26 January Speech Script | 26 January Speech in Hindi | Republic Day Speech | Public Speaking on Republic Day

हेलो दोस्तों आज के दिन की आपको हार्दिक शुभकामनाएं

जब भी भाषण देते हैं किसी भी ख़ास दिन पर तो आप यह जरुर ध्यान रखें कि उस विशेष दिन की महत्ता पर प्रकाश जरूर डालें।

अगर आप रिपब्लिक डे पर गणतंत्र दिवस पर स्पीच देते हैं तो वहां पर भारतीय सविधान का कानून,अधिकारों का,कर्तव्यों के प्रति जागरूकता सन्देश होना चाहिये।

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स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों को याद करते हुए
संविधान निर्माताओं श्रद्धांजलि देना और देश में बढ़ रही अव्यवस्था के लिए लोगों को जागरुक करना और सुनने वालों को भावनात्मक रुप से प्रभावित करना,
ऐसा भाषण आपका होना चाहिए।

26 जनवरी के लिए ऐसा ही एक भाषण आप ये बोल सकते हैं।शायरी से शुरुआत कीजिये।

सामाजिक क्रांति का दस्तावेज है
देश के हर नागरिक का सम्मान है
जिसने देश को दी नई दिशा
वह भारतवर्ष का संविधान है

गणतंत्र दिवस की पावन बेला पर संविधान को नमन करते हुए हमारे संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

अपनी आजादी के सशक्त लोकतंत्रात्मक गणतंत्र के उपलक्ष में आयोजित इस कार्यक्रम में पहुंचे आदरणीय मुख्य अतिथि युवाशक्ति,मातृशक्ति,बच्चों,बुजुर्गों,बहन बेटियों और विद्यार्थियों को नमन करता हुँ।

आज हम लोग स्वतंत्र हैं,गणतंत्र हैं। मगर क्या देश के प्रति हम अपने दायित्व सही से निभा रहे हैं।यह गौर करने की बात है।

हम जो कुछ भी आज कर रहे हैं उसके साथ एक सवाल जोड़कर देखते हैं कि मैं जो कुछ भी कर रहा हूं,क्या उससे मेरा देश मजबूत होता है कि नहीं।

परिवार का सदस्य होने के नाते हम हर चीज वो करते हैं जिससे हमारे परिवार की शक्ति बढ़े।

उसी प्रकार से नागरिक के नाते हम वो करें जिससे हमारे देश की ताकत बढ़े। हमारा राष्ट्र शक्तिशाली हो

एक नागरिक जब अपने बच्चों को स्कूल भेजता है तो मां बाप अपना कर्तव्य निभाते हैं ।

लेकिन वह मां बाप जागरुकता पूर्वक अपने बच्चों को मातृ भाषा सीखने का आग्रह रखते हैं तो वो एक नागरिक कर्तव्य निभाते हैं देश सेवा का कर्तव्य निभाते हैं।

एक जागरुक नागरिक के लिए छोटी-छोटी चीजें होती है जिनका पालन उसके लिए देश सेवा बन जाता है

अगर एक नागरिक समय पर टैक्स देता है,बूंद-बूंद पानी बचाता है तो वह अपना कर्तव्य निभाता है।

ऐसे कई दायित्व होते हैं जो एक नागरिक के रूप में,सहज व्यवस्था के रूप में हम विकसित करें।

वक्त कम है
जितना दम है लगा दो
कुछ लोगों को मै जगाता हू
कुछ को तुम जगा दो

आज हमें जागने की जरूरत है धरने,हड़ताल के दौरान सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान,अव्यवस्था फैलाने वाले देश के सच्चे नागरिक नहीं कहला सकते।

केवल वोट देना ही नागरिकता नहीं है,नागरिकता है सार्वजनिक सम्पति को बचाना,सही प्रयोग करना
नागरिकता है राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखने की सोच रखना।

नागरिकता है मानवीय गरिमा का सम्मान करना।

आओ हम संकल्प ले ऐसा नागरिक बनने का और आह्वान करें कि भारतवर्ष के हर नागरिक के दिल में देश की परवाह हो।

अपने देश को जगमगाने वाले ही देश की सच्ची संतान होते हैं।
इन चार पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देता

सफर-ऐ-शहादत तय करते हैं वो
जो जूझते हैं जुझार बनकर
जीते नही जाते अतीत जैसे जो गुजरते हैं तुफान बनकर
क्या मिटाऐगा निशान बनकर उनके कोई
जो हुए हैं पैदा भारतवर्ष की संतान बनकर

जय हिंद जय भारत

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एक भाषण ये भी बोल सकते हैं

तुम्हारे दिल में रहता जो वही अरमान दिल में है
मेरा मज़हब कोई भी हो मगर इमान दिल में है
मुझ पर यह कृपा की है कलम दे करके ईश्वर ने
मोहब्बत शायरी में और हिंदुस्तान दिल में है

सर्वप्रथम आप सभी को मेरी ओर से सादर प्रणाम ।
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।

कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि,बच्चों,बुजुर्गों,नारी शक्ति एवं युवाओं का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ

जबसे हमें स्वराज्य प्राप्ति हुई है, हमने आर्थिक,सामाजिक,तकनीकी यानी हर क्षेत्र में विकास किया है आज हमारा देश विकासशील देशों में आता है।

जो हमारी मेहनत और हिम्मत का परिणाम है।

बौद्धिक स्तर पर हमारी उपलब्धियां बेशुमार है।

मगर इन सब उपलब्धियों के बावजूद हम मानवीय गरिमा को दिन प्रतिदिन खोते जा रहे हैं।

भारत देश जिसको संस्कारों की धरती कहा जाता है।

उस देश में आज भ्रष्टाचार,
अपराध चरम सीमा पर है। गला काट प्रतियोगिता चल रही है।

बेशक किसी को बड़ा नुकसान हो जाए,बस अपना स्वार्थ सिद्ध होना चाहिए।

इस तरह के कार्य वो लोग कर रहे हैं जो कही न कही लोगों की नजरों में अच्छे बने हुए हैं।
खुद को श्रेष्ठ दिखाते हैं।

श्रेष्ठता का नकाब ओढ़ कर बुराई करते हैं।

बस बातों ही में नेक रस्में निभा रहे हैं
करके फ़रेब ख़ुद को देशभक्त दिखा रहे हैं
जो खुद को बदल नहीं पाए आज तक
सुना है वो देश बदलने की कसमें उठा रहे हैं

अभी हाल ही में 3 जनवरी को उत्तर प्रदेश के मुरादनगर में श्मशान घाट में घटित दुर्घटना से लगता है मानवता मर चुकी है।

छत के गिरने से 23 लोगों की मृत्यु हो गई।

ये है भ्रष्टाचार का परिणाम।
ज़मीर बेचने वालों के लिए मानव सिर्फ साधन होता है,साध्य नहीं

इंसान को इंसान समझना मुश्किल होता जा रहा है।

बताए जो देश की जर्जर हालत
तो पत्थर भी आंसु बहाने लगेंगे
इंसानियत जो खो गई है किसी भीड़ में
उसे ढूंढने में जमाने लगेंगे

इस तरह की मानसिकता अगर हमारी है तो हमारी आज़ादी अभी अधूरी है।
गणतंत्र दिवस की इस बेला पर हमारी खुशियां,हमारे ये आयोजन तभी सफल माने जाएंगे जब हम अपने अधिकारों का सही प्रयोग करेंगे ।

मानवीय हित के लिए कार्य करेंगे अपने अधिकारों के साथ अपने कर्तव्यों को भी हमेशा याद रखेंगे। व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए किसी का गला नहीं काटेंगे।

किसी के लालच की वजह से, किसी के व्यक्तिगत स्वार्थ की वजह से,घूसखोरी,रिश्वतखोरी के कारण अगर मानवीय क्षति होती है।
जिस तरह से मुरादनगर में हुई है। तो ऐसे लोगों को कठोर से कठोर दंड दिया जाना चाहिए

क्योंकि ऐसे लोगों का जमीर इतना मर चुका है,जिस को जगाने के लिए प्रेम प्रयाप्त नहीं है।उनके लिए दंड ही उचित होगा।

आज हम ऊंची जीवनशैली,ऊंची शिक्षा के साथ-साथ उच्च विचार भी विकसित करें। इंसान को इंसान समझे ।

यही हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

मानवीय गरिमा को समर्पित इन दो पंक्तियों के साथ अपने वक्तव्य का समापन करता हुँ।

मेरे पावन मन मंदिर का मानव ही भगवान है
मानवता की आराधना मेरा लक्ष्य महान है
जय हिंद
जय भारत

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