आंख पर पट्टी बांधकर पढ़ने का रहस्य: विज्ञान या जादू? Truth of third eye

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आज भारत में तीसरे नेत्र (third eye) या मन की शक्तियों की बातें होती है। कुछ लोगों ने इसे third eye activation का नाम दे रखा है। मगर इसके पीछे का राज कुछ और है।

Third eye activation एक बहुत बड़ी उपलब्धि है,जो आज के समय में किसी इंसान में मिलनी बहुत दुर्लभ है। हां संभव नहीं है।ऋषि मुनियों, साधु संतों का साहित्य पढ़ने से पता लगता है कि ऐसा हो सकता है कि मनुष्य का तीसरा नेत्र खुल जाए।

मगर आज के समय में किसी ने कुछ बाहरी विधियां सीख कर उसे ही Third eye activation का नाम दे दिया। इस तरह की एजुकेशन देने वाले इंस्टिट्यूट आज के समय में खूब फल फूल रहे हैं।

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आंखों पर पट्टी बांधकर पढ़ने की तकनीक

आंखों पर पट्टी बांधकर पढ़ने की एक तकनीक (third eye) होती है। जिसके तहत पढ़ने वाला खुद ही अपनी पट्टी लेकर आता है। असल में उसे पट्टी के नीचे से उसे दिखाई देता है। और वह किताब को सूंघकर या किताब पर हाथ रखकर आसानी से पढ़ देता है।

हां इतना जरूर कहूंगा की आंख पर पट्टी बांधने के बाद भी पढ़ने की प्रैक्टिस होती है। एक स्टूडेंट इतनी मेहनत जरुर करता है कि वह पट्टी बांधने के बाद थोड़ा कुछ दिखने पर बार-बार पढ़ने की प्रैक्टिस करता है।

जो जितना इस अभ्यास में पारंगत हो जाता है।तो वह बड़ी-बड़ी स्टेज पर यह चैनल पर आकर अपनी कला का प्रदर्शन करता है। जब उसे ऐसा पूछा जाता है कि यह क्या है तो वह यही बतायेगा कि यह Third eye activation का चमत्कार है। फिर वहां से उनके स्टूडेंट जुड़ने शुरू हो जाते हैं।और ऐसे में यह एक अच्छा व्यवसाय बन गया है।

बड़े-बड़े सेलिब्रिटी और चैनल ऑब्जेक्शन नहीं करते

अगर आपको ऐसा लगता है कि बड़े-बड़े चैनल पर ऐसी चीज दिखाई जाती है,जिस पर कोई ऑब्जेक्शन नहीं होता, तो आपकी रुचि के लिए बता देता हूं की असल में यह चैनल या बड़े-बड़े सेलिब्रिटी भी आपस में जुड़े होते हैं।

इसलिए आप चैनल पर भी देखेंगे तो आपको लगेगा कि अमिताभ बच्चन, कपिल शर्मा जैसे सेलिब्रिटी भी Third eye activation के इस आडंबर को बड़ी हैरत से देखते हैं।

आंखों पर पट्टी बांधकर पढ़ने वालों की पोल कैसे खुलती है।

अगर अभी भी आपको लगता है की आंखों पर पट्टी बांधकर पढ़ा जा सकता है तो दोस्तों आप एक काम कर सकते हैं। कोई बच्चा दावा करें कि मैं ऐसा कर सकता हूं तो आप अपने पास कुछ कॉटन और एक पट्टी रखें। इसके बाद आप उसे पढ़ने वाले की आंखें बंद करवा के उस पर कॉटन लगाएं। कॉटन के चारों तरफ हल्की टेप लगा दे। अच्छी तरह से चारों तरफ से आंखें ढक दें। इसके बाद ऊपर पट्टी बांध दें। अब आप उसके सामने कोई भी किताब लेकर जाएं तो देखे वह पढ़ पाएगा या नहीं। वह एक शब्द भी नहीं पढ़ पाएगा।

मैं तो इतना कहूंगा कि आंख पर पट्टी बांधे बच्चे के सामने किसी व्यक्ति को खड़ा करें और यह पूछे कि यह व्यक्ति बुजुर्ग है ,नौजवान है या बच्चा है। अगर पट्टी अच्छे से बंधी है वह इतना भी बता पाने में असमर्थ होगा।

बच्चों को ऐसी प्रतिभा ना सिखाएं

इस पोस्ट को डालने का मेरा लक्ष्य किसी की प्रतिभा पर उंगली उठाने का नहीं है। प्रतिभाओं को किसी पर्दे की या किसी चमत्कार की जरूरत नहीं होती। प्रतिभा स्पष्ट होती है। मेरा बस यही लक्ष्य है कि बच्चों को एक स्पष्ट हुनर सिखाएं। अपने बच्चों को ऐसे फरेब या झूठी शिक्षा से दूर रखें, नहीं तो इससे बच्चों का व्यक्तित्व बिगड़ जाएगा।

दोस्तों अगर आप भी यह सीखकर ऐसा करना चाहते हैं तो बेशक आप सीखिए मगर मगर इसे चमत्कार या तीसरे नेत्र का नाम न देकर केवल इतना ही बताएं कि कि यह एक विशेष पट्टी है और इसी को बांधकर ऐसा पढ़ा जा सकता है। ताकि लोग इस धोखे से बच सके और ऐसा आडंबर लोग ना करें।


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