नमस्कार दोस्तों
विद्यालयों में annual function हो रहे हैं।जैसा कि आप जानते हैं विशेष प्रतिभाशाली बच्चों को सम्मानित किया जाता है।
इसलिये आप अपने भाषण में रचनात्मक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहन होना चाहिये।
अभिभावकों का साथ हो तो बच्चों को हौंसला मिलता है।तभी वो बच्चे कुछ अलग कर पाते हैं। एक speech मैंने लिखा है।
मंच पर इस speech से कुछ idea ले सकते हैं या यही speech बोल सकते हैं
वार्षिक उत्सव भाषण
शिक्षक के बिन ये दुनिया क्या,
कुछ भी नहीं बस अंधकार यहाँ,
शत-शत नमन उन शिक्षकों को,
जिनके कारण रोशन सारा जहाँ
सबसे पहले समाज के निर्माता अध्यापकों,गुरुजनों को प्रणाम करता हूं।
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जाल खेड़ा के वार्षिक समारोह में उपस्थित माननीय मुख्य अतिथि महोदय श्री………. विशिष्ट अतिथि श्री……. एवं गांव से आए हुए युवाओं,बुजुर्गों,बच्चों के अभिभावकों,नारी शक्ति और प्यारे विद्यार्थियों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं ।
प्रधानाचार्य श्री……. का आभार प्रकट करता हूं । जिनके मार्गदर्शन में यह उत्सव मनाया जा रहा है
मेरे अनुभव के आधार पर एक बात कहूंगा कि अगर सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को आज अपने माता-पिता से संस्कार मिल जाए तो ये बच्चे दुनिया के लिए प्रेरणा बन सकते हैं।
बच्चों की शिक्षा का कार्य आज हमारे यह सरकारी स्कूल के अध्यापक बेखूबी करवा रहे हैं।
मगर आयु के अनुसार इन बच्चों को कहीं ना कहीं अभिभावकों से हिम्मत और हौसले की जरूरत होती है। शिक्षक एक विचार देता है,सफलता का सूत्र देता है ।
उस विचार को सींचने और उसे हरा भरा रखना मां-बाप का कर्तव्य होता है।
हो सकता है कोई विद्यार्थी पढ़ाई में औसत अंको से पास हो। परन्तु अगर उन्हें संस्कार और आदर्शों का सहारा मिल जाए तो ये कामयाबी का नया इतिहास लिख सकता है।
इसलिए मैं अपने वक्तव्य में नहीं कहूंगा कि हम अभिभावकगण सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले हमारे बच्चों का हौंसला बढ़ाएं।
समय समय पर स्कूल में बच्चों के बारे में शिक्षको से मिलें
बच्चों को बहुमुखी प्रतिभाशाली बनाने के लिए शिक्षकों का साथ दें।विद्यार्थी के माता पिता और शिक्षकों के तालमेल से उसके जीवन का सफलतम निर्माण होगा ।
मुझे आशा है हम ऐसा संकल्प लेंगे और अपने बच्चों की कामयाबी का रास्ता खोलेंगे।
उन्हें मंजिल नहीं मिलती
जो किस्मत के सहारे हैं
वह जिंदगी मौत है
जो हिम्मत के हारे हैं
धन्यवाद
जय हिंद
स्कूल के वार्षिक उत्सव में रचनात्मकता पर यह स्पीच भी दे सकते हैं।
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प्रेम परिचय को पहचान बनाता है
वीराने को गुलिस्तान बनाता है
मैं आप ही की कहता हूं गैरों की नहीं
प्रेम ही मनुष्य को भगवान बनाता है
आज के कार्यक्रम में मौजूद माननीय मुख्य अतिथि विधायक महोदय, आस पास के गांवों से आए सम्मानीय सरपंच,विद्यालय परिवार से संचालक, प्रिंसीपल,सभी शिक्षकों, बच्चों के अभिभावकों और विद्यार्थियों को और को आज के दिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
आज हम लोग ऐसी बातों पर विचार करेंगे।जिन्हें गहराई से समझा जाए तो वो अति महत्वपूर्ण है, हो सकता है जरूरी ना हो ।
आज हम लोगों पर बात करें तो हम लोग पढ़ाई जैसे जरूरी काम तो कर रहे हैं।
मगर पढ़ाई के साथ अनेक ऐसे महत्वपूर्ण कार्य हैं जो नहीं करते है।
एक बच्चा जब स्कूल में जाता है उसको पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है ।माता पिता का भी सपना होता है कि बच्चा पढ़े।
पढ़ना जरूरत है और जरूरत को पूरा करना अनिवार्य है ।
परंतु केवल आवश्यकताओं पर कार्य करना मनुष्य को जरूरत ही बनाएगा।
मगर महत्वपूर्ण कार्यों पर ध्यान देंगे तो हम समाज महत्वपूर्ण स्थान हासिल करेंगे।
हर इंसान की भावनात्मक इच्छा होती है कि वह महत्वपूर्ण बने
एक विद्यार्थी पढ़ाई करता है।यह हर एक नागरिक का कर्तव्य और उसकी जरूरत है।
मगर पढ़ाई के साथ साथ अगर वह मंच पर बोलना सीख जाता है,इंग्लिश बोलना सीखता है, अच्छी आदतों पर काम करता है, महान लोगों की जीवनी एवं प्रेरक पुस्तकें पढ़कर अपनी जीवनशैली में परिवर्तन करता है,संगीत, विज्ञान या डिजिटल सिस्टम में कोई अन्य रचनात्मक पहल करता है। तो वह महत्वपूर्ण बनने का प्रयास कर रहा है ।
जैसे आज इस विद्यालय में कुछ विद्यार्थी सम्मानित हो रहे हैं।तो कहीं न कहीं उनमें अनूठी प्रतिभा है।
केवल शिक्षा, पढ़ाई से आप एक अच्छे पद को प्राप्त करके या व्यापार में अच्छे पैकेज को पाकर
अपनी जीविका के लक्ष्य को पूरा करते हो।
मगर रचनात्मक गतिविधियों से
जीवन जीने की कला का लक्ष्य पूरा होता है।
पढ़ाई के साथ साथ रचनात्मक कार्य करके हम बहुमुखी प्रतिभा के धनी हो जाते हैं ।
शिक्षा केवल तथ्यों का संकलन या बड़ी डीग्री और प्रथम श्रेणी में उतीर्ण होना नहीं है ।
शिक्षा संस्कार है,
शिक्षा देश धर्म है,
शिक्षा सच्ची नागरिकता है,
शिक्षा स्वावलंबन है,
शिक्षा है मानवता की सेवा,
शिक्षा चरित्र है,
शिक्षा ज्ञान है
दिन ढ़ले बिना सवेरा नहीं होता
दृढ़ संकल्प कभी अधूरा नहीं होता
ग़र हो जज़्बा कुछ कर दिखाने का
तो जीवन में कभी अंधेरा नहीं होता।
अपने वक्तव्य के समापन पर कहूंगा कि हम शिक्षा के साथ-साथ अपने आप को रचनात्मक बनाएं ।
बहुमुखी प्रतिभा विकसित करें।
आज के दौर में ये आसान भी है और अति आवश्यक भी है कि आपमें पढ़ाई के साथ साथ कोई अन्य अनूठी प्रतिभा होनी चाहिये।
जो विद्यार्थी ऐसी बातों पर गहराई से विचार करते हैं। विद्यार्थी जीवन में वो अपने रचनात्मक कार्यों से अपना मजबूत आधार बना लेते हैं।
ऐसे विद्यार्थियों को अच्छे रोजगार आसानी से मिलते हैं और सामाजिक रुतबे में भी हमेशा आगे रहते हैं।
मुझे आशा है और विश्वास करता की आप बहुमुखी प्रतिभा के दम पर खुद को साबित करेंगे और समाज को उज्ज्वल बनाएंगे।
अंत में बेटियों के लिए दो पंक्तियां जरूर कहूंगा कि बेटियों को ख़ूब पढ़ाए।दहेज देने की बजाय इनको शिक्षा का दान दें
बेटी को भी पढ़ा लिखा कर
जीने का हक दिलाओ
बेशक मत दें धन का दहेज
बस बेटी को क़ाबिल बनाओ
धन्यवाद
Nice