Shok sabha Hindi bhashan | rip speech in Hindi

Share the Post

आधुनिक युग में आपस का मिलना जुलना और बहुत ज्यादा हो चुका है। ऐसे में रिलेशनशिप में भी बढ़ोतरी हो रही है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तो उसे आपसे मित्र,रिश्तेदारों की जरूरत भी होती है। समाज में हम सुख-दुख के में एक दूसरे के साथी होते हैं। और एक दूसरे का सुख दुख में साथ देना ही एक सभ्य समाज का दर्शन करवाता है। ऐसे में अगर किसी का कोई अपना दुनिया छोड़कर चला जाए तो दूसरे लोग आकर ही उसे सांत्वना देकर उसका दुख बांटते हैं बना देते हैं। अगर आपको किसी शोक सभा में संदेश देना हो तो मैंने यह दो संदेश लिखे हैं।आप उनकी सहायता से बोल सकते हैं।

शोक सभा अंतिम अरदास संदेश

सबसे पहले मेरे पूज्य पिताजी श्री…..जी की दिवंगत आत्मा को नमन करता हुं। उनकी अंतिम अरदास पर आए सभी मित्र रिश्तेदारों और ग्राम वासियों को मेरा प्रणाम( सत श्री अकाल) मैं हमेशा से एक बात सुनता रहा हूं कि ईश्वर और मौत को हमेशा याद रखें। इस बात से मुझे यह सीख जरूर मिली कि ईश्वर का दर्शन तो हर व्यक्ति के लिए संभव नहीं है मगर मौत एक कड़वी सच्चाई है जो कभी भी किसी भी समय आ सकती है। पूज्य पिताजी के स्वास्थ्य, जिंदादिल और नेकदिल स्वभाव से थोड़ा सा भी ऐसा नहीं लगा कि इस तरह से वो चले जाएंगे। ये दुःख सहन करना तो मुश्किल है मगर वाहेगुरु की इस रजा को स्वीकार करते हैं।

पूज्य पिताजी के किए गए शुभ कार्य हमेशा हमें याद रहेंगे। उनकी दया दृष्टि से हमारे गांव में पशु अस्पताल और सामान्य अस्पताल का निर्माण और डॉक्टर की नियुक्ति हुई। पानी की व्यवस्था से लेकर गांव में सड़क रास्तों का निर्माण हुआ।ऐसे कार्यों से उन्होंने लोगों में अपना विश्वास मजबूत किया। गीता में भी लिखा हुआ है कि जनक जैसे राजाओं ने लोक कल्याण के कार्य करके मोक्ष पद को प्राप्त किया। पूज्य पिताजी का लोगों की सहूलियत के लिए अच्छे से अच्छे कार्य किए जाएं। जो उन्होंने किए।

बाकी एक पिता के रूप में,एक पति के रूप में,एक बेटे ,एक मित्र के रूप में उन्होंने अपने दायित्व बेखूबी निभाए। ईश्वर से यही अरदास है कि उन्हें अपने श्री चरणों में जगह दें। आए हुए सभी मेहमानों मित्र रिश्तेदारों ग्राम वासियों का पुनः धन्यवाद जो आप हमारे परिवार का दुख बांटने पहुंचे। धन्यवाद सतनाम वाहेगुरु

भावपूर्ण श्रद्धांजली संदेश‌ | शोक सभा सन्देश

सर्वप्रथम परम पूज्य श्री ……..जी की दिवंगत आत्मा को श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ। परमपिता परमात्मा से अरदास करते हैं कि उन्हे अपने श्री चरणों में जगह दें। इस दुःख की घड़ी में उपस्थित सभी भाई, बन्धुओ, रिश्तेदारों, सगे संबंधियों को राम राम। हम ऐसे समाज में रहते हैं,जहाँ हमें परस्पर सहयोग की आवश्यकता रहती है।आपसी सहयोग का नाम ही समाज है।

श्री…. जी की कमी को तो पूरा नहीं किया जा सकता। मगर एक बात यह ध्यान रखें कि सभी को एक दिन ये संसार छोड़कर जाना है। इसलिए आपस में हमेशा प्रेम से रहे और सुख-दुख में दूसरे का साथ दें। इन्हीं शब्दों के साथ पुनः दिवंगत आत्मा को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। ओम शांति


Share the Post

Leave a Comment