15 अगस्त देशभक्ति भाषण || 15 August Speech in hindi || 15 अगस्त भाषण || स्वतन्त्रता दिवस भाष

नमस्कार दोस्तो

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15 अगस्त पर आपने तैयारी के साथ भाषण देना है।केवल इतना ही नहीं कि आप अपने भाषण में आजादी की जानकारी देकर मंच से उतर जाएं।

आपने अपने भाषण में शायरी और स्वतंत्रता सेनानियों के विचार के साथ जागरूकता भाषण देना है जिससे सुनने वाले मोटिवेट हैं।

स्वतंत्रता दिवस भाषण || देशभक्ति भाषण || 15 अगस्त भाषण || 15 august per bhashan || 15 august speech in Hindi

नाम उसका ही जुबां पर आता है
इतिहास भी उसी का लिखा जाता है
मिटा दी जिंदगानी वतन के लिए जिसने
वही आजादी का इंकलाब लाता है

सबसे पहले आप सभी को 77वें स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

अपनी आभा से कार्यक्रम को सुशोभित करने पहुंचे माननीय मुख्य अतिथि महोदय,कार्यक्रम अध्यक्ष, विशिष्ट अतिथि, सभी शिक्षकों और सुनने वालों का स्वागत करता हूं।

भारतवर्ष के लिए आज एक गौरवशाली दिन है। 15 अगस्त का दिन अनूठा इतिहास संजोए हुए हैं। 200 वर्ष अंग्रेजों की गुलामी के बाद हमारे देश भक्तों ने अपने बलिदान से देकर देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करवाया।

ये दिन है उन शूरवीरों ,योद्धाओं को याद करने का
ये दिन है शहादत की कीमत चुकाने का
ये दिन है देश के लिए कुछ करने के संकल्प का
ये दिन है देश हित में कदम उठाने का

स्वराज्य प्राप्ति के बाद देश ने हर क्षेत्र में विकास के शिखर को छुआ है। इस विकास में हर भारतवासी का योगदान है। भारत देश आज तकनीक,विज्ञान, शिक्षा में विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त कर रहा है।

लेकिन इसके साथ हमने खोया भी बहुत है। हमने अपने संस्कार ,कर्मठता और इंसानियत जैसे दिव्य गुणों को खो दिया है।
आज मनो पर प्रतिस्पर्धा इतनी हावी हो चुकी है की गला काट प्रतियोगिता चल रही है।

आज़ादी को ज़ीने वालो हमें नहीं पता
कब सूरज छिपता है तो कब दिन चढ़ता है
पर पन्ने पलट कर देखना अतीत के
हर आजादी से पहले मरना पड़ता है

देश की आजादी के लिए जैसे हमारे शूरवीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी। उसी तरह से जीवन की सच्ची सफलता के लिए हमें अपने आलस्य ,स्वार्थ ,लोभ पर विजय प्राप्त करके धैर्य,परिश्रम को अपनाना होगा। हमारी शिक्षा और जीवन के कदम सर्वहित के लिए होने चाहिए।

हम उस देश के वासी हैं जहां पहला पाठ ही मानवता का पढ़ाया जाता था। आज हमें फिर से अपने सुसुप्त संस्कारों को जगाना होगा, यही देशभक्तों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

समर्पित वतन पे ललन चाहिए
भगत,आजाद जैसे रतन चाहिए
मृत्यु के बाद यदि जन्म फिर से मिले
तो भारत ही मुझको वतन चाहिए

आओ आज हम दृढ़ संकल्पित होकर ऐसा प्रण लें ,जिसमें देश का भला हो, मानवता का पालन हो। जन-जन में संस्कृति और मातृभूमि के लिए प्रेम हो।

आज के कार्यक्रम के खूबसूरत आयोजन के लिए आयोजकों का विशेष रूप से धन्यवाद करता हूं जिन्होंने हम सभी को एक सूत्र में पिरोने का काम किया है।

इन्हीं शब्दों के साथ एक बार पुनः माननीय मुख्य अतिथि महोदय और आप सभी युवाओं, बुजुर्गों और मातृशक्ति का आभार प्रकट करता हूं जो मेरी बातों को ध्यानपूर्वक सुना।

जय हिन्द जय भारत

Independence Day speech in Hindi || Independence Day || 15 August Manch sanchalan script

बेशक इरादे बेजान हो जाए
चाहे आवाज बेजुबान हो जाए
बस तुम मंजिल को निगाहों में रखना
जब तक तुम्हारी सोच महान हो जाए

सर्वप्रथम आप सभी को स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

स्वाधीनता समारोह पर उपस्थित माननीय अतिथि महोदय, विद्यालय संचालक, टीचर्स, बच्चों के अभिभावकों और सभी स्टूडेंट्स का अभिनंदन करता हूं।

आज प्रांगण में सबकी सामूहिक ऊर्जा से प्रतीत होता है यही हम भारतवासियों की पहचान हैं। एक लघु भारत का रूप यहां पर देखने को मिला है।
इस सुनहरी आजादी के लिए वीर वीरांगनाओं ने भारत भूमि को अपने लहू से सींचा,तब जाकर 15 अगस्त 1947 को हम अंग्रेजों से आजाद हुए।

आजादी के बाद युवा पीढ़ी के पुरुषार्थ की बदौलत देश ने हर क्षेत्र में विकास के शिखर को पाया है। आज इस प्रांगण में उपस्थित युवाओं और नई उम्र से एक दो बातें साझा कर रहा हूं।

हम विवेकानंद के सपनों के भारत के वासी हैं। जिन्होंने कहा था”उच्च विचारों से कमजोरियां दूर होती हैं। हमें हमेशा उच्च विचार पैदा करते रहना चाहिए।”

अगर मैं आपसे पूछना चाहुँ की देश के विकास में कौन-कौन अपना योगदान देना चाहते हैं तो लगता है नई उम्र के सभी लोगों के हाथ खड़े होंगे।
लेकिन देश के विकास में योगदान की शर्त क्या है? इस पर चिंतन मनन करना जरूरी है।

असल में जो व्यक्ति आत्मानुशासन, प्रतिभा, सद्व्यवहार विकसित करके स्वयं का विकास करता है, वही देश के विकास में योगदान दे सकता है।

यह इतिहास रहा है की जो लोग विद्यार्थी जीवन से ही खुद को अनुशासित करते हैं, वही महान सफलता अर्जित करते हैं। जिस देश के युवा इस तरह से सफलता की ऊंचाइयों को छूते हैं तो उस देश का हमेशा चौमुखी विकास होता है।

तेरी एक हुंकार से पर्वत हिल जाए
तुं कहानी है शौर्य स्वाभिमान की
हे युवा अपनी ताकत की पहचान कर
तुझे तकदीर बदलनी है हिन्दुस्तान की

इसलिए जरूरी है कि हम खुद के साथ जीना सीखें। अपनी आत्मिक योग्यता को पहचान कर कुछ नया करें। आज सफलता के मानदंड बदल चुके हैं।

आज के समय में विजय का सूत्र परिवर्तन है। स्वयं से भागने की बजाय हम स्वयं को बदलें

हो जायेगा सफ़र आसां आओ साथ चलकर देखें
कुछ तुम बदलकर देखो कुछ हम बदलकर देखें

बदलाहट के लिए साहस चाहिए,संकल्प चाहिए ,श्रम चाहिए शक्ति चाहिए।

विवेकानंद जी ने कहा है

यह दुनिया एक व्यायामशाला है जहां हम अपने आप को बलवान बनाने के लिए आते हैं।

लगभग सभी के पास मोबाइल है, जिसमें इंटरनेट चलता है। अगर हम चाहें तो प्रेरक साहित्य पढ़ सकते हैं, वीडियो देख सकते हैं, प्रेरक विचारों को पढ़कर मनन कर सकते हैं।

कुसंगती,कुकृत्यों और नशे में पड़कर अपने जीवन का पतन करने की बजाय अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं।

अपनी मानसिक दुर्बलता पर प्रहार चाहिए
अदम्य साहस और सिंह की दहाड़ चाहिए
काल के कराल गाल में समा रहा यूवा भारत
इसे बचाने के लिए संकल्प का पहाड़ चाहिए

मुझे विश्वास है की आजादी के इस दिन हम अपनी मानसिक दुर्बलताओं को दूर करने का संकल्प लेंगे। अपने स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदान को प्रेरणा मानकर देश हित में कदम उठाएंगे। सब उत्तरदायित्व अपने कंधों पर लेकर अपने भाग्य के निर्माता खुद बनेंगे।

इन्हीं शब्दों के साथ एक बार पुनः आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और सभी उपस्थित युवाओं बुजुर्गों और मातृशक्ति का आभार प्रकट करता हूं।

जय हिंद जय भारत

15 August anchoring script || 15 August per bhashan || 15 august speech in Hindi 15 अगस्त भाषण

बाबा साहब के सपनों की आजादी

जो कुर्बानी की राहों में पांव भरता है
नई सुबह में जिसका लहू सुर्ख रंग भरता है
जमीन ही नहीं गोद में सुलाती उसे
खुद आसमान भी झुककर सलाम करता है

सबसे पहले आजादी के आंदोलन की आवाज बनकर मातृभूमि के लिए प्राण अर्पित करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को शत-शत नमन करता हूं।

प्रांगण में उपस्थित सभी भाई बंधु मातृशक्ति का अभिवादन करता हूं।

देश की आजादी के लिए सदियों तक संघर्ष करने के बाद 15 अगस्त 1947 को हम स्वतंत्र हुए और देश ने नई सोच के साथ आगे बढ़ने का प्रण लिया।

आजादी के पर्व पर आज मैं एक ऐसे महापुरुष के बारे में बात करना चाहूंगा,जिन्होंने स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान भी देश के वंचितों,पिछड़ों ,मजदूरों ,महिलाओं ,दलितों के कल्याण के लिए संघर्ष किया।

हर भारतवासी को गले लगाना होगा
अपने नजरिए में बदलाव लाना होगा
समाधान केवल आजादी में नहीं है
दबे कुचले समाज को ऊंचा उठाना होगा

इस तरह की दूरदर्शी और पूर्वाभासी सोच के मालिक थे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर।

एक तरफ जहां उन्हें संविधान का निर्माता कहा जाता है।वहीं दूसरी ओर कुछ लोग उन पर उंगली उठाते हैं कि वह स्वतंत्रता आंदोलन से दूर रहे।
यहां बाबा साहब का पूर्वाभास और अनूठा मनोविज्ञान था। स्वतंत्रता आंदोलन के चलते आजादी के बाद का दृश्य वर्षों पहले आभास करने वाला बाबा साहब जैसा कोई नहीं था।

बाबा साहब यह जानते थे कि भारत शताब्दियों से कुरीतियों,अंधविश्वासों से जूझता रहा है। उच्च जातियों के लोगों में दलितों पिछड़ों के प्रति जो वैमनस्य था।जरूरी नहीं कि आजादी के बाद खत्म होगा। बाबा साहब ने कहा था कि हमारे इन्हीं ब्राह्मणवाद और कट्टर हिंदुत्व ने हमें खंड खंड करने का काम किया है। जब एक देश में जाति के आधार पर भेद हो, आपसी फूट तो ये कैसे हो सकता है कि हम आजादी आनंद उठा पाएंगे।

मजहबों में बंटा हुआ है चित्त यहां
जातिवाद का दंश अति भारी है
चरित्र की महिमा से कर्तव्य का बोध करो
हर भारतवासी की ये जिम्मेदारी है

स्वतंत्रता आंदोलन के दौर में भी सत्ता और जमीन-जायदाद में दलितों की हिस्सेदारी न के बराबर थी। डॉ आंबेडकर ने अपनी किताबों और लेखों में अनगिनत बार दलितों के उत्पीड़न, उनके जातीय तिरस्कार वाली खबरों का हवाला दिया। कांग्रेस ने उनकी बात को माना लेकिन इसके लिए किया कुछ नहीं।

बाबा साहब इस बात से चिंतित थे की जब देश का उच्च जातीय वर्ग जातिवाद,छुआछूत जैसी नपुंसक सोच से ग्रस्त है तो क्या हम एक हो पाएंगे ?क्या हम आजादी को संभाल कर रख पाएंगे?

देश के कुछ हिस्सों की हालत
गुलामी में भी इतनी बुरी नहीं हुई
किसी वंचित,शोषित को देख लगता है
इनकी आज़ादी अभी पूरी नहीं हुई

बाबा साहब के दूरदर्शी सोच सच साबित हुई। आजादी के बाद भी वर्षों तक दलित, पिछड़े ,महिलाएं मानसिक रूप से गुलाम रहीं। आज शिक्षा के कारण जागरूकता आई है ।जिससे हालात कुछ ठीक हुए हैं। मगर मनों में अभी भी‌ जाति के आधार पर भेद है।

उनका कहना था कि हमने एक लंबे संघर्ष के बाद राजनीतिक लोकतंत्र हासिल किया है लेकिन क्‍या सामाजिक एवं आर्थिक लोकतंत्र के बिना राजनीतिक लोकतंत्र जीवित रह पायेगा ?

इसलिए बाबा साहब आजादी से पहले दबे ,कुचले ,वंचित, दलित ,किसान, महिला, मजदूरों की आवाज बने रहे। भारतीय संविधान लागू होने तक उनका यह संघर्ष अनवरत जारी रहा।

इन बातों को जानने के बाद कहा जा सकता है कि एक तरफ जहां आजादी के लिए शूरवीर कुर्बान हो रहे थे, वहीं दूसरी ओर बाबा साहब देश के पिछड़े लोगों के कल्याण के लिए लगे हुए थे। यही उनकी देशभक्ति थी। यही उनका राष्ट्रीय चरित्र था। यही उनकी मानवता थी।यही उनकी आजादी थी।

जिंदगी का खेल समझना आसान नहीं है
यहां इंसानियत के लिए कोई विधान नहीं है
अधूरी हैं ये उपलब्धियां और ये शानों शौकत
अगर देशहित में अपना कोई बलिदान नहीं है

आजादी के इस उत्सव पर मैं बाबा साहब को प्रणाम करता हूं और आजादी की बलिवेदी पर अपने प्राणों की आहुति देने वाले योद्धाओं को शत-शत नमन करता हूं।

कर्तव्य पथ पर खुद को खपा देने वाले इन महापुरुषों के सपनों के भारत के निर्माण का संकल्प लें। यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

जय हिंद जय भारत

15 अगस्त मंच संचालन की शुरुआत /15 अगस्त मंच संचालन स्क्रिप्ट /15 august anchoring script

हेलो दोस्तो

हमने Independence Day की एंकरिंग के लिए 60 पेज की एक विस्तारपूर्वक स्क्रिप्ट तैयार की है।जिसमें अतिथि , ताली, देशभक्ति,बचपन, यूवा, मोटिवेशन जैसे कई विषयों पर शायरी की पीडीएफ भी ऐड की गई है। ये स्क्रिप्ट आपको अन्य कार्यक्रमों में काम आएगी।

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