रहें। आपस में सुख दुख में एक दूसरे के काम आए।छोटी मोटी समस्या को बड़ी बनाने की बजाय बैठकर प्रेमपूर्वक सुलझाने की कोशिश करें।
तमन्ना है जहां सारा ये हिंदुस्तान हो जाए
दुआ करता हुँ हर एक आदमी इंसान हो जाए
मगर यह बात सच होगी तभी जाकर कहीं
जब प्रेम ही गीता प्रेम कुरान हो जाए
ये भी सच है की कोई भी दैविक शक्ति, उपासना पद्धति या पीर पैगम्बर हमें भेदभाव और कट्टरता नहीं सिखाता। हमारे उद्देश्य, आस्था अलग अलग हो सकती है ।मगर मंजिल एक ही है। वह है मानवता की आराधना। इंसानियत का पालन ही हमारे संविधान निर्माताओं का सपना था।
इसलिए हम हमेशा आपस में प्रेम और भाईचारे से रहने का संकल्प लें। इन्हीं शब्दों के साथ एक बार पुनः आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी का आभार व्यक्त करता हूं जो आप सभी इस तिरंगा कार्यक्रम में शामिल हुए। हमारा आपसी प्रेम ही सही मायने में सच्ची देशभक्ति है। धन्यवाद
गणतंत्र दिवस संविधान पर भाषण
विविधता में एकता की निराली शान है
यहां हर जाति धर्म का सम्मान है
राष्ट्र की एकता और व्यक्ति की गरिमा
भारत के गणतंत्र की यही पहचान है
सबसे पहले आप सभी को 76वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। गणतंत्र दिवस के पावन पर्व पर उपस्थित सभी सुनने वालों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। आजादी के बाद देश के सामने बहुत बड़ी चुनौती थी। विधि व्यवस्था के बिना स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं होता। देश को पूर्ण रूप से संप्रभु बनाने के लिए हमारे महापुरूषों ने भारतीय संविधान लिखा और 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। देश का हर नागरिक संप्रभु बना और 26 जनवरी का दिन पूर्ण स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
अपने गणतंत्र के संस्थापकों के उपकार को हम हमेशा याद रखें और उनका पथ प्रदर्शन करते हुए देश की व्यवस्था में अपना योगदान दें।
चिंतन करो मनन करो
नव भावना के कमल दो
नूतन व्यवस्था दो ना दो
तुम दुर्व्यवस्था बदल दो
भारतीय संविधान में हमें विचार ,अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,अवसर की समता और राजनीतिक अधिकार दिए गए। हम अपनी इन स्वतंत्रताओं और अधिकारों का सदुपयोग करें। अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों का पालन करें। यही हमारे गणतंत्र के संस्थापकों का सपना था की हर भारतवासी देश की कानून व्यवस्था को बनाए रखने में ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाएं।
मगर एक बात दुख के साथ कहनी पड़ रही है कि आज हम अधिकारों के लिए तो मुख्य मार्गों तक को रोककर खड़े हो जाते हैं। अपने हित के लिए सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान तक करते हैं।आम जनता को नुकसान पहुंचा देते हैं। मगर जब देश के प्रति कर्तव्य को निभाने की बात आए तो हम अपनी जिम्मेंदारियां शासन प्रशासन पर डाल देते हैं।
गरीब का शोषण करके जिनके घर आबाद रहे हैं
वही लोग मजदूरों के हितों का राग आलाप रहे हैं
अनूठी फितरत है मंजिल के मुसाफिरों की
दूसरों का रास्ता रोककर अपनी डगर तालाश रहे हैं
अक्सर बहुत से लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ और द्वेष के कारण संवैधानिक नियमों को ताक पर रख देते हैं। मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि अगर अपने निजी स्वार्थ को लेकर हर व्यक्ति कानून को दांव पर लगाने लग जाए तो कानून के पालन की जिम्मेदारी कौन लेगा? आज हमें जिम्मेदारी लेनी होगी। और इस बात के लिए जागरुकता रहें कि संविधान के नियमों के अनुसार ही हम अपने हितों के लिए लड़ें।
अपने हितों के लिए लड़ना गलत नहीं है। यह हमें अधिकार दिया गया है। लेकिन मर्यादाओं को लांघने से समाज में अव्यवस्था ही फैलती है। मैं बस इतना ही कहूंगा कि हम अपने संवैधानिक नियमों को पढ़ें और अपने अधिकारों के बारे में जागरूक हों। जहां हम सही हैं और कोई दूसरा हमारे साथ अन्याय करें तो हम अपने कानूनी अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं। मगर अपने कर्तव्यों का हमेशा ध्यान रखें। देश के प्रति हृदय से अपने कर्तव्यों का पालन करें।
इसी से हमारी आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी और देश में व्यवस्था में सुधार होगा।
इन्हीं शब्दों के साथ में आशा करता हूं कि आप मेरी बातों पर मनन करते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। जय हिंद जय भारत
गणतंत्र दिवस सरपंच का भाषण
आत्म गौरव भाव लेकर
देश आगे बढ़ चला है
पथ सदा हमने चुना वह
विश्व का जिसमें भला है
सबसे पहले आप सभी को 76वें में गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। इस पावन अवसर पर उपस्थित प्रधानाचार्य सर ,शिक्षक गण, ग्राम पंचायत सदस्य,प्यारे बच्चों और समस्त ग्राम वासियों का अभिवादन करता हूं।
देश की आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ और देश में सुव्यवस्था लागु हुई। देश के हर नागरिक को वोट देने एवं अपने देश का मुखिया चुनने का अधिकार मिला। 26 जनवरी 1950 को हमें पूर्ण रूप से स्वतंत्रता मिली। हम अपनी इस आजादी के लिए गणतंत्र के संस्थापकों और अपने देशभक्तों को हमेशा याद रखें।
गांव का मुखिया होने के नाते एक दो बातें आपसे सांझा करूंगा। आप सभी जानते हैं कि भारत में प्रजातंत्र है। जिसके पास जनता का बहुमत होता है, वहीं एक गांव, राज्य, नगर एवं देश का मुखिया बनता है। आपने भी मुझे मुखिया बनाया है। इसके लिए आपका धन्यवाद लेकिन इसके साथ में यह कहूंगा कि गांव में शांति व्यवस्था,स्वच्छता, शिक्षा, नशा उन्मूलन जैसी गतिविधियों के लिए हर ग्रामवासी जिम्मेदार होता है।
हमारा यह अधिकार है कि हम गांव की सार्वजनिक संपत्ति जैसे खेल ग्राउंड ,स्कूल , जोहड़,खुली गलियों का प्रयोग कर सकते हैं, तो हमारा यह कर्तव्य भी है कि हम उसकी स्वच्छता और सफाई की जिम्मेदारी लें। मुझे अपने ग्राम सेवक नियुक्त किया है तो मेरा दायित्व यह है कि जो सुविधा गांव के लिए जरूरी है उनके लिए प्रशासन के आगे मांग पत्र रखूं। गांव की कोई सार्वजनिक समस्या को दूर करना भी मेरी जिम्मेदारी है।
मगर गांव की एक गली में किसी के घर के आगे भी सफाई नहीं है तो कम से कम वह तो हर घर की जिम्मेदारी बनती है कि अपने आसपास सफाई रखें। सड़क गलियों के किनारे कचरे का ढेर ना लगाएं। इसी तरह से शिक्षा को लेकर मैं कहूंगा कि हर परिवार की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने बच्चों को स्कूल भेजें। अगर गांव पूर्ण रूप से शिक्षित होता है तो गांव में स्वत: ही व्यवस्था बनेगी। बेटियों को जरूर शिक्षित करें। क्योंकि नारी शिक्षा से ही समाज में शिक्षा की जागृति आती है।
कम नहीं ये किसी से
साबित कर दिखलाएंगी
खोल दो बन्धन
बेटियां हर मंजिल पा जाएंगी
युवाओं से विशेष करके कहूंगा कि नशे रूपी बुराई से दूर रहें।जो युवा नशे से दूर है उनका दायित्व बनता है कि वे नशे में लिप्त युवाओं को नशे से दूर करने का प्रयास करें।
इसके साथ-साथ गांव में हम शांति व्यवस्था बनाए रखें।कई सज्जन गांव की किसी आपसे झगड़ा या विरोध घटना को सोशल मीडिया पर डाल देते हैं। लेकिन क्या इससे कोई लाभ होगा, लाभ होने की बजाय इसे और अधिक अशांति बढ़ती है।
और ऐसा करके हम लोग नई पीढ़ी को क्या आदर्श दे रहे हैं,यह सोचना सबसे महत्वपूर्ण है। आज नई पीढ़ी के लिए हम आदर्श बने। गांव के विकास और शांति व्यवस्था बनाए रखने में अपना सहयोग करें। आपसी प्रेम कि हमारे गणतंत्र भारत को शक्तिशाली बनाएगा। इन्हीं शब्दों के साथ एक बार पुनः आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
माननीय प्रधानाचार्य सर और सभी शिक्षकों का आभार व्यक्त करता हूं जो आपने मुझे आमंत्रित किया इतना सम्मान दिया। जय हिंद जय भारत
गणतंत्र दिवस पर शिक्षक के लिए भाषण
श्री गणेश मैं करूं राष्ट्र के वंदन से
वंदे मातरम के ज्योतिर्मय अभिनंदन से
लिए भावना भवराष्ट्र की वंदन करता हूं
सबसे पहले आप सभी का अभिनंदन करता हूं
सबसे पहले आप सभी को 76वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं स्कूल प्रांगण में उपस्थित माननीय मुख्य अतिथि महोदय, आदरणीय प्रधानाचार्य सर, शिक्षक गण ,नॉन टीचिंग स्टाफ एवं प्यारे बच्चों का स्वागत करता हूं।
आज का दिन देश के हर नागरिक के लिए संकल्प का दिन है। 26 जनवरी 1950 को हमारे गणतंत्र के संस्थापकों ने एक दिव्य स्वप्न देखा था की भारतीय संविधान हर भारतवासी के हृदय में होगा। आज हम अपने गणतंत्र के संस्थापकों को याद करें और उनके दिव्य स्वप्न को पूरा करने का संकल्प ले। मैं एक शिक्षक हुं। और शिक्षक का धर्म समाज में शिक्षा और अनुशासन की जागृति लाना होता है।
ऐसा समर्पण भर दो मेरे मन में प्रभु
मेरे भाव ही मेरी भाषा बन जाए
मेरे शिक्षक की आराधना कर सकुँ
जीवन भर की यही अभिलाषा बन जाए
मैं भी कभी स्टूडेंट्स था । सीखते सीखाते आज एक शिक्षक हूं। गणतंत्र के इस पावन पर्व पर एक बात आपको कहना चाहूंगा कि एक अच्छा शिक्षक वही है जो हमेशा स्टूडेंट बनकर रहता है यानी सीखता रहता है।और एक अच्छा स्टूडेंट वही होता है जो अपने से जूनियर के लिए एक शिक्षक हो सके। शिक्षक और विद्यार्थी एक दूसरे के पूरक होते हैं। जो स्टूडेंट्स आठवीं ,दसवीं में अनुशासन से रहते हैं और उच्च श्रेणी में पास होकर अपने से जूनियर बच्चों को पढ़ाई और अनुशासन का पाठ पढ़ाते हैं।ऐसे विद्यार्थी समाज के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा बनते हैं।
मुझे लगता है हर विद्यार्थी को समझ है कि मेरे लिए क्या अच्छा है क्या बुरा है। इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने आप को पढ़ने की कोशिश करें।
पढ़ लेता जो अपनी किताब
पा लेता जीवन का सुराग
बस एक बात 13 से 18 वर्ष के छात्र छात्राओं से विशेष करके कहूंगा कि विद्यार्थी जीवन में आपके पास भरपूर समय,स्वतंत्रता और माता-पिता की और से सुख सुविधाएं होती हैं। आपके अध्यापकों से भी आपको पूरा सपोर्ट मिलता है। इस समय अगर आप अपनी इच्छा से मेहनत करते हैं। थोड़ा संघर्ष और अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाते हैं, तो आपके लिए 22,25 की उम्र के बाद का जीवन आसान हो जाता है। मगर जो लोग इस समय को बर्बाद कर देते हैं। उन लोगों को बाद बहुत बड़ा संघर्ष करना पड़ता है। और बहुत मुश्किल लगता है जब मजबूरी में काम करना पड़ता है।
विशेष करके बेटियों से जरूर कहूंगा कि एक बात आप गांठ बांध ले कि आपके लिए 22,23 की आयु तक आपके मां-बाप का घर सफलता का बहुत बड़ा अवसर है।इसलिए बेटियां अपने माता-पिता के मार्गदर्शन में इस उम्र में समय का सदुपयोग करें। और अभी आपके लिए संघर्ष भी कम होगा और सफलता भी आसान होगी। शादी के बाद ऐसा अवसर मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है।
आंखों में नींद बहुत है
मगर सोना नहीं है
यही उम्र है कुछ करने की बच्चो
इसे खोना नहीं है।
आज जहां समाज में कुछ युवक युवतियां पतन की ओर जा रहे हैं, वहीं ऐसे युवा भी है, जो छोटी उम्र में ही उत्थान की ओर बढ़ रहे हैं। पतन और उत्थान हमारे अपने हाथों में है। अगर हम समग्र रूप से देखें तो जीवन की बहुत सी घटनाएं हमारे लिए एक टीचर होती हैं। जो सीखते रहते हैं वह आगे बढ़ जाते हैं। जो नहीं सीखते उनकी प्रगति रुक जाती है।
अगर आज हर बच्चा एक सफल इंजीनियर ,व्यापारी ,सैनिक चिकित्सक या सफल किसान बनकर देश सेवा में अपना योगदान देना चाहता है तो उसे हमेशा सीखते रहना चाहिए।
दिखावे में गुजारो तो
बर्बाद है जिंदगी
सीखने में गुजारो
तो क़िताब है जिंदगी
इसलिए मैं यही कहूंगा कि हम हमेशा सीखते रहें।सीखने के लिए विनम्रता चाहिए। और विनम्रता जैसे गुणों से ही इंसान देश और समाज के बारे में अच्छा सोच सकता है। मुझे विश्वास है कि आपने मेरी बातों को ध्यान से सुना है। गणतंत्र दिवस पर आपके लिए यही संकल्प है कि आप अपनी शिक्षा दीक्षा का कार्य लगन से करें और अनुशासित होकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें।
इन्हीं शब्दों के साथ एक बार फिर से आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। जय हिंद जय भारत
गणतंत्र दिवस मोटिवेशनल भाषण
जले दीप फूल महके चमन इस तरह सजा दो
हम गगन उतार देंगे जरा तुम मुस्कुरा दो
आसमां के चाँद तारो ना सँवारो चाहे मेरा जीवन
मेरी ज़िंदगी यही है मेरा देश जगमगादो
सबसे पहले आप सभी को 76वे गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। कार्यक्रम में उपस्थित माननीय मुख्य अतिथि महोदय ……,विशिष्ट अतिथि एवं सभी सुनने वालों का अभिवादन करता हूं।
आज पूरे भारतवर्ष के लिए एक विशेष दिन है। इस दिन भारतवर्ष ने अपने आपको एक पूर्ण स्वतंत्र एवं लोकतंत्रात्मक गणराज्य घोषित किया था। हमारी आजादी के पीछे जहां शहीदों की कुर्बानी थी, वहीं आजादी के बाद देश को गणराज्य बनाने के लिए हमारे संविधान निर्माताओं ने निष्ठा और लगन से भारतीय संविधान बनाया। हम अपने शहीदों और संविधान संस्थापकों को हमेशा याद रखें और उनके सपनों के भारत का निर्माण करें।
अगर आज हमें लगता है कि हम पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं,योग्य हैं तो इसका श्रेय गणतंत्र को संस्थापकों को देना चाहिए। आज जरूरी है कि हम इस आजादी का सदुपयोग करें और राष्ट्रहित के लिए योगदान दें। इसके लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी हमारे युवा निभा सकते हैं। जब जब देश की युवा शक्ति में जागृति आती है देश चहुंओर से विकास करता है।आजादी के बाद ऐसा ही हुआ। हमारे युवाओं की मेहनत और निष्ठा की बदौलत भारतवर्ष ने विश्व पटल पर अपने आपको साबित किया है।
विजय पताका लिए हाथ तुम
स्वयं से जीत की जंग करो
वज्र सदृश चलो धरा पर
वसुधा के उर में तरंग भरो
एक युवा की शक्ति तभी है,जब वह अपनी शक्ति को केंद्रित करना सीख जाता है। अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाकर ही युवा अपनी दिव्य शक्ति को जगा सकता है। जीवन में मुश्किलें भी आती हैं। मगर जो लोग मुश्किलों से लड़ना सीख जाते हैं, उनके लिए कठिनाईयां जीवन का पाठ बन जाती है। संघर्ष, दुःख, प्रतिकूलता, अभाव ये सब तुम्हें निखारते हैं
माना की अगम अगाध सिंधु है
संघर्षों का पार नहीं है
मगर डूबना मझधारों में
साहस को स्वीकार नहीं है
युवा वही होता है जिसके हाथों में शक्ति, पांव में गति,हृदय में ऊर्जा और आंखों में सपने होते हैं। युवाओं के लिए महान प्रेरणा स्त्रोत स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है”सब कुछ खोने से बुरा उस उम्मीद को खो देना है, जिसके भरोसे हम सब कुछ वापस पा सकते हैं।” इसके साथ-साथ गणतंत्र के पावन पर्व पर युवा शक्ति से कहना चाहूंगा की संगति आपको ऊंचा उठा भी सकती है यह आपको ऊंचाई से गिरा भी सकती है।
तहजीब आदमी को महान को बना देती है
सुसंगती मूर्ख को विद्वान बना देती है
इसलिए संगति अच्छे लोगों से करें। अच्छे लोगों के संगत जीवन संवार देती है। जिसके जीवन में अनुशासन है, वही खुद पर शासन कर सकता है। और जिसका खुद पर शासन होता है,वही दूसरों पर शासन कर सकता है। इसलिए स्वयं को बदलें अपनी आत्मिक योग्यता को पहचानें। समय के साथ चलें और समय का सदुपयोग करें।जो समय का मोल समझते हैं समय उन्हें अनमोल बना देता है।
बादलों की ओट से
सूरज निकलने वाला है
सफर जारी रखो
वक्त बदलने वाला है
आज गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर यही कहूंगा कि युवा शक्ति अपने आप को जागृत करें। कोई भी कार्य करें, राष्ट्रहित के बारे में जरूर सोचें कि हम जो कार्य कर रहे हैं ,क्या उसमें देश का भला है। क्या मेरे काम से समाज को कोई लाभ है। अगर ऐसी पवित्र सोच होगी, तभी युवाशक्ति देश के लिए वरदान सिद्ध होगी। इन्हीं शब्दों के साथ में आशा करता हूं कि हम अपने शहीदों और गणतंत्र के संस्थापकों को याद करते हुए अपनी ताकत को देशहित में लगाएंगे और समाज में मानव धर्म का उत्थान करेंगे। जय हिंद जय भारत