गीत संगीत नृत्य कार्यक्रम की शायरी:
साज की खुशबु साज की आवाज़ से आती है
इंसानी मिज़ाज की खुशबु उसके जज्बात से आती है
तुमने जो मेरे दिल को छूना छोड़ दिया
कमबख्त लफ्ज़ो ने खूबसूरत होना छोड़ दिया
इश्क का नगमा जुनूँ के साज़ पे गाते हैं हम
अपने दर्द की आंच से पत्थर को भी पिघलाते हैं हम
जो उनकी आँखों से बयां होते है
वो लफ्ज़ किताबो में कहाँ होते है
करूँ क्यों फ़िक्र मौत के बाद जगह कहाँ मिलेगी
जहाँ होगी दोस्तों की महफिलें, मेरी रूह वहाँ मिलेगी
आवाज जैसी भी हो आपकी
एक गाना ज़रूर गुनगुनाके जाइए
हमारी खुशी के ख़ास उत्सव पर
बस खाना जरुर खाके जाइए
हर नज़र कह उठी हर जुबाँ कह उठी
कमाल है कमाल है
आखिर कहे भी क्यूँ ना
आपकी आवाज़ जो बेमिसाल है
सबको बना लेते हो अपना
आखिर क्या राज है
हो ना हो बना दे दीवाना
आपकी सुरीली आवाज है
अभी कुछ और करिश्मे गज़ल के देखते हैं
चल अब ज़रा लहज़ा बदल के देखते हैं
तुम्हारी आवाज़ ️सुनने को
हर पल बेक़रार रहती हुँ
नहीं करूँगी याद तुम्हें
मैं खुद से हर बार कहती हूँ
आवाज़ में नेक अंदाज़ आते हैं नज़र तेरे
सुनकर दिल पर से कयामतें गुज़रती है
लगता है तेरे ज़ज्बात मुहब्बत से हैं सराबोर
जब गाता है तो क़ायनात से नियामतें बरसती है
नृत्य प्रस्तुति पर शायरी:
नाचना रिंदगी भी होती है
नाचना खुदा की बंदगी भी होती है
कुछ पल झूम के देखो खुशी में तो
लगेगा कि नाचना जिंदगी भी होती है
मुद्दत से एक ठुमका देखने की ललक थी
आज देखना नसीब हो गया
अब तक तो था दिल से अमीर
आज दिल का गरीब हो गया
मीठी मुस्कान भी नियामत होती है ख़ुदा की
मुहब्बत भरी मुस्कान से दिल में सकून आ जाता है
ख़ुशी से नाचना हो जाए कुछ पल
तो कुछ अच्छा करने का जुनून आ जाता है
जिंदगी का हर पल हो उत्सव
ऐसे कृत्य हो जाएं
कदम ऐसे पड़े धरती पर की
जीवन नृत्य हो जाए
किसी के नाचने में हरख होता है
मजबूरी के नाच में एक दर्द होता है
बंदगी,गुमान,शराब के नशे में नाचते हैं लोग
नाचने नाचने के भाव में फ़र्क होता है
रहनुमाओं की सुनी नसीहत तो कुछ कर गुजरने को बेताब हो गए
किसी की सुनी दिलकश आवाज तो बंजर पड़े थे आबाद गए
मगर इनका नाचना देखा तो कयामत टूट पड़ी
आबाद हुए थे फिर से बर्बाद हो गए
सजदा अदा न कर सका
इस बात का ग़म नहीं
खुशी से झूमना भी दोस्तों
खुदा की इबादत से कम नहीं
बस खुद को बना ले अपना
सारा जमाना अपना बन जाएगा
तनिक खुद के साथ झूम के देखो
हर दिन सावन नजर आएगा
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