आदिवासी दिवस मंच संचालन की शुरुआत || आदिवासी दिवस एंकरिंग स्क्रिप्ट || International Aadivasi divas anchoring

हेलो दोस्तों आज के दिन की आपको हार्दिक शुभकामनाएं।

आशा करता हूं आप हर विषय पर बोलने का अभ्यास करके अच्छे वक्ता बन रहे हैं। एक बात मैं कहना चाहूंगा कि आप किसी भी विशेष दिन के बारे में थोड़ा-थोड़ा ज्ञान संचित करते रहिए। ताकि कभी भी किसी भी प्रोग्राम में बोलना पड़े तो आपको कोई समस्या ना हो।

9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस है। भारत में लगभग 10 करोड आदिवासी लोग हैं।इंटरनेशनल आदिवासी दिवस पर यह लोग छोटे बड़े समारोह करते हैं। इन समारोह में अपने हितों की बात करने के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियां भी होती है। कहीं-कहीं यह लोग विरोध प्रदर्शन भी करते हैं कि हमारे साथ अन्याय हो रहा है। हमें इस न्याय से मुक्ति चाहिए।

यह एक आदिवासी दिवस की स्क्रिप्ट है । अगर आपको आदिवासी दिवस पर संचालन करना हो तो आप यह स्क्रिप्ट ले सकते हैं। स्क्रिप्ट विधिवत विवरण के साथ दी गई है।

Aadivasi Divas speech in Hindi || aadivasi Divas || international aadivasi Divas || मंच संचालन स्क्रिप्ट अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस‌ एंकरिंग स्क्रिप्ट

जय जोहार

अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस मंच संचालन विस्तारपूर्वक स्क्रिप्ट

हर मंच संचालक आदिवासी दिवस या किसी भी कार्यक्रम प्रस्तुतियों की अलग अलग तरह से अपने अनुसार सूची बनाता है।

ज्यादातर कार्यक्रमों के शुरुआत में अतिथि सम्मान, दीप प्रज्वलन ,स्वागत गीत ,स्वागत संबोधन तक लगभग एक जैसी ही गतिविधियां रहती हैं।
आप प्रस्तुतियों की सूची अपने अनुसार बना सकते हैं ।मुझे आपको एक स्क्रिप्ट देनी है।इसलिए अपने अनुभव के अनुसार जिस विवरणिका के अनुसार मैं संचालन करता हूं ,उसी तरह से एक सूची बनाकर उसकी स्क्रिप्ट आपको दे रहा हूं ।

जो भी शब्दावली ,शायरी दी गई है ।अगर आपका कार्यक्रम विवरण इससे आगे पीछे होता है या थोड़ा अलग तरह का होता है तो आप अपनी बुद्धिमता से बदलाव कर सकते हैं।

या अगर आपको अच्छा लगे तो आप मेरी तरह ही अपनी सूची बना लें।

  1. सर्वप्रथम मंच संचालक की एंट्री।साउंड लगते ही कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत से पहले आदिवासी समाज के विषय में शायरी,शब्दावली बोलकर माहौल बनाए।
  2. अतिथि आगमन शायरी,सन्देश,पुष्पाभिनंदन से स्वागत
  3. अतिथि द्वारा आदिवासी ध्वज फहराना
  4. दीप प्रज्वलन आदिवासी महापुरुषों को पुष्प अर्पण
  5. आदिवासी धार्मिक गीत
  6. स्वागत सम्बोधन
  7. सांस्कृतिक प्रस्तुति
  8. सांस्कृतिक नृत्य
  9. विशिष्ट अतिथि भाषण
  10. हास्य प्रस्तुति स्किट
  11. शिक्षक का भाषण
  12. सांस्कृतिक गीत
  13. सम्मान समारोह
  14. देशभक्ति प्रस्तुति
  15. प्रतिभा सम्मान समारोह
  16. बुजुर्गों का सम्मान
  17. पर्यावरण प्रस्तुति
  18. भाषण
  19. सांस्कृतिक प्रस्तुति
  20. पुरस्कार वितरण समारोह
  21. अतिथियों का सम्मान समारोह
  22. मुख्य अतिथि उद्बोधन
  23. आभार समापन

आदिवासी दिवस के मंच पर समारोह के मंच पर आपके शब्दों की शुरुआत दमदार होनी चाहिए इसलिए। शुरू में शायरी बोलिए।शुरुआत जबरदस्त होगी चाहिए

अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस || अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस स्क्रिप्ट || international aadivasi Divas anchoring script

मंच संचालन की शुरुआत

वक्त का किस्सा तमाम करता हुँ
आज का दिन आपके नाम करता हुँ
भगवान बिरसा मुंडा को करके नमन
सर झुकाके सबको प्रणाम करता हूँ

सबसे पहले आदिवासी समाज के महानायक भगवान बिरसा मुंडा को शत-शत नमन करता हूं।

आज पूरे विश्व में आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है।आज का दिन हमारे लिए‌ एक अवसर लेकर आया है।

यह अवसर है हमारे समाज को जागरूक करने का
ये अवसर है अपने हितों को पाने का
यह अवसर है अपनी संस्कृति को गले लगाने का
ये अवसर है हमारी आपसी एकता और अखंडता का
ये अवसर है हमारे महापुरुषों को याद करने का
ये अवसर है शिक्षा और जागरूकता का

एक बार जोरदार तालियों से आज के इस दिन का स्वागत करेंगे।सबके हौसले और हिम्मत से आज का दिन खास वाला है।

ख़ुद की ख़ुद से मुलाकात हो जाए
काश जीवन में कुछ ऐसी बात हो जाए
दिलों पर दस्तक देने वाली‌ बातें सुनाऊंगा दोस्तो
अगर आपकी तालियों की बरसात हो जाए

तालियों की गड़गड़ाहट के साथ हमारे समाज के गणमान्य लोगों का स्वागत करेंगे।

आदर सत्कार सम्मान खुशियों की कुंजी है
रिश्ते एक दिन की नहीं पूरे जीवन की पूंजी है

दोस्तों किसी मकसद में कामयाब होने के लिए आपसी भाईचारे और सद्भावना की जरूरत होती है। अगर हम भावनाओं से एक हो जाए तो समाज के उत्थान के लिए किसी भी कार्य को अंजाम दिया जा सकता है।

कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे युवा साथी, यूआदरणीय बुजुर्गों और बच्चों का अभिवादन करता हूं।

आज के कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ साथ अपने हितों को लेकर भी बातचीत होगी। जैसे ही माननीय मुख्य अतिथि महोदय का समारोह स्थल पर आगमन होगा। कार्यक्रम की विधिवत रूप से शुरुआत होगी।

प्रकृति की रक्षा करने वाला
धरती पर जीव अविनाशी है
शुक्र मनाता है हरपल सृष्टि का
ये भारत का आदिवासी है

युगों युगों से आदिवासी समुदाय प्रकृति पूजक रहा है। जैसे देश के रक्षा के लिए सेना जरूरी है।उसी तरह प्रकृति की रक्षा के लिए‌‌ आदिवासी समाज का नाम आता है।

मगर एक बात अफसोस के साथ कहनी पड़ रही है की कहने में हमें मूलनिवासी कहा जाता है।मगर वर्षों से आज तक हमारे सम्मान में संतुष्टिजनक वृद्धि नहीं हो पाई है।

देश के कुछ हिस्सों की हालत
विकास के युग में भी इतनी बुरी है
आदिवासी जीवन को देख लगता है
भारत की आज़ादी अभी अधूरी है

आज देश में हमारी जनसंख्या लगभग 10 करोड़ है। फिर भी सरकार से हमें समुचित सुविधाएं नहीं मिल पाती। अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता की कमी का कारण हमारी अनपढ़ता भी है। इसलिए हम लोग आज ये संकल्प लेकर उठेंगे की हमारा समाज ज्यादा से ज्यादा शिक्षित हो।

बच्चों को शिक्षित करें ताकि हमें उपेक्षा, शोषण और बाल मजदूरी से मुक्ति मिल सके।

इस तरह हौसला आजमाया करो
मुश्किलें देखकर भी मुस्कुराया करो
दो निवाले भले कम खा लेना
लेकिन अपने बच्चों को पढ़ाया करो

शिक्षा ही वह ज्योति है जो हमारे समाज को रोशन करेगी। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहा है “शिक्षित बनो संगठित रहो।”शिक्षा से समाज में जागरूकता आएगी और संगठन से समाज शक्तिशाली बनेगा।
गांव से पहुंची मातृशक्ति, माताओं बहनों का हार्दिक अभिनंदन करते हैं। समाज की बहन बेटियों ने हमारी संस्कृति को बचाने का काम किया है।

अपना वजूद बुलाकर
हर किरदार निभाती है
ये वो देवी है
जो घर को स्वर्ग बनाती है

एक बार सम्मान भरी तालियों के साथ नारी शक्ति का स्वागत सत्कार करेंगे। भारतीय क्रांतिकारी रानी दुर्गावती बाई और भारत की वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जैसी महिलाएं आदिवासी समाज के लिए प्रेरणा है।

हमारे समुदाय ने भारतीय सभ्यता को एक पहचान दी है। किसी विचारक ने कहा है की “भारत के आदिवासी हमारे धार्मिक लोगों से बहुत ज्यादा सभ्य है।आदिवासियों से सीखो,मानवता क्या होती है? एक प्रकृति पूजक होना कितने गर्व की बात है।”

आदिवासी समुदाय के लिए ऐसे भाव प्रकट करने वाले इन्सान को हृदय से नमन करता हुं। क्योंकि ये सच है कि दुनिया के संरक्षक और कुछ धार्मिक बुद्धिजीवी ही प्रकृति को नष्ट और प्रदूषित करने में लगे हुए हैं।

बड़े बड़े शहर बसाकर
सुकून के लिए गाँव ढूँढते हैं
बड़े अजीब हैं हम लोग
हाथ में कुल्हाड़ी लिए छाँव ढूँढते है।

पर्यावरण प्रदूषण से बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग के तापमान बढ़ रहा है और पृथ्वी पर गर्मी बढ़ रही है। जो मानव जीवन,वन्य जीवों, वनस्पतियों के लिए घातक है।

मगर फिर भी पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी लोग अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति का गला घोंट रहे हैं।

भारतवर्ष में आदिवासी समुदाय ने‌ प्रकृति को बचाने में अहम भूमिका निभाई है।
आज का दिन हमारे लिए एक गौरवशाली अवसर है।

आओ प्रभु से हम दुआ मांगे
जिंदगी जीने की अदा मांगे
अपनी खातिर तो बहुत मांगा है
आओ आज सबके लिए भला मांगें

हम सभी एक लक्ष्य और एक भाव से एक दुसरे का सम्मान करें।

बहारों की महफिल सुहानी रहेगी
लबों पर खुशियों की कहानी रहेगी
चमकते रहेंगे खुशियों से ये सितारे
अगर आपकी तालियों की मेहरबानी रहेगी

इस पावन दिवस का एक बार अपनी जोश भरी तालियों से स्वागत करें।

किसी भी समाज का अतीत अति महत्वपूर्ण होता है। आदिवासी समाज की बात करें तो हमारा अतीत गौरवपूर्ण रहा है। पर्वतों ,नदी नालों, जंगलों की आराधना करने वाले आदिवासी लोग हमेशा प्रकृति पूजक रहे हैं। हमारे आदिवासी समाज से ही भारतीय सभ्यता और संस्कृति की पहचान होती है।

मेरी मिट्टी मेरा मान है
पर्वत,पेड़ो की रक्षा मेरी आन है
कुदरत की छांव में रहता हूं
सभ्यता ही मेरी पहचान है

हालांकि हम भारतीय सभ्यता के जनक हैं फिर भी आज हमें अनदेखा किया जा रहा है। आज के कार्यक्रम में हम अपने हितों को लेकर भी चर्चा करेंगे।इसके लिए सभी एकमत रहें ताकि हमारा कार्यक्रम सफल हो।

आज हम अनुशासन का परिचय देंगे।जब तक हमारे मुख्य अतिथि आते हैं सभी से निवेदन है कि वे अपना अपना स्थान ग्रहण करें।

इसी प्रकार जब तक मुख्य अतिथि नहीं आते या विधिवत रूप से कार्यक्रम शुरू नहीं होता आप इसी तरह से बीच-बीच में जाकर प्रारंभ में आदिवासी समाज के इतिहास या वर्तमान परिवेश बेहतर जानकारी,शायरी,कविता, तुकबंदी बोलते रहिए। सभा में बैठे श्रोताओं से संवाद बनाए रखिए।

इसी बीच आपके बोलते हुए मुख्य अतिथि आ जाते हैं आप बोल सकते हैं।

अतिथि आगमन शायरी,सन्देश,पुष्पाभिनंदन से स्वागत

ईश्वर ने भी कीमती रतन
गिनती के ही बनाए हैं
उन रत्नों में सबसे कीमती
आज हमारे बीच में आए हैं

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