Shrimad Bhagwat Katha Manch sanchalan anchoring script

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जब भी आपको किसी धार्मिक कार्यक्रम में मंच संचालन (anchoring) करना हो तो उसके लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आपके पास हिंदी शब्दों का शुद्ध उच्चारण एवं धर्मग्रंथो से जुड़ी हुई बातें और मुक्तक होने चाहिए। अगर आप कार्यक्रम में उपस्थित माताओं बहनों, बुजुर्गों ,युवाओं और बेटियों पर प्रभावशाली मुक्तक एवं हमारे शास्त्रों की बातें जोड़ पाते हैं तो आप यकीन मानिए आप बहुत अच्छे उद्घोषक माने जाएंगे। हमारे गांव के प्रांगण, मंदिर या गौशाला में अक्सर धार्मिक कथाएं होती रहती हैं। इन कथाओं में असल में एक अति कुशल संचालक की आवश्यकता होती है। जो गांव के स्तर पर या हमारी धार्मिक नीतियों पर जमीनी बात कर पाए। बड़ी-बड़ी बातें करने की बजाय आप छोटी-छोटी बातों को अच्छे मुक्तक के साथ बोलिए आपका संचालन बहुत अच्छा होगा। श्रीमद भागवत कथा का मंच संचालन करना हो तो इस स्क्रिप्ट से आप शुरुआत कर सकते हैं।

श्रीमद् भागवत कथा मंच उद्घोषक स्क्रिप्ट

आओ प्रभु से हम दुआ मांगे
जिंदगी जीने की अदा मांगे
अपनी खातिर तो बहुत मांगा है
आओ आज सबके भला मांगें

सर्वप्रथम आप सभी को आज के शुभ दिन की हार्दिक शुभकामनाएं। सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा प्रवचन के लिए पधारे परम पूज्य कथा व्यास श्री….. जी के चरणों में प्रणाम करता हूं। इस कथा के प्रथम दिन गांव से आए आदरणीय बुजुर्गों माताओं बहनों, युवाओं और बच्चों का अभिवादन करता हूं। आप सभी को बताना चाहूंगा कि यह कथा हमारे पुरखों की स्मृति और हम पर उनके द्वारा किए गए उपकार के लिए है। हम समय-समय पर भगवान और अपने इष्ट देवों को याद करते हैं। इस तरह की सांस्कृतिक सोच हम हमेशा अपनाते रहे। मगर इससे पहले जरूरी है कि हम अपने पुरखों को हमेशा याद रखें।अपने दादा परदादा जिन्होंने हमें संस्कार दिए। जिनकी वजह से हम धन संपदा के मालिक बने या सबसे बड़ी बात कहें तो जिसे हमें एक जीवन की एक अद्भुत विचारधारा मिली।

कभी हवा का झोंका गुजरता वृक्षों से
कभी सागर की लहर में मौज मनाता है
अनंत अनंत रूपों में गाता है गीत
मेरा प्रभु अनेक रूपों में रोज आता है

इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि हम अपने माता-पिता एवं बुजुर्गों को भी प्रभु के रूप में देखें। उनके प्रति सेवा भाव और समर्पण का भाव रखें। श्रीमद् भागवत कथा में पधारी मातृशक्ति का वंदन करता हूं।

सलमे सितारे क्या करते जग में आकर
अगर नारी ने उन्हें दामन न दिया होता
नीम पीपल बरगद का महात्म्य
अजाना ही रह जाता

यह पूजा,आराधना,उपासना, व्रत और त्यौहार जगतजननी नारी से ही है। कथा ,सत्संग,पूजा, नवरात्रि, करवा चौथ, जैसे उत्सवों को नारी ने अपनी आस्था से शक्ति प्रदान की है।देवकी जैसी नारी की कोख से भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया तो यशोदा मां ने उनका पालन पोषण किया। आज इस पावन दिवस पर हम नारी शक्ति के सम्मान का संकल्प लें। जगतजननी नारी हमेशा पूजनीय है।

क्षमा भाव रखें मन में हमेशा
क्षमा ही जीवन का सार होती है
मिलकर करें भक्ति आराधना
तो प्रार्थना स्वीकार होती है

यह 7 दिन हम मिलकर कथा श्रवण करेंगे और यह कथा हमारे समस्त ग्राम वासियों के सहयोग से हो रही है। क्योंकि कथा उसी की होती है जो उसे श्रद्धा से सुनता है। अगर आप यह 7 दिन श्रद्धा भक्ति से कथा सुनकर मनन करते हैं तो यह समझो कि इस कथा के यजमान आप ही हो।

श्री मदभागवत कथा के इन सात दिनों में हम उत्तम दृष्टि, सद्बुद्धि के लिए प्रेरणा लेंगे। इसी बीच कथा व्यास परम श्रद्धेय संत श्री…….. जी का पुष्पों एवं अंगवस्त्र भेंट करके सम्मानित करेंगे। आध्यात्मिक अनुभूतियों से भरपूर इनके शक्तिवान आभामंडल से प्रांगण में नई ऊर्जा आई है।

महक उठा ये घर आंगन
जब से आप पधारे हैं
ऐसा एहसास होता है
जन्मों से आप हमारे हैं

सच यही होता है की संत हमेशा अपने लगते हैं। हमारे भाई श्री…….जी एवम माननीय सदस्य व्यास जी का पुष्पाभिनंदन करेंगे। देवभूमि भारतवर्ष की सत्कार संस्कृति को निभाते हुए इनको पगड़ी माल्यार्पण साफा भेंट करेंगे। परम पूज्य व्यास जी श्री का पुनः हमारे ग्राम परिवार की और से अभिवादन करते हैं जैसे ही परम श्रद्धेय श्री …….जी महाराज व्यास पीठ पर विराजमान होते हैं हम जोरदार जयकारे से वातावरण को गूंजायमान करेंगे इसी के साथ गांव की आन बान शान हमारे आदरणीय बुजुर्गों को मंच पर आमंत्रित करूंगा कि वो आएं और व्यास जी के साथ आए वाद्य वादकों, गायक कलाकारों एवम ब्राह्मण देवताओं को तिलक एवम अंगवस्त्र भेंट करके स्वागत करें।

चंदन की खुशबू चौखट पर बिछाते हैं
पवित्र भाव से खुशी के दीप जलाते हैं
मेरे अतिथि आए हैं आज भगवान बनकर
हमारे भगवान को हृदय से तिलक लगाते हैं

सबसे पहले आरती होगी। कथा के प्रथम दिन हमारे यजमान हैं श्री …..जी

सर्व वेदांत का सार है
श्रीमद्भागवत जीवन का आधार है
इस रसामृत से जो तृप्त हो गया
वह जीव भवसागर से पार है

इसके साथ-साथ में एक बार जरूर कहूंगा कि हम अपने बुजुर्गों को हमेशा सम्मान दें। बुजुर्गों का आशीर्वाद जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि है।

जब से हम बुज़ुर्गों की इज्जत
कम करने लगे हैं
तब से दामन में दुआएं कम
दवाएं ज्यादा भरने लगे‌ हैं

आज सफलता की अंधाधुंध दौड़ और आधुनिकता की चकाचौंध में लुप्त हुए संस्कारों को अगर बचाना है तो हम अपने बड़े बुजुर्गों के सानिध्य में जरूर बैठें। इनके पास जीवन के अनुभव है। बुजुर्गों की शरण वास्तव में संस्कारशाला है।

वह जो सम्मान अपने से बड़ों का आज करते हैं
सफलताओं से दुनिया में वही आगाज करते हैं
हजारों ठोकरें खानी पड़ेगी उनको ए दोस्तों
बुजुर्गों की नसीहत जो नजरअंदाज करते हैं

और जैसा कि मैं पहले बताया था कि यह सात दिवसीय कथा हमारे बुजुर्गों और पुरखा के उपकार की याद में की गई है। इसलिए हम इस कथा से एक संकल्प लेंगे कि हमेशा अपनों से बड़ों का सम्मान करेंगे।


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