Maa Saraswati Shayari | माँ सरस्वती दीप प्रज्वलन शायरी:
माँ सरस्वती दीप प्रज्वलन शायरी
खुदा के रहमो करम पर हम नाज़ करते हैं
वही मालिक है जिसके नाम से हर काम का आगाज़ करते हैं
आसमान की ऊंचाइयों पर हम परवाज़ करते हैं
हमारे मेहमानों के सर सम्मान का ताज धरते हैं
विद्या की देवी माँ शारदा को करके सज़दा
खुशियों से भरी महफ़िल का आगाज़ करते हैं
जैसे रौशनी होती है दीपक से
वैसा सबमें आप जोश भर दो
पावन किया दरबार को आपने
दीप जला आगाज़ कर दो
तेरी शरण में प्यार मिलता है
दिव्य ज्ञान का भंडार मिलता है
मन से मिटता है अज्ञान का अंधेरा
तुमसे ही उजालों का संसार मिलता है
श्री गणेश में करूँ राष्ट के वंदन से
वंदे मातरम के ज्योतिर्मय अभिनंदन से
लिए भावना भव राष्ट्र की वंदन करता हूँ
सबसे पहले मित्रों मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूं
जीवन को स्वर देती है तुँ
तेरी रहमत को हर जिंदगी तरसती है
तुझे सज़दा करके जो चढ़ते हैं मंच पर
उनके हर शब्द में करुणा बरसती है
ह्रदय में झंकार हो
प्रेम की बौछार हो
तेरी रहमत से ऐ भारती
सबको विद्या का अधिकार हो
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