Satish Kumar

Hindi Speech Script For Gram Pradhan. Gram Panchayat Speech In Hindi. Public Speaking tips

Hindi Speech Script For Gram Pradhan. Gram Panchayat Speech In Hindi. Public Speaking tips - Satish Kumar

गांव की मिट्टी से खुशबू आती है
दिल में खुशी के फूल खिलाती है
ऐसी महिमा है मेरे गांव की
जहां सभ्यता जीना सिखाती है

भारतवर्ष की सभ्यता और संस्कृति को दीप्तमान करते मेरे गांव की मिट्टी को प्रणाम करता हूं

सभा में मौजूद माननीय मुख्य अतिथि विशिष्ट अतिथि एवं समस्त ग्राम वासियों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।

जैसा कि आप जानते हैं कि हम सभी एक उद्देश्य के साथ के साथ जीवन जीते हैं।

सभा में बैठे हर युवाका,नारी,बेटी के जीवन का कोई ना कोई लक्ष्य है। जिसके सहारे जीवन चलता है।

एक सोच जो सभी की समान होती है की हर व्यक्ति कुछ अलग करना चाहता है।किसी की भलाई के लिए कुछ करना सर्व मंगल हेतु सोचना कहीं ना कहीं यह सोच हर दिल में होती है। गांव की पृष्ठभूमि और परिवेश तो है ही ऐसा कि हम एक दूसरे के सुख दुख में काम आते हैं ,खुशियां मिलकर बांटते हैं।

मगर आधुनिक दौर में जनकल्याण की सोच को साकार करने के लिए प्रशासन,शासन में भागीदारी होनी अति आवश्यक है ।

आप कुछ लोगों के आग्रह पर मैंने भी जनसेवा की भावना से ओतप्रोत होकर ग्राम प्रधान (सरपंच मुखिया )का चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।

मगर मेरे इस निर्णय में आप की सहमति तालमेल और सहयोग जरूरी है।

छोटे से छोटा काम और बड़े से बड़ा मिशन पूरा करने के लिए एक संगठन की शक्ति चाहिए। आपस का सद्भाव और सहयोग चाहिए ।

हर ग्रामवासी गांव के लिए अच्छा सोचता है,कुछ करना चाहता है। पर एक व्यक्ति को इसके लिए अगुवाई करनी होती है।

आप की सहमति पर मैं अगुआ बनकर गांव की सेवा करूंगा

यह आपसे मेरा वादा है कि आप मेरा तन मन से साथ दीजिए हम मिलकर गांव की उन्नति के लिए कार्य करेंगे ।गांव में कुछ सुविधाओं का नए सिरे से निर्माण करेंगे।

इन चार पंक्तियों के साथ में अपने वक्तव्य का समापन करता हूं ।और आशा करता हूं कि आपकी दुआएं आपका आशीर्वाद मेरे साथ रहेगा।

सही समय पर फैसला लेकर
अपने हाथों अपनी तकदीर बनाते हैं
आओ मिलकर संगठन की शक्ति से
गांव की नई तस्वीर बनाते हैं

धन्यवाद

मुखिया के लिए भाषण स्क्रिप्ट. Hindi Speech Script For Gram Pradhan. Gram Panchayat Speech In Hindi. Public Speaking tips Public speaking course For gram Prashan

गांव में किसी धार्मिक आयोजन में आप यह स्पीच दे सकते हैं ।कार्यक्रम अनुसार आप इसमें बदलाव भी कर सकते हैं।

जर्रे जर्रे में झांकी भगवान की
किसी सूझवान इंसान ने पहचान की

सबसे पहले आप सभी को आज के शुभ दिन की हार्दिक शुभकामनाएं।

ग्रामवासियों की अगाध श्रद्धा और प्रेम की बदौलत हमारे बीच पहुंचे हमारे मुख्य अतिथि विधान सभा सदस्य माननीय ————– का आभार प्रकट करते हैं।

जिला पार्षद श्री——- और सभी विशिष्ट अतिथियों का समस्त ग्रामवासियों की तरफ से हार्दिक अभिनन्दन।

सन्तों की वाणी का गुणगान करने पधारे भजन गायक और वाद्य कलाकारों की कला को साधुवाद

इस सत्संग कार्यक्रम की भव्यता के लिए सभी ग्रामवासियों,बच्चों, बुजुर्गों,नारी शक्ति,युवाओं और हर घर के आंगन की महक इन बेटियों को बधाई देता हूँ।

आज हम उनके इस पावन दिवस पर ऐसे ही संकल्प लें।समय का पालन करें।

अपने काम से प्यार करें। बेशक काम छोटा हो बड़ा।

ज्ञान की बड़ी बड़ी बातों का बखान करने की बजाय व्यवहारिक बने।

भारतवर्ष के महापुरुषों के जीवन से प्रेरित होकर परोपकार यानी दूसरों के लिए भी जीना सीखें।

धर्म जाति के भेद से ऊपर उठकर समाज के लिए प्रेरणा बनें।

अभिमान और बड़प्पन त्याग कर विनम्रता के भाव से आचरण करें।ताकि समाज में आपसी सद्भाव, प्रेम और बन्धुता बढ़े।

किसी भी युगनिर्माता, महापुरुष की जयंती मनाना,कोई धार्मिक आयोजन या सत्संग तभी सार्थक होगा जब हम उनके दिए वचनों पर चलेंगे।

छीन कर खाने वाले का कभी नहीं भरता
बांट कर खाने वाला कभी भुखा नहीं रहता

ऐसे ही कर्म करते हुए हम संसार की सेवा करें।

इस पावन पुनित अवसर पर ये भी कहूंगा कि बहन बेटियों के प्रति पवित्रता का भाव रखें।

जगतजननी नारी और बेटियों का सम्मान करें।
एक नारी की एक बेटी की दुआ जिंदगी सँवार देती है।

अपार हर्ष का विषय है कि हमारे गांव में आज यह पावन पर्व मनाया जा रहा है।

भारतीय संस्कृति और सभ्यता की पहचान हमारे गांवों की पृष्ठभूमि है।यहीं से देश की स्वच्छ संस्कृति की झलक मिलती है।

गांव में अपनापन मिलता है।सद्भाव और आपसी रिश्तों में संजीवता होती है।

गांव की मिट्टी से मेरा जन्म का रिश्ता रहा है। ख़ुद का सौभाग्य समझता हूँ कि एक गांव का रहने वाला हूँ

महापुरुषों के प्रेरित वचनों से मैं भी आपकी सेवा में हमेशा तैयार हूँ।
मेरा भी जीवन का एक लक्ष्य है कि मैं भी जनधर्म के कोई काम करूँ।

इसके लिए मैं प्रतिबद्ध हूँ और ऐसे ही गांव के सांझे सम्मेलनों में शामिल होने का अवसर मिलता रहा तो मैं इसे अपना गौरव समझूँगा।

जो बात दवा से ना हो सके
वो बात दुआ से होती है
क़ामिल मुर्शिद अगर मिल जाए
तो बात खुदा से होती है

इन्हीं शब्दों के साथ आपका आभार

सन्तों की धरती भारतभूमि की जय

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