15 अगस्त पर भाषण | Independence Day Speech in Hindi

“कर्मो का तूफ़ान पैदा किए बिना
सच्ची शाबाशी नहीं मिलती
भाग्य के दरवाजे पर सर पीटने से
कभी आजादी नहीं मिलती”

15 अगस्त पर भाषण

सबसे पहले आप सभी को आजादी के इस पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।

माननीय मुख्य अतिथि नारी शक्ति बुजुर्गों बच्चों को हार्दिक अभिनंदन करता हूं।

इस बार का यह स्वाधीनता दिवस निश्चित समय सीमा और कम लोगों को एकत्रित करते हुए मना रहे हैं। इसका कारण आप सभी जानते हैं। एक वैश्विक महामारी जिसने भारत में भी अपने पांव फैला रखे हैं।

हर स्वाधीनता दिवस को हम शहीदों को याद करते हैं देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित होते हैं प्रतिबद्ध होते हैं आजादी के उन परवानों को याद करना हमारे भाव है।

ये पवित्र भाव हमेशा बने रहें।

मगर आज यह जरूरी है कि देश भक्ति के नाम पर क्या हम देश के साथ खड़े हैं।

आज कुर्बानी देनी कोई जरूरी नहीं है जरूरत है देश को आज ऐसे युवाओं की,ऐसे नागरिकों की जो आज इस वैश्विक महामारी के कठिन दौर में देश के साथ खड़े हैं।

“बेशक पद प्रतिष्ठा सरताज बड़े हो
ख़ास जाति धर्म के लिए लाख लड़े हों
मगर वतन परस्त वही होते हैं
जो हर हाल में मजबूती से देश के
साथ खड़े हों”

और देखा जाए तो आज वास्तव में हमारे स्वास्थ्य कर्मी यानी चिकित्सक योद्धा और पुलिस तंत्र मजबूती से देश के साथ खड़े हैं।अपने कर्तव्यों को सहजता और देश भक्ति के साथ निभा रहे हैं।
ऐसे में जब आदमी आदमी में दूरियां बढ़ चुके हैं रिश्तो में दूरियां चुकी है।
ये सैनिक अपनी जान की परवाह किए बिना इस महामारी से ग्रस्त लोगों की सेवा कर रहे हैं।

“इस दुनियां में ऐसी फैली ये जहरीली हवा
कि आदमी ने आदमी से दूरी बना रखी है
मगर दूसरों के मर्ज़ को अपना मर्ज़ समझकर
कुछ लोगों ने अपनी जिंदगी दांव पर लगा रखी है

इस स्वाधीनता दिवस की गौरव गाथा कम इन योद्धाओं के नाम करें, चिकित्सकों के नाम करें। जो आज फरिश्तों की तरह मानव जाति को बचाने में लगे हुए हैं।

इनकी लगन और समर्पण को देखते हुए लगता है कि बहुत जल्द हम इस कठिन परिस्थिति से मुक्त हो जाएंगे।

“अगर रहा यही जज्बा तो मुश्किलों का हल भी निकलेगा
जमी बंजर हुई तो क्या वहीं से जल निकलेगा
ना हो मायूस,ना घबरा अंधेरों से मेरे साथी
इन्हीं रातों के दामन से सुनहरी कल भी निकलेगा”

आओ हम सब मिलकर शहादत के इस दिन पर उन शहीदों को याद करते हुए पुलिस तंत्र और इन चिकित्सक योद्धाओं को प्रेरणा स्रोत मानते हुए
देश के साथ मजबूती से खड़े हो। आज हम लोग समस्या के समय अगर देश के साथ खड़े रहे तो जल्द ही इस कठिन दौर से निकल जाएंगे।

जिंदगी में समस्या तो हर दिन नई खड़ी होती है
जीत जाते है वो जिनकी सोच कुछ बड़ी होती है

इसी के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूं।
जय हिंद
जय भारत

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