Subhas Chandra Bose जयंती भाषण | पराक्रम दिवस भाषण

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सुभाष चंद्र बोस एक महान क्रांतिकारी हुए हैं जिनके अदम्य उत्साह और साहस के कारण उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाते हैं। 23 जनवरी को महान क्रांतिकारी सुभाष चंद्र बोस की जयंती होती है। सुभाष चंद्र बोस एक ऐसे क्रांतिकारी हुए, जिन्होंने एक नारा दिया”तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा” यह नारा इतना प्रचंड था की सुनकर भारतीय महिलाओं ने अपने गहने उतार कर देश सेवा के लिए अर्पित कर दिए। सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज बनाई। यह राष्ट्रवादी नेता थे जिन्होंने पूर्ण स्वराज की मांग की थी। इस कारण यह अंग्रेजों की आंखों में खटकते थे। मगर इस महान सपूत ने निडर होकर अंग्रेजों का सामना किया और देश सेवा में खुद को अर्पित किया। 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के दिन अगर आपने भाषण देना हो तो मैंने दो-तीन स्पीच लिखे हैं,आप बोल सकते हैं।

Subhas Chandra Bose जयंती भाषण | पराक्रम दिवस भाषण

मेरी आजादी पर कुर्बान फ़रिश्ते
तेरी शहादत के पल यादगार रहे
जितनी दुआ आज है मेरे मन में
ये दुआ हर दिन बरकरार रहे

सबसे पहले महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। पराक्रम दिवस पर उपस्थित माननीय मुख्य अतिथि महोदय और सभी सुनने वालों का अभिनंदन करता हूं। भारतभूमि पर ऐसे शूरवीर पैदा हुए, जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। सन 1897 में आज के दिन भारतभूमि पर एक ऐसे शूरवीर ने जन्म लिया। जिसके पराक्रम और पुरुषार्थ से मां भारती गदगद हो गई।

तजुर्बा शेर को ख़ामोश होना सिखाता है
क्योंकि दहाड़कर कभी शिकार नहीं होते
लकीर को छोड़ अपने अनूठेपन को पहचानो
अनूठे काम कभी नियमों के अनुसार नहीं होते

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवन शैली अनूठी थी। उनका नजरिया अलग था। नेता जी ने भारत की आजादी और राष्ट्रहित के लिए युवा फौलाद को चिंगारी देने का काम किया। नेता जी का यह कथन था की “जीवन में प्रगति का आशय यह है कि शंका संदेह उठते रहें और उनके समाधान के प्रयास का क्रम चलता रहे।”

अपने इन्हीं प्रचंड भावों की वजह से उन्होंने आजाद हिंद फौज बनाई। नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक प्रेरक शक्ति थे। जब उन्होंने का नारा दिया।”तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा”‌ तो भारत कि नारियों में भी देशभक्ति की लहर पैदा हो गई थी। माताओं बहनों ने देश की आजादी के लिए अपने गहने तक उतार कर दे दिए।

जय हिंद के नारे ने युवाओं में फौलाद भरने का काम किया। नेताजी एक स्वाभिमानी पुरुष थे जिनका मानना था‌ की सबसे बड़ा अपराध अन्याय को सहना और गलत के साथ समझौता करना होता है।

फूल बन कर जो जिया वो यहाँ मसला गया
जीस्त को फ़ौलाद के साँचे में ढलना चाहिए
छिनता हो जब तुम्हारा हक़ कोई उस वक़्त तो
आँख से आँसू नहीं शोला निकलना चाहिए

उनकी इसी सोच ने युवाओं में राष्ट्रवाद‌ की भावना पैदा की। आज के समय जरूरत है नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विचारों से प्रेरणा लेने की। जिस तरह उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपनी असफलता को सफलता का स्तंभ बनाया, आज हम भी प्रेरित हों और अपने लक्ष्य के लिए अनवरत साधना करें। कोई भी कार्य करें‌ यह सवाल मन में रहना चाहिए कि इससे राष्ट्र विकास‌ में क्या योगदान होता है। भारत को प्रेरक शक्ति के रूप में बनाने के लिए नेता जी के विचारों पर चलना ही काफी हैं। इन्हीं शब्दों के साथ मैं आशा करता हूं की पराक्रम दिवस के शुभ अवसर पर हम राष्ट्रहित के लिए संकल्प लेंगे। 2 पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूं।

जिनमें सर उठाकर जीने की हिम्मत नहीं
वो इस मुर्दापन से कभी आपको दगा देंगे
ऐसी जिंदा लाशों का मर जाना बेहतर होगा
ये जिंदा रहे तो समाज को कायर बना देंगे

Subhash Chandra BOS Jayanti bhashan

जय हिन्द के नारे का प्रचंड आवेग
वो आजादी के लिए मतवाले थे
पूर्ण स्वराज्य की मांग पर अड़े रहे
सुभाष चन्द्र बोस ऐसे हटवाले थे

सबसे पहले आप सभी को महान क्रांतिकारी सुभाष चंद्र बोस जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सभा में उपस्थित माननीय मुख्य अतिथि महोदय, युवा साथी और मातृशक्ति का अभिवादन करता हुं। 23 जनवरी के दिन भारतभूमि पर एक ऐसे शूरवीर ने जन्म लिया। जिसके शौर्य और स्वाभिमान की गाथा से मां भारती गदगद हो गई।

सन 1897 में आज ही के दिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता सुभाष चंद्र बोस का जन्म हुआ। उनकी याद में आज का दिन शौर्य दिवस के रुप में मनाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा
दिल्ली चलो
जय हिन्द

ऐसे नारों से सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नई जान फूंकी थी। उनके जोशीले नारे ने सारे भारत को एकता के सूत्र में बांधने का काम किया। ऐसे नारे हैं जिनको सुनकर और याद करके मन में देशभक्ति की भावना हिलोरे लेने लगती है।

मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है
हर पल ज़िन्दगी का इम्तिहान होता है
डरने वालों को कुछ नहीं मिलता यहाँ
लड़ने वालों के कदमो में जहान होता है

महान क्रांतिकारी सुभाष चंद्र बोस ने कहा था कि संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया। मुझ में आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ, जो पहले मुझ में नहीं था। उनके इस विचार से प्रेरित होकर हम भी अपने इरादों को मजबूत रखें। जीवन में विपरीत परिस्थितियां आएंगी तो हम उनका सामना करेंगे और सामना करेंगे तो अंदर विश्वास पैदा होगा। इसलिए अपने लक्ष्य पथ पर हमेशा चलते रहें।

सुभाष चंद्र बोस एक क्रांतिकारी होने के साथ-साथ एक महान प्रेरक शक्ति थे। देश के प्रति उनके महान विचार हमारे युवाओं में ऊर्जा का संचार कर देते हैं। गाँधी जी जब पूर्ण स्वराज्य की माँग से सहमत नहीं थे। इस अधिवेशन में उन्होंने अंग्रेज़ सरकार से डोमिनियन स्टेटस माँगने की ठान ली थी। लेकिन सुभाष बाबू को पूर्ण स्वराज की माँग से पीछे हटना मंजूर नहीं था। और इसमें वो सफल हुए। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक बार कहा था कि मुझे यह नहीं मालूम कि स्वतंत्रता के इस युद्ध में हम में से कौन कौन जीवित बचेंगे। परन्तु मैं यह जानता हूँ कि अंत में विजय हमारी ही होगी। देश के प्रति निष्ठा और अपने प्रयास में उनका प्रचंड विश्वास था।

करना है चमत्कार तो चरित्र को सूरज जैसा चमकाना होगा
आती जाती सांसों में उत्साह का प्रवाह लाना होगा
परिस्थितियां अनुकूल हो या ना हो
पर दृष्टिकोण को मजबूत बनाना होगा

सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन पर मैं यही कहना चाहूंगा कि हम उनके विचारों से उनके जीवन से प्रेरणा लें। राष्ट्रहित में शुभ कर्म करने का संकल्प लें। उनके जीवन की हर कहानी हिम्मत और अदम्य साहस से भरी है। उनके महान विचार पर पहुंचाने का सामर्थ्य रखते हैं। अपने वक्तव्य के समापन पर आशा करता हूं कि स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले सुभाष चंद्र बोस का युगों युगों तक पथ प्रदर्शन किया जाए। जय हिंद जय भारत

23 जनवरी पराक्रम दिवस भाषण

सबसे पहले विद्यालय परिवार के सभी सम्मानित अध्यापकों,नॉन टीचिंग स्टाफ एवम भविष्य की तस्वीर आप विद्यार्थियों को नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयन्ती पर हार्दिक शुभकामनाएं

हिंदू के नहीं ये मुसलमान की नहीं है
है हिंद जिसका नाम ये शहीदों की ज़मी है

नेता जी सही मायने में सच्चे नेता थे ।उनके कहे एक एक शब्द जोश और देशभक्ति से ओत प्रोत है। जिनकी प्रेरणा को,जिनके शब्दों को आज हम लोग पढ़कर अगर अपने जीवन में अपनाएं तो हम देश धर्म का पालन कर सकते हैं। 23 जनवरी 1897 को जन्में ये महान सपूत भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था।

तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा !” ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं. हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगी, हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए. ऐसी ताकत उनमें थी और देश धर्म की प्रबल भावना और गहरे आत्मबल से उन्होंने जापान, जर्मनी जैसे देशों में जाकर फ़ौज का गठन किया। उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है।

“तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूँगा” का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया।भारतवासी उन्हें ‘नेता जी’ के नाम से सम्बोधित करते हैं। मात्र एक व्यक्ति ने अपनी वतन परस्ती की हिलोरें लेती भावनाओं से ब्रिटिश सरकार की जड़ें हिला दी।और 1941 में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें ख़त्म करने का आदेश दे दिया। नेताजी की मृत्यु के बारे में आज भी विवाद है। उनके परिवार के लोग मानते हैं कि उनकी मृत्यु 1945 में नहीं हुई

मगर जापान में 18 अगस्त को उनका शहीदी दिवस बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। आज तुम उनके जन्मदिन के अवसर पर देश के लिए जीने का संकल्प लें ।

अपना आत्मबल बढ़ाएं।
हम जीवन में जो भी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं ।
उसके लिए अदम्य साहस और ऐसे काम करें जिससे राष्ट्र की उन्नति होती हो ।
जो हमारे नेताजी सुभाष चंद्र बोस का सपना था और उनके खुद के ऐसे कर्म थे।

किसी भी महान व्यक्ति को याद करना, श्रद्धांजलि देना तभी सार्थक होता है जब हम उनके नक्शे कदम पर चले। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर हम मिलकर आह्वान करें की हम राष्ट्रहित के लिए काम करेंगे। अपने पवित्र लक्ष्यों के लिए हमेशा अपने कर्तव्य पर अग्रसर रहेंगे। धन्यवाद


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