गांधी जयंती भाषण |Mahatma Gandhi Jayanti Script

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गांधी जयंती भारत में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण दिवस है, जो महात्मा गांधी के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। यह दिवस हर साल 2 अक्टूबर को मनाया जाता है, जिसे विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी जाना जाता है।

महात्मा गांधी को भारत के राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने सत्य और अहिंसा के आदर्शों पर चलकर भारत को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराया था ।

गांधी जयंती (gandhi jayanti) के अवसर पर, पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें प्रार्थना सभाएं, स्मृति समारोह और गांधी जी के जीवन और कार्यों पर चर्चाएं शामिल होती हैं । लोग गांधी जी की मूर्तियों पर फूल और मालाएं चढ़ाते हैं और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं।

इस दिन को मनाने का उद्देश्य गांधी जी के आदर्शों को याद रखना और उनके सपनों को पूरा करने के लिए काम करना है। यह दिवस हमें अहिंसा, सत्य और सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है ।

गांधी जयंती को राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन किसी कार्यक्रम में बोलने के लिए ये भाषण लिखे हैं। आशा है आपको पसंद आएंगे। सुनने वालों को प्रेरित करने वाले भाषण हैं।

गांधी जयंती भाषण | 2 अक्टूबर गांधी जयंती समारोह भाषण | Gandhi Jayanti Per Bhashan|

स्वयं का स्वयं पर प्रभाव हो
मानव का मानव से लगाव हो
राष्ट्रपिता बापु का पूरा होगा सपना
जब हृदयों में करूणा का भाव हो

सर्वप्रथम गांधी जयंती की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जयंती पर अयोजित कार्यक्रम में उपस्थित सभी मेहमानों का अभिवादन करता हुं।

लोहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने कहा है कि
“इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।”

भाई पटेल की यह बात बिल्कुल सत्य है। भारत भूमि पर ऋषि-मुनियों से लेकर समाज सुधारक और अनेक महान विचारकों ने जन्म लिया है।

भारत के गुजरात राज्य में पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को एक ऐसी ही महान विभूति ने जन्म लिया जो राष्ट्रपिता कहलाए।

बचपन से मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से विख्यात इस महापुरूष ने उच्च श्रेणी की बुद्धिमता और योग्यता होने के बावजूद ख़ुद को मानव धर्म के लिए
समर्पित कर दिया।

जिंदगी को ओर भी जिंदा बनायेगे
हम कलम से खून का रिश्ता निभाएंगे
ताज ओर मीनार किस काम के
सबसे पहले आदमी का घर बनायेगे

गांधी जी विदेश से शिक्षित होकर एक बड़ा व्यवसाय या पद प्रतिष्ठा हासिल कर सकते थे। मगर इनकी आत्मा में कहीं न कहीं मानवता के लिए जगह थी।
भारत की दयनीय स्थिति और अंग्रेजो के अत्याचार ने उनकी मानव धर्म की भावना को मजबूत कर दिया।

इस तरह उन्होंने सादगी भरे जीवन के साथ सत्य,अहिंसा पर चलते हुए सत्याग्रह , सविनय अवज्ञा, अंग्रेजो भारत छोड़ो, दांडी यात्रा जैसे आन्दोलन चलाकर भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अगर आज हम वास्तव में गांधी जयंती मना रहे हैं तो इस भावना से मनाएं की गांधी जी के विचारों का अनुकरण करेगें। किसी विशेष दिन की महत्ता तभी प्रकट होती है जब हम कोई शुभ संकल्प लेते हैं।

दिन निकला हर दिन जैसा
पर आज का दिन कुछ ख़ास हो
अपने लिए तो जीते हैं रोज
आज सबके भले की अरदास हो

गांधी जी ने कहा है कि “व्यक्ति अपने विचारों के सिवाय कुछ नहीं है। वह जो सोचता है, वह बन जाता है।”

हम वैचारिक रूप से समृद्ध बनें। अपने मन में पवित्र भावों को संचित करें। जिससे इन्सान में द्वेष, नफरत, क्रोध, दंभ जैसी दूषित भावनाएं दूर होंगी।
ऐसे गुणों से मन में निडरता आती है।

प्रेम कला पर अधिकार करता है
अपनी जादूगरी से चमत्कार करता है
जीवनदायी तत्व अमृत है प्रेम
प्रेम ही स्वयं को साकार करता हैं

गांधी जी ने प्रेम को लेकर अपनी भावनाएं लिखी हैं की “कोई कायर प्यार नहीं कर सकता है।यह तो बहादुर की निशानी है।”

हम आपस में प्रेम से रहने का संकल्प लें। मन में प्रेम और विश्वास के भाव होंगे तो सत्य अहिंसा हमारे जीवन में स्वयं सिद्ध हो जाएंगे।

इन्हीं शब्दों के साथ मैं आशा करता हूं कि हम सभी गांधी जी के सद्विचारों और जीवन का अनुकरण करते हुए मानवता का पालन करेगें।

हृदय में करूणा भाव संजोकर पुरुषार्थ करेगें

इन्हीं शब्दों के साथ आए हुए अतिथियों का आभार एवम आप सभी को गांधी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं

जय हिन्द जय भारत

महात्मा गांधी जयंती भाषण | गांधी जयंती पर 10 लाइन | gandhi jayanti bhashan

ज़ख़्म तो आएँगे पर मरहम नहीं आने वाला
सादगी के लिए कोई परचम नहीं आने वाला ।
आगे आने वाली कई सदियों को तरसना होगा
राष्ट्रपिता बापू जैसा युग प्रवर्तक नहीं आने वाला

सबसे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जयंती की आपको शुभकामनाएं।

इस अवसर पर उपस्थित माननीय मुख्य अतिथि श्री …. और उपस्थित सभी सज्जनों का स्वागत करता हुं।

आज उस युगपुरुष की जयंती है जिसने मानवता के लिए ख़ुद को समर्पित कर दिया।
गांधी जी ने जब दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार को देखा तो उनका मन पीड़ा से भर गया। जिसके बाद गांधी जी ने मानव मात्र के कल्याण के लिए अपनी वकालत, पद, व्यवसाय को त्याग दिया और भारतीयों के सम्मान के साथ साथ भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में कूद पड़े।

ऐसा तभी होता जब किसी पुरुष में एक महान चेतना छुपी हो। जिसमें उद्धारक की भावना हो।
ऐसी भावनाओं और मानव धर्म को समर्पित गांधी जी ने सत्य और अहिंसा को अपने जीवन का शस्त्र बनाया।

जिन्होंने कहा था की अहिंसा बलवान का हथियार है। किसी से डरकर शस्त्र न उठाना अहिंसा नहीं है। एक निर्बल और भीरू अहिंसा और सत्य की दिव्यता को नहीं जान सकता ।

झुक जाते हैं जो आपके लिए किसी हद तक
भाव भरे हृदय उनके अपार होते हैं
किसी की सरलता को कमजोरी मत समझना
असल में सरल स्वभाव उसके संस्कार होते हैं

गांधी जी ऐसे ही सरल व्यक्तित्व के धनी थे।
जिन्होंने दुनियां को निष्ठावान हो कर स्वालंबन का रास्ता दिखाया।

भारतभूमि के लिए ये सौभाग्य की बात है कि 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन को विश्व अहिंसा दिवस रूप में स्वीकार किया गया। आज पूरे विश्व में अहिंसा दिवस मनाया जा रहा है।

आज का दिन संकल्प का दिन है।हमें आज मानव धर्म के लिए संकल्प लेने की जरूरत है। सर्व हिताय सर्व सुखाय की भावना पैदा करके गांधी जी के सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलना ही उनके जन्मदिन पर सच्चा सम्मान होगा।

मन में इन्सानियत का बीज बोएं। जीवों पर दया करें। मन, वाणी और कर्म से हमेशा अहिंसक रहें ताकि राम राज्य हो। गांधी जी ने सत्य और अहिंसा को परम धर्म मानते हुए भारतवर्ष में रामराज्य की कल्पना की थी।

अगर हम आज पवित्र संकल्प लेते हैं तो गांधी जी के सपनों के समाज का निर्माण होगा।

गांधी जयंती एवं विश्व अहिंसा दिवस के शुभ अवसर पर यही कहूंगा कि हम सभी आत्म प्रेरित होकर अपने भीतर करूणा का भाव भरें।

इन्हीं शब्दों के साथ मैं आशा करता हुं कि युगनिर्माता, मानव उद्धारक, समदर्शी और सर्वप्रिय राष्ट्र पिता महात्मा गांधी का पथ प्रदर्शन करेंगे।

गांधी जी के पवित्र भावों को इंगित करती दो पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूं।

छोटी सी झलक विश्वास का बीज बो जाती है
पलभर में हृदय को प्रेम के सूत्र में पिरो जाती है
श्रद्धा इंसान के हृदय की आंख होती है
श्रद्धा के जन्म से जीवन में क्रांति हो जाती है

धन्यवाद

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आकाश का चमकता सितारा था
जो अंधेरों से कई बार हारा था
सत्य अहिंसा था जिसका मज़हब
वो बापू बेसहारों का सहारा था

सबसे पहले आपको गांधी जयंती एवं विश्व अहिंसा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

सुबह की सभा में उपस्थित सभी शिक्षकों एवम विद्यार्थियों का स्वागत करता हुं।

आज पूरे भारतवर्ष में गांधी जी को याद किया जा रहा है। गांधी जी जिन्होंने सत्य अहिंसा के परम धर्म का पालन करते हुए मानवता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।

उनकी हृदय में सत्य और अहिंसा के भाव थे। हम सभी गांधी जी के सिद्धांतों से काफी परिचित है और उनकी कोई कहानी, विचार अपनी पढाई के दौरान पढ़ते हैं।

आज आधुनिक भारत के परिवेश को देखा जाए तो हमें गांधी जी की जरूरत है। आज हम शैक्षणिक, तकनीकी, वैज्ञानिक, आर्थिक रूप से विकास के शिखर छू रहे हैं।
हमारे लिए ये गौरव की बात है।
मगर इस गौरव के भाव के साथ हमने बुराइयां भी पाल ली है।

बताएं जो देश की जर्जर हालत
तो पत्थर भी आंसू बहाने लगेंगे
इंसानियत जो खो गई है किसी भीड़ में
उसे ढूंढने में जमाने लगेंगे

आज पढ़े लिखे लोगों में भी गला काट प्रतियोगिता चल रही है। एक दुसरे से आगे निकलने की होड़ में मानवता तार तार हो रही है। बातों में तो हम बोलते हैं कि शिक्षा दिव्य दृष्टि देती है। शिक्षा मनुष्य का तीसरा नेत्र है।

मगर असलियत कुछ और है। पढ़े लिखे लोग उच्च श्रेणी में उत्तीर्ण होकर बड़े पदों पर बैठकर रिश्वतखोर बन जाते हैं।
सरकारी पदों पर या अन्य किसी सत्ता पर काबिज लोग इतने निर्दयी हो गए हैं कि किसी गरीब, निर्धन को भी लूटने में कसर नहीं छोड़ते।

गांधी जी का सत्य ये नहीं की हम सत्य की बात करें या सत्य ही बोलें। निष्ठायुक्त स्वावलंबन भी सत्य है। अपने स्वार्थ के लिए झूठ फरेब करना असत्य है।

दिन प्रतिदिन इन्सान का जमीर दम तोड़ रहा है।

पढ़े लिखे पद प्रतिष्ठित लोगों में द्वेष, ईर्ष्या, आडम्बर अहंकार भरा हुआ है।
जिसके परिणामस्वरूप पैसा और सुख सुविधाएं तो प्राप्त हो रहीं हैं मगर मन में सकून नहीं है।
अच्छे अच्छे समृद्ध परिवारों में क्लेश और लोग मानसिक बिमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं।

अहिंसा और सत्य के गुणों के पालन से व्यक्ति में समरूपता, सहयोगी, मैत्री, करुणा, विनम्रता आदि के सद्गुण होते हैं।

आज हमें मन वाणी कर्म से गांधी को अपनाना होगा। पढाई के साथ मानवीय गुणों को धारण करना होगा।
लोगों की गला काट प्रतियोगिता से बाहर होकर खुद के साथ होड़ करें।

दया, करूणा का भाव जगाएं।
गांधी जी के अनुसार शिक्षा का कार्य
“बालक की शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियों का विकास करके उसके व्यक्तित्व का सामंजस्य पूर्ण विकास करना है।”

पूर्ण समर्पण के बिना दीक्षा नहीं होती
विनम्रता के अभाव में भिक्षा नहीं होती
शिक्षा वह जो जीवन और चरित्र का गठन करें
तथ्यों का संकलन करने से शिक्षा नहीं होती

विवेकानंद जी ने भी कहा है जीवन और चरित्र का निर्माण करने का नाम शिक्षा है।

मैंने जो बातें कहीं,ये कड़वी जरूर है मगर सत्य हैं। गांधी जी का पथ प्रदर्शन करते हुए हमें अपनी इन निर्बलताओं को स्वीकार करके मानसिक रूप से सशक्त होने की जरुरत है।

इन्हीं शब्दों के साथ मैं आशा करता हुं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म दिवस के पावन अवसर पर हम सभी निष्ठावान बनने का संकल्प लेंगे।

वक्तव्य के समापन पर दो पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूं।


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