15 अगस्त पर देशभक्ति भाषण, 15 August Speech in Hindi, Independence Day Speech in Hindi

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15 अगस्त पर देशभक्ति भाषण, 15 August Speech in Hindi, Independence Day Speech in Hindi:

स्वाधीनता दिवस की आपको हार्दिक शुभकामनाएं।

इस शुभ अवसर पर आपको भाषण की जरूरत रहती है। दोस्तों वक्तव्य में भाषण में हर किसी का अपना अलग एक्सपीरियंस होता है ।मेरा जो अनुभव है आपको बता रहा हूं। आप जब भी देश भक्ति भाषण के लिए या किसी भी तरह के भाषण के लिए मंच पर जाएं,सबसे पहले शायरी से ही आरम्भ करें।

इसके बाद केवल 20 से 25 सैकिंड में सबका स्वागत करें और अपने नाम से अपना परिचय दें।

अपना संबोधन 3 से 7 मिनट तक का ही रखें। क्योंकि कई बार या ज्यादातर कहो तो भाषण को छोटा करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए समय पहले से ही मैनेज करके जाएं ।अगर आपको एक अच्छा वक्ता कहलवाना है।

भाषण लिखने की आप स्वयं कोशिश कीजिए।अगर आप खुद अपने विचार बोलते हैं तो ज्यादा अच्छा होता है ।क्योंकि वह आपके भाव होते हैं ।

अतःआपके लिए यह बहुत अच्छा होगा कि आप ख़ुद देश,समाज,मानवता,तकनीक पर अपने विचार लिखने की कोशिश करें।

बाकी अगर आपको शुरू में कठिनाई आती है ।तो आप के लिए कुछ भाषण यहां उपलब्ध है। अगर आपको ठीक लगे तो इन वक्तव्यों को आप किसी मंच बोल सकते हैं और इन भाषण से आपको लिखने का आईडिया भी मिल जाएगा।

 

1 .राष्ट्रीय एकता देशभक्ति भाषण

कौम को कबीलों में मत बाँटिये
यह सफ़र चंद मीलों में मत बाँटिये
एक नदी की तरह है हमारा वतन
इसे नालों और झीलों में मत बाँटिये

सर्वप्रथम आप सभी को स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं मैं सतीश कुमार आपका हार्दिक अभिनंदन करता हूं।


आए हुए हमारे मुख्य अतिथि, बाहर से आए हुए मेहमान, बच्चे बुजुर्ग ,नारी शक्ति और बहन बेटियों का आभार प्रकट करता हुँ। जो समय निकालकर आप यहां आए और आजादी के इस दिवस पर हमारी राष्ट्रीय एकता का परिचय दिया।

जैसा कि मैंने शुरुआत में कहा हमारा वतन एक नदी की तरह है। ये पंक्तियां सुनने में बहुत अच्छी हैं। मगर जरूरी के हो जाता है कि हम हमारी राष्ट्रीय एकता के लिए क्या कर रहे हैं ?

देशभक्तों ने शहादत दी हिंदुस्तान को आजाद कराने के लिए ।

लेकिन आज हमने मुल्क को मज़हब, जाति, संप्रदाय में बांट दिया।

ठीक है आज शहीदों की याद में ऐसे कार्यक्रम कर रहे हैं ।ऐसी प्रस्तुतियां कर रहे हैं । लेकिन क्या हम आज के दिन इस बात के लिए संकल्पित हो सकते हैं कि हम हिंदुस्तानी है।

हमारी जाति ,धर्म ,संप्रदाय एक है और हम हमेशा एक रहे। अगर हम इस भाव से यह दिन मनाते है तो हमारी स्वतंत्रता की ये घड़ी सार्थक होगी।

वन में पंछी अनेक हैं पर ठिकाना एक है
सबकी भाषाएं भिन्न भिन्न हैं पर तराना एक है
दिल में हो अगर प्यार तो सारा जमाना एक है
हम शिकारी भिन्न भिन्न हैं पर निशाना एक है

आज हमें जरूरत है एक होने की हम लोग कहते हैं पाकिस्तान बुरा है ,चीन बुरा है। हो सकता है वो बुरे हो।

मगर वास्तव में हमारी कमजोरी ये है कि हम एक नहीं है। हमारे देश को नक्सलवाद जातिवाद भाषावाद जैसी आंतरिक समस्याओं ने खोखला कर दिया है ।और ये समस्याएं हमारी आपसी फूट का कारण बनती है।

जिसका विदेशी मुल्क फायदा उठा लेते हैं। आज अगर हमारी एकता हो जाए तो बुरे से बुरे मुल्क भी अच्छे हो जाएंगे।

जब घर में एक हों तो
पड़ोसी भी एक हो जाता है
एक होने की ताकत को देख
दुश्मन भी नेक हो जाता है

आओ हम मिलकर हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता का आह्वान करें ।और मिलकर कुछ ऐसा करें कि देश में अमन, शांति और भाईचारा हो।

स्वदेश प्रेम का गीत सुनाता हुँ
सबको अपना मीत बनाता हुँ
देशहित में हो आचरण मेरा
ऐसी कोई रीत चलाता हुँ

जय हिंद

 

 

2. देशभक्ति भाषण

तमन्ना है जहां सारा ये हिंदुस्तान हो जाए
दुआ करता हुँ हर एक आदमी इंसान हो जाए
मगर यह बात सच होगी तभी जाकर कहीं
की जब प्रेम ही गीता प्रेम कुरान हो जाए

देशप्रेम के इसी मुक्तक के साथ आप सभी को स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

मैं सतीश कुमार आए हुए अतिथियों का ,सुनने वालों का, बच्चे ,बुजुर्गों का ,नारी शक्ति का अभिवादन करता हुँ।

देश प्रेम का संदेश आपके सामने रख रहा हुँ।जब से हमें स्वराज्य प्राप्ति हुई है हमने सामाजिक आर्थिक तकनीकी शैक्षणिक विकास किया है ।और विकास भी बहुत तीव्र गति के साथ हुआ है। जब भी हम अतीत के पन्नों को पलट कर देखते हैं तो हमारे हिंदुस्तान की स्थिति क्या थी और आज हम एक अच्छी स्थिति में खुद को देख रहे हैं।

अब अगर मैं बात करूं तो यह बात कहने सुनने में बहुत अच्छी है लेकिन यह भी सच्चाई है कि हम लोग स्वार्थी हो गए हैं। हमारे शहीदी दिवस ,किसी की शहादत को याद करना मात्र आडम्बर रह गए हैं। यह बात में क्यों कह रहा हूं ,क्योंकि हम अक्सर ऐसे मंचों पर देश प्रेम के नारे देते हैं ।हम राष्ट्रीय एकता का नारा देते हैं।

लेकिन असलियत में हम एक नहीं है ।संप्रदाय ,धर्म ,जाति में बंट चुके हैं। हम यहां तक कि संसद में भी धर्म की राजनीति होने लगी है।

18 जून 2019 को लोकसभा में जो हुआ। उसे देशद्रोह ना कहे तो क्या कहें

राष्ट्रीय एकता को तार तार कर दे
ऐसे वाकिया घटने लगे हैं
क्या करें आम जगहों की बात
संसद में भी ईश्वर अल्लाह बंटने लगे हैं

और आज हमारी इसी समस्या ने हमें खोखला कर दिया है। जज्बाती जुमलों से देश नहीं चलता ना नारों से देश नहीं चलता है। हम लोग कदम क्या उठाते यह महत्वपूर्ण है ।मेरी देशभक्ति मेरे अपने आप से है ।मैं ही हिंदुस्तान हूं मेरा पड़ोस हिंदुस्तान है मेरा गांव हिंदुस्तान है मेरा शहर मेरा राज्य हिंदुस्तान है। समाज में कोई भी समस्या होती है हम दूसरों पर डाल देते हैं प्रशासन पर, राजनीति पर।

आज जरूरत है हम लोगों को जिम्मेवारी लेने की ।हर नागरिक का फर्ज बनता है कि वह देशहित में अपने कदम उठाए।देश में व्यवस्था बनाने के लिए कार्य किए ना कि बिगाड़ने में।

देश प्रेम के इसी सन्देश के साथ इन चार पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देता हुँ।

चाहे ईश्वर अल्लाह रब ख़ुदा का नाम लेता हूं
मगर अमन को अपनी आवाम कहता हूं
मेरी इन नसीहतों को मैं भी जीवन में उतारूँगा
इस वादे के साथ अपनी वाणी को विराम देता हुँ

 

 

3.देशभक्ति भाषण सच्ची श्रद्धांजलि और शिक्षा (15 August)

नाम उसका ही जुबां पर आता है
इतिहास भी उसी का लिखा जाता है
मिटा दी जिंदगानी वतन के लिए जिसने
वही आजादी का इंकलाब लाता है

स्वाधीनता दिवस की आप सभी को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं आए हुए अतिथियों का ,बुजुर्गों का ,बहन बेटियों का, बच्चों का दिल से अभिनंदन करता हूं।

बुजुर्गों के सम्मान में दो पंक्तियां

(15 August)

वह जो सम्मान अपने से बड़ों का आज करते हैं
सफलताओं से दुनिया में वही आगाज करते हैं
हजारों ठोकरें खानी पड़ेगी उनको ए दोस्तों
बुजुर्गों की नसीहत जो नजरअंदाज करते हैं

आज हम शिक्षित हो चुके है।लेकिन आज की इस शिक्षा के साथ हम अपने आदर्श खो चुके चुके हैं ।भूल चुके हैं बुजुर्गों की दुआओं को ,उनके सम्मान को। देशभक्तों की कुर्बानियों को श्रद्धांजलि देनी तो दूर समाज में आदमी का आदमी के प्रति सम्मान भी नहीं कर पा रहे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमें स्वतंत्रता ,समानता का अधिकार मिला। आज हम लोग अपनी स्वतंत्रता का ऐसे प्रयोग करते हैं। जैसे कि इसकी कोई कीमत ही ना हो ।

इस बात को कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है की हमारे अपने स्वार्थ में देशहित ओझल हो गया है। जैसा कि मैंने शुरू में कहा हम शिक्षित हो चुके हैं ।आज हमने बनावटी नकाब बना लिए है।

हम इतिहास पढ़ें और एहसास करें कि जिस आजादी का हम लोग देश हित की बजाए देश का नुकसान करने में प्रयोग करते हैं। उसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है।

आजादी को जीने वालों हमें नहीं पता
कब सूरज छिपता है तो कब दिन चढ़ता है
पर पन्ने पलट कर देखना अतीत के
हर आजादी से पहले मरना पड़ता है

आज हमें जरूरत है असल में शिक्षित होने की जो शिक्षा मानवता आधारित हो ।देश हित में हो। देश में व्यवस्था बनाने के लिए हो ।जिस शिक्षा से दूसरों को सम्मान मिले वहीं पढ़ाई हमें सच्ची सफलता की ओर ले कर जाएगी और यही हमारी सच्ची देशभक्ति होगी।

अपना होकर भी पराएपन का एहसास ना होता
एक दूसरे को पछाड़ने का प्रयास ना होता
किताबी पढ़ाई से ही अगर शिक्षा होती
तो आज मानवता का इतना विनाश ना होता।

आओ हम सब मिलकर ऐसी ही शिक्षा के मंदिर बनाएं और वतन के लिए सच्चे शिक्षार्थी बनें। परमार्थी बनें। दूसरों के लिए अच्छा सोचे। इंसानियत के लिए काम करें ।अगर ऐसा होगा तभी हमारे देश भक्तों की कुर्बानी के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

जीवन का सुंदर आकार बनाती है
नासमझ को समझदार बनाती है
कलम से रिदम में चलती है सांसे
शिक्षा ही स्वयं से साक्षात्कार कराती है

जय हिंद
जय भारत

 

देशभक्ति भाषण कश्मीर धारा 370

(15 August)

 

आजादी का पर्व मनाएंगे
शहादत की गाथा सुनाएंगे
कश्मीर मस्तक बना हिंदुस्तान का
इस बार घाटी में तिरंगा फहराएंगे

आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता के प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज को प्रणाम करता हूं ।इस बार इस स्वतंत्रता दिवस पर हमारे लिए अपार प्रसन्नता का विषय है कि कश्मीर से धारा 370 हट गई।जिससे हमारी राष्ट्रीय एकता और मजबूत हुई है।

वर्षों से इस समस्या ने हमारे देश में अव्यवस्था और अशांति फैलाए रखी और हमारे सैनिक इस संकट के कारण बलिवेदी पर चढ़ते रहे। मगर आज भारत को खंड खंड करने वाली ताकतों को करारी शिकस्त मिली है।

हर एक राष्ट्र का विश्व के लिए एक विशिष्ट कार्य होता है। और जब तक वह आक्रांत नहीं होता तब तक वह राष्ट्र जीवित रहता है चाहे कोई भी संकट क्यों ना आए।

कश्मीर की समस्या से विश्व स्तर पर हमारी विशिष्टता में कमी भी आई। लेकिन इस संकट का सामना करते हुए आज जीत हुई और कश्मीर में तिरंगा लहरा रहा है। किसी भी राष्ट्र की आंतरिक समस्याएं राष्ट्र को कमज़ोर कर देती हैं। देश के गद्दारों से राष्ट्र ढह जाता है।

गद्दारी करने वाले जब तक सजा नहीं पाएंगे
खुलकर हम आजादी का जशन मना नहीं पाएंगे
भीतरघात करने वालों की नकेल नहीं कसी
तो सीमा के प्रहरी भी मुल्क को बचा नहीं पाएंगे

देश के हर नागरिक को संकल्पित होकर शासन का साथ देते हुए गद्दारों से निपटना होगा। बाहरी आंतकवाद से निपटा जा सकता है लेकिन जो आंतकवादी , मुल्क के अंदर बैठे हैं । ढोंग करके जो खुद को देशभक्त दिखाते हैं। उन से कैसे निपटा जाए? सोचने की जरूरत है।

बस बातों ही में नेक रस्में निभा रहे हैं
करके फ़रेब ख़ुद को देशभक्त दिखा रहे हैं
जो खुद को बदल नहीं पाए आज तक
सुना है वो देश बदलने की कसमें उठा रहे हैं

आज जरूरत है हमें स्वयं की मनोवृत्ति बदलने की ,देश हित में सोचने की ।तिरंगा उठाने से, नारे लगाने से वतन परस्ती चरितार्थ नहीं होती । हर एक हिंदुस्तानी को निजी हित त्याग कर देशहित की भावना प्रबल करनी होगी।

समाज सेवा करके अखबारों में छपा देते हैं
वतनपरस्ती से ओतप्रोत होके तिरंगा उठा लेते हैं
आदमी से प्रेम करना जिनके लिए है नामुमकिन
वो देशप्रेम के नारों से आसमान गूंजा देते हैं।

राष्ट्रप्रेम के इन नारों और रस्मों पर धरातल स्तर पर कार्य करें |

ऐसे लोग जो फरेबी हैं मगर राष्ट्रभक्ति का चोला पहने हुए हैं, उनका बहिष्कार करें चाहे वह मेरा अपना हो।धर्म ,जाति, क्षेत्र, भाषा के नाम पर भेदभाव करने वाले लोग खुद ही लुप्त हो जायेंगे अगर हम लोग आज भेदभाव से ऊपर उठकर हमारी राष्ट्रीय एकता की शपथ लें |

बस इसी तरह हम एकत्रित होकर हमारी राष्ट्रीय एकता का परिचय देते रहें ।भावनाओं से राष्ट्र के लिए शुभ कार्यों से हमारी भारतभूमि स्वर्ग बनाए।
आज लघु भारत के रूप में इस प्रांगण के लिए चार पंक्तियां बोलकर देश भक्ति के संदेश को समापन करता हूं।

शहीदों की याद में मेला लगा है
वंदे मातरम से आसमान गुंजा दिया
भेदभाव भुलाकर एकत्रित हो आपने
आज इस प्रांगण को हिंदुस्तान बना दिया

 

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