देशभक्ति का भाषण हमें हर जगह बोलना होता है, चाहे वो 26 जनवरी हो या 15 अगस्त, स्कूल या कोलेज या कोई मंच का संचालन करते हुए भी, हमें कई बार स्पीच देनी पड़ती है, तो आपके लिए हम लेकर आए है, 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर बोले जाने वाले कुछ बेहतरीन भाषण.
26 जनवरी देशभक्ति भाषण
सबसे पहले आप सभी को 73 वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
मेरे सम्मुख उपस्थित आदर योग्य मुख्य अतिथि श्री……. विद्यालय प्राचार्य ,समस्त अध्यापकों,विद्यार्थियों एवं गांव से पधारे ग्रामवासी, मातृ शक्ति का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ।
ये हम सब के लिए गौरव की बात है कि आज हम गणतंत्र भारत के 73 में वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं।
इसी खुशी में आज हम पूर्ण स्वाधीनता का पर्व मना रहे हैं।
युवा होने के नाते मैं आपसे एक दो बातें सांझा करूँगा।
अगर कोई भी देश वास्तव में अपनी सम्प्रभुता को कायम रखना चाहता है तो इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है देश की युवा पीढ़ी का जागरूक होना।
हमारे देश के युवा वर्ग ने कोरोना संकट काल में घर बैठे हुए डिजिटल रोजगार के विकल्प पैदा करके विकसित भारत का परिचय दिया।
युवा वर्ग में जब जागृति की लहर आती है तो आने वाली पीढ़ी उनसे प्रेरणा लेती है और युवा उम्र के बाद के लोगों के लिए ये युवा सोच सहारा बनती है।
देश का विकास इसी में है कि हम अपनी शक्तियों को केंद्रित करें।चिंतन की विशिष्ट धारा से अपनी भारत भूमि को उज्ज्वल करें।
मैंने लगभग 18 वर्ष विद्यार्थी जीवन जीया है। जहाँ तक मेरी समझ विकसित हुई है।मैंने देखा है कि देश की नई पीढ़ी देश के भाग्य का निर्णय करती है।
कोरोना काल में वैक्सीन का अविष्कार हमारी चिकित्सा प्रणाली की कुशलता और युवाओं की ऊर्जा को परिचय करवाता है।
हमारे विद्यालय प्रशासन और शिक्षकों की ओर से हमेशा बेहतर से बेहतर प्रयास रहते हैं कि विद्यार्थियों को ज्ञान में महारत हासिल हो।
गणतंत्र के इस पावन पर्व पर हम ऐसी शिक्षा का संकल्प लें जिसमें मानवता का भाव हो।
एक कुशल प्रशासक, चिकित्सक, शिक्षक, विद्यार्थी बनने से पूर्व हम मनुष्यता सीखें।
समाज में बढ़ते हुए दिखावा, प्रदर्शन, दम्भ के कारण इंसानियत खोती जा रही है।
हमारे संविधान के संस्थापको का यही सपना था कि गणतंत्र भारत में मानव धर्म का पालन हो।मानव मानव में भेद ना हो।सभी को सम्मान मिले।
आओ हम सब मिलकर अपने लक्ष्य की साधना करते हुए गणतंत्र भारत को और उज्ज्वलता प्रदान करें।
अपने कार्य में दक्षता प्राप्त करें।मानव धर्म को परम लक्ष्य मानते हुए समाज में एक नए जीवन पथ का निर्माण करें।
एक बार पुनः विद्यालय प्रशासन, अध्यापकों और विद्यार्थियों का आभार और गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
देश धर्म को चरितार्थ करती इन दो पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
जय हिंद जय भारत
26 जनवरी मुखिया के लिए भाषण
गणतंत्र के शुभ अवसर पर इकरार करते हैं
आओ अपने गाँव की संस्कृति से प्यार करतें हैं
सबसे पहले आप सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं।
गणतंत्र के पावन दिवस पर उपस्थित सभी माननीय श्रोताओं का तहदिल से स्वागत करता हूँ।
मुझे ये बताते हुए हर्ष हो रहा है कि मैं एक भारतीय गांव का वासी हूँ। गांव की मिट्टी,पहनावे,लोक गीत, रहन सहन से भारतीय संस्कृति के दर्शन होते हैं।
एक गांव का मुखिया होने के नाते मैं गणतंत्र की इस मंच पर यही कहूंगा कि हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों को हमेशा याद रखें। सविधान निर्माताओं और गणतंत्र के संस्थापको के सपनों के भारत का निर्माण करें।
भारत की युवाशक्ति देश का स्वर्णिम भविष्य है।देश युवा नशों का बहिष्कार करें और शिक्षित होकर देश के नवनिर्माण में सहयोग करें।
अपनी आयु की इस ऊर्जा को सही दिशा में लगाकर समाज को रोशन करने का कार्य करें।
बेटियों की भावनाओं को समझते हुए उन्हें शिक्षित करके स्वावलंबी बनाएं।ताकि बेटियों को समाज में आत्मविश्वास से जीने का हक मिले।
बस यही कहूंगा कि अगर हम समाज में इन दायित्वों को जिम्मेदारी से निभाते हैं तो समझो यही गणतंत्र भारत का सम्मान होगा।
बाकी हम छोटे छोटे राग द्वेष को भुलाकर गांव में प्रेम से रहें।
इन दो पंक्तियों के साथ अपने भाषण का समापन करता हूँ।
- बन्धुता और सहयोग
- गांव की यही शान है
- बस मिलकर रहें हमेशा
- यही हमारी पहचान है
26 जनवरी स्कूल के लिए मोटिवेशनल भाषण
माँ भारती के चरणों में शीश झुकाएं
बनकर हमवतन आजादी का दायित्व निभाएं
लिए भावना देश धर्म की
आओ गणतंत्र का महापर्व मनाएं
सबसे पहले आप सभी को 73 वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
मेरे सम्मुख उपस्थित आदर योग्य मुख्य अतिथि श्री……. विद्यालय प्राचार्य ,समस्त अध्यापकों,विद्यार्थियों एवं गांव से पधारे ग्रामवासी, मातृ शक्ति का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ।
युवा होने के नाते मैं आपसे एक दो बातें सांझा करूँगा।
अगर कोई भी देश वास्तव में अपनी सम्प्रभुता को कायम रखना चाहता है तो इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है देश की युवा पीढ़ी का जागरूक होना।
कहते हैं कि
आज भारतवर्ष को ऐसी आत्मविश्वासी,अडिग,लक्ष्यवान सृजनात्मक सोच की जरूरत है।जहाँ मुश्किलें भी घुटने टेक दे।
मैंने लगभग 15 वर्ष विद्यार्थी जीवन जीया है। जहाँ तक मेरी समझ विकसित हुई है।मैंने देखा है कि देश की नई पीढ़ी देश के भाग्य का निर्णय करती है।
हमारे माननीय शिक्षक अपने बेहतर प्रयासों से भारतवर्ष का भविष्य गढ़ने का काम कर रहे हैं
भारतवर्ष के चमकते भविष्य आप विद्यार्थियों को मैं एक बात जरूर कहूंगा कि हम गणतंत्र भारत के 73 वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं।
जिंदगी में हमेशा आप कठिन परिश्रम के लिए तैयार रहें और उसके बाद दुनिया की कोई ताकत आपको सफल होने से रोक नहीं सकती।
क्योंकि ऐसा कहते हैं 1 दिन मंजिल ने हौसलो से कहा कि हटो
तुम्हारे बस की बात नहीं
हौसलों ने भी मंजिल की आंखों में आंखें डाल कर कहा
चल हट तुझे पा ना सके इतनी भी तेरी औकात नहीं
बस जरूरत इस बात की है आप अपने हौंसले बुलन्द रखें और मंजिल पाने की कुब्बत रखें
अपने आत्मबल से परिचित होकर ही देश के नवनिर्माण में सहयोग किया जा सकता है।
इसलिए अपनी पढ़ाई, कोर्स और लक्ष्य साधना के दौरान अपने आत्मविश्वास को अडिग रखें।
बड़ी से बड़ी सफलता कड़ी मेहनत और पुरुषार्थ से हासिल होती है।
एक शेर है बहुत अच्छा
दृढ़ विश्वास पक्का इरादा और
दिलों को जीतने वाली मोहब्बत जहानी
जिंदगानी यह मर्दों की निशानी
जीवन में दूसरों से तुलना करके ख़ुद को कभी कम नहीं समझे।
इस धरती पर हर इंसान अनूठा है।
इस अरबों की दुनियां में जब एक व्यक्ति के अंगूठे का निशान किसी दुसरे से मैच नहीं होता तो ये शारीरिक बनावट और मानसिक क्षमता कैसे समान हो सकती है।
स्वयं की क्षमता को पहचाने और अटूट विश्वास के लक्ष्य सिद्धि में जुट जाएं
आप विद्यार्थियों की नई उम्र की प्रचंड ऊर्जा से ये विश्वास किया जा सकता है कि आप अपने आत्मविश्वास से भारत को एक नई दिशा देंगे।
कुछ करने के लिए मौसम नहीं मन चाहिए
साधन सभी जुट जाते हैं सिर्फ संकल्प का धन चाहिए
हमें ये जीवन अल्प समय के लिए मिला है। छोटे-छोटे शुभ संकल्पों से जीवन जीने की कला सीखें।अपने माता पिता के सम्मान से लेकर सुबह जल्दी जागना,प्रेरक पुस्तकें पढ़ना,कोई रचनात्मक कार्य करना, अपने कपड़े, पुस्तकें, जरूरी सामान व्यवस्थित रखना आपके व्यक्तित्व को उज्ज्वल बनाता है।
ये आदतें एक सफल इंसान की सफलता का आधार होती है।
महान वैज्ञानिक राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा कि छोटी छोटी ग़लत आदतों के कारण अपने जीवन को नष्ट कर लेना दुनियां के लिए भी अपराध है।
इसलिये अच्छी आदतों से संसार को प्रेरक शक्ति देने का कार्य करें।
एक बार पुनः स्कूल प्रशासन, प्राचार्य सर एवं सभी गुरु लोगों और प्रिय विद्यार्थियों का आभार प्रकट करता हूँ जो आपने मुझे इतना सम्मान दिया।
इन विद्यार्थियों की नई उम्र को प्रेरणा देती इन दो पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
दिल यह कहता है कि काम ना कर ,
वक्त का तकाजा है कि आराम ना कर,
और उठ जाग बांध ले कमर ऐ नांदा ,
आगाज को शर्मिंदा ये अंजाम ना कर
जय हिंद जय भारत
26 जनवरी स्कूल के लिए भाषण
सबसे पहले आप सभी को 73 वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
मेरे सम्मुख उपस्थित आदर योग्य मुख्य अतिथि श्री……. विद्यालय प्राचार्य ,समस्त अध्यापकों,विद्यार्थियों एवं गांव से पधारे ग्रामवासी, मातृ शक्ति का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ।
भारतवर्ष के चमकते भविष्य आप विद्यार्थियों को मैं एक बात जरूर कहूंगा कि हम गणतंत्र भारत के 73 वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं।
गणतंत्र का मतलब है जहाँ हर नागरिक संप्रभु हो।
प्रभुत्वसम्पन्न भारत हमारे आत्मविश्वास से ही सुदृढ़ होगा।
अपने आत्मबल से परिचित होकर ही देश के नवनिर्माण में सहयोग किया जा सकता है।
इसलिए अपनी पढ़ाई, कोर्स और लक्ष्य साधना के दौरान अपने आत्मविश्वास को अडिग रखें।
बड़ी से बड़ी सफलता कड़ी मेहनत और पुरुषार्थ से हासिल होती है।
महान कवि सोहनलाल द्विवेदी की लिखी कुछ पंक्तियां बोलना चाहूंगा।
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
अपने प्रयास में कभी कमी नहीं रहनी चाहिए। पूर्णतः प्रयास से जीवन के खेल में अवश्य विजय प्राप्त होती है
नन्ही चींटी जब दाना लेकर चढ़ती है
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
गिरकर चढ़ना चढ़कर गिरना ना अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
आज भारतवर्ष को ऐसी आत्मविश्वासी,अडिग,लक्ष्यवान सृजनात्मक सोच की जरूरत है।
आप विद्यार्थियों की नई उम्र की प्रचंड ऊर्जा से ये विश्वास किया जा सकता है कि आप अपने चिंतन की विशिष्ट धारा से गणतंत्र भारत को एक नई दिशा देंगे।
एक बार पुनः स्कूल प्रशासन, प्राचार्य सर एवं सभी गुरु लोगों और प्रिय विद्यार्थियों का आभार प्रकट करता हूँ जो आपने मुझे इतना सम्मान दिया।
गणतंत्र दिवस की आपको हार्दिक शुभकामनाएं
देशभक्ति से ओतप्रोत इन दो पंक्तियों के साथ अपने वक्तव्य का समापन करता हूँ।
जय हिंद जय भारत
26 जनवरी सभी के लिए सबसे छोटा प्रभावकारी भाषण
- सबको हम सम्मान दिलाएं
- आओ अपना फर्ज निभाएं
- करके सब सविंधान का पालन
- गणतंत्र का जश्न मनाएं
सर्वप्रथम आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
गणतंत्र दिवस ध्वजारोहण के अवसर पर उपस्थित विभाग के चेयर पर्सन अधिकारी और कर्मचारियों(ग्राम सामुदायिक केंद्र पर उपस्थित मुखिया, ग्राम पंचायत सदस्यों और समस्त ग्राम वासियों) (विद्यालय प्रांगण में मौजूद प्रधानाचार्य, अध्यापक गण और विद्यार्थियों)का हार्दिक स्वागत करता हूँ।
भारत के 73वें गणतंत्र दिवस पर हम ऐसे संकल्प लें जिससे कानून व्यवस्था का पालन हो। भारतीय संविधान में लिखी धाराओं के प्रति जागरूक हों।
देश का कोई भी नागरिक अपने पुरुषार्थ और योग्यता से देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हो सकता है।यही हमारे गणतंत्र होने की प्रमाणिकता है।
बस जरूरत है हम अपने शहीदों को याद करें जिन्होंने स्वतंत्रता दिलवाई और संविधान निर्माताओं और गणतन्त्र के संस्थापकों के सपनों के भारत का निर्माण करें।
आपने मुझे यहां अपने विचार प्रकट करने का अवसर दिया, इसके लिए मैं आप सभी का आभार व्यक्त करता हूं।
इन दो पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूँ
- हाथ एक दूसरे से मिलाकर कहो
- गैर को भी गले से लगाकर कहो
- हम हैं भारत के भारत है हमारा घर
- सर झुकाकर नहीं सर उठाकर कहो
जय हिन्द जय भारत
26 जनवरी शिक्षा पर भाषण
जीवन और चरित्र का गठन करते है
आओ ऐसी शिक्षा के लिए यत्न करते हैं
सवर्प्रथम आप सभी को गणतंत्र दिवस के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
प्रांगण में उपस्थित युवाओं, बहनों, बच्चों और बुजुर्गों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ।
मैं कम शब्दों में अपनी बात रखना चाहूंगा कि हमारी शिक्षा संस्कार और चरित्र आधारित हो।इसके लिए समाज में हर शिक्षक और हर अभिभावक प्रतिबद्ध हों।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि विश्व का हर देश आज ज्ञान,विज्ञान तकनीक के शिखरों को छू रहा है।
व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है।छोटे छोटे बच्चों में अविष्कार जन्म ले रहे हैं।
लेकिन इस विकास के बीच आडम्बर और दिखावे की प्रवृति भी तेजी से बढ़ रही है।
आधुनिकता की चकाचौंध में मानवीय संवेदना दम तोड़ रही है।
बौद्धिक विकास के साथ आज अहंकार की प्रवृति बढ़ रही है।उच्च शिक्षा और बड़े पदों पर अहंकार भी बड़े हो रहे हैं।
मेरे मन की आवाज़ है ये की शिक्षा से पहले मनुष्य को मनुष्यता के विशिष्ट गुणों से अवगत करवाया जाए।
श्रद्धा और समर्पण मनुष्य की मौलिकता है।झुकने का भाव व्यक्ति को महान बनाता है।
विश्व के हर देश में मानवता आधारित शिक्षा हो ताकि विश्व बन्धुता हो और बढ़ते हुए प्रदूषण, विश्व युद्ध जैसी सम्भावना, मानव जाति के प्रति निर्ममता को दुनिया से ख़त्म किया जा सके।
आओ मिलकर हम सभी 73वें गणतंत्र दिवस पर ये संकल्प लें कि सबको सम्मान मिले।जीने का अधिकार मिले और हर व्यक्ति मानसिक रूप से स्वतंत्र हो।
इसी के साथ पूरी पृथ्वी को एक सूत्र में पिरोने वाले इन दो शब्दों के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
वसुधैव कुटुम्बकम
26 जनवरी डॉ भीमराव अंबेडकर पर भाषण
सबसे पहले गणतंत्र दिवस की आपको हार्दिक शुभकामनाएं
उपस्थित सभी सुनने वालों को दिल से अभिनंदन करता हूँ।
हमारे वीरों की बहुत बड़ी कुर्बानी बाद हमें आजादी प्राप्त हुई। आजादी से पूर्व और आजादी के बाद कुछ ऐसी विभूतियां रही जिनकी बदौलत भारतीय संविधान बना।हर नागरिक को संप्रभुता मिली और हम 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र हुए।
भारतीय सविधान के निर्माता और गणतंत्र के सँस्थापको में बाबा साहेब का नाम जब आता है तो पिछड़े, दलित, वंचित समाज में एक प्रेरणा जाग उठती है।
स्वतंत्रता से पूर्व भी इन्होंने मजदूर और वंचित वर्ग के लिए विशेष रुप से कार्य किये।मानवता के प्रति अटूट श्रद्धा और निष्ठा के कारण बाबा साहेब का नाम गणतंत्र भारत और भारतीय सविधान निर्माताओं में सबसे ऊपर आता है।
बाबा साहेब का कहना था कि मुझे बहुत पसंद है जो बंधुता,समानता और स्वतंत्रता सिखाता है
भीम राव अम्बेडकर का साहित्य का यथार्थ की धरती से नाता है।वो केवल दलितों और पिछड़ा के ही मसीहा नहीं थे रोने समाज में मानव मात्र की सेवा को लक्ष्य बनाया था।
उन्होंने कहा था कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस स्वतंत्रता ने हमें महान जिम्मेदारियां दी हैं। स्वतंत्रता के बाद से हम कुछ भी गलत होने पर अब अंग्रेजों को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। यदि यहाँ से चीजें गलत हो जाती हैं, तो हमारे पास खुद को छोड़कर, दोष देने के लिए कोई नहीं होगा।
स्वतंत्रता का मतलब है सभी को जीने का अधिकार मिले।
बाबा साहब के लिखे कुछ कथनों पर हम गौर करें अपने जीवन में धारण करें।
अपने आपको शिक्षित करें।और समाज में हर वर्ग को उठाने का कार्य करें।
वे इतिहास नहीं बना सकते जो इतिहास को भूल जाते हैं
शिक्षित बनो, संगठित रहो और उत्तेजित बनो
बाबा साहेब की इसी प्रेरणा से उठें और अपने लक्ष्य सिद्धि के लिए कड़ी मेहनत करें।
आओ हम मिलकर संकल्प लें की बाबा साहब के सपनों का गणतंत्र भारत कैसे बनें।
समता, बन्धुता के जीवनमूल्यों से अमन चैन का परिचय दें।
गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर डॉ भीमराव अंबेडकर को समर्पित इन चारों पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देता हुँ
जय हिंद जय भारत
So nice sir
Heartily thanks sir
Best wishes