सावित्रीबाई फुले जयंती स्पीच | Savitribai fhule Jayanti Top 3 speech

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एक कुशल वक्ता की खासियत होती है कि वह हर विषय पर रुचिकर एवं प्रेरणादायक बोलता है। आप सभी जानते हैं कि नारी शक्ति, बहन बेटियां लगभग हर सभा,कार्यक्रम में होती हैं। इसलिए आपको नारी शक्ति पर अच्छी शायरी, थॉट्स आनी चाहिए। ऐसी महान नारियों की गौरव गाथा आपको याद होनी चाहिए,जिन्होंने भारत के स्वाभिमान को जगाने का काम किया है। बालिका शिक्षा के लिए समाज से लोहा लेने वाली सावित्रीबाई फुले (Savitribai fhule) भी एक ऐसी नई रही, जिसने दुनियां का सबसे महान कार्य किया। आज से 170,80 वर्ष पूर्व बालिकाओं की शिक्षा के लिए समाज से लड़ना कोई मौत से लड़ने के समान था। मगर सावित्रीबाई फुले ने समाज की परवाह न करते हुए कहा था “शिक्षा ही स्त्री के लिए गहना है।” 3 जनवरी 1831 को जन्मी इस महान वीरांगना के जन्मदिन को प्रेरणा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस पर अगर अपने भाषण देना हो तो यह भाषण लिखे हैं, आप पूरी तैयारी के साथ बोलिए।

सावित्रीबाई फुले जयंती स्पीच

अपने नारीत्व की असलियत का ज्ञान हो
नारी को अपने दिव्य गुणों की पहचान हो
आओ संकल्प लें बेटियों के सम्मान का
ताकि हर बेटी सावित्री बाई फुले जैसी महान हो

सबसे पहले आप सभी को सावित्रीबाई फुले जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। सभा में उपस्थित सभी श्रोताओं को प्रणाम करता हूं। सावित्रीबाई फुले जयंती और बेटियों के सम्मान को समर्पित इस कार्यक्रम के लिए एक बार जोरदार तालियां चाहूंगा। क्योंकि नारी शक्ति के लिए सावित्रीबाई फुले से अधिक प्रेरणादाई कोई और चरित्र नजर नहीं आता। सावित्रीबाई फुले ने समाज के ऐसे सुधार पर काम किया, जिस सुधार से आज नारी समाज की कायापलट हुई है। वह सुधार था बालिका शिक्षा के लिए। सावित्रीबाई ने कहा था कि शिक्षा ही स्त्री का गहना है।

विषम परिस्थितियों में भी बेहतर सीखकर
कुरीतियों के दुष्चक्र से निकल सकते हैं
शिक्षा वो शक्तिशाली हथियार है दोस्तो
जिससे हम दुनियां बदल सकते हैं।

आज देश के लिए गौरव की बात है की बहन बेटियां शिक्षित है। बड़े-बड़े पदों पर हैं ,जागरूक हो रही हैं। परंतु इसके पीछे बहुत बड़ा संघर्ष रहा है। 1831 में जन्मी सावित्रीबाई फुले ने बालिका शिक्षा के लिए अत्याचार सहे। आज से 191 वर्ष पहले जब नारी का पढ़ना पाप माना जाता था। समाज की कुरीतियों और इतनी कठिन परिस्थितियों में भी जिस नारी ने बालिका शिक्षा के लिए दृढ़ संकल्प लिया। उस नारी में कितना आत्मबल विनम्रता जुनून और धैर्य होगा। आज हमें एहसास करने की जरूरत है।जब वह बालिकाओं को लेकर विद्यालय जाती थी तो लोग उन पर पत्थर फेंकते थे, उन्हें अपमानित करते थे। मगर वह अपने पथ से विचलित नहीं हुई।

जब टूटने लगे हौसले तो याद रखना
बिन मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते
अंधेरों में भी ढूंढ लेते हैं मंजिल अपनी
क्योंकि जुगनू कभी रोशनी के मोहताज नहीं होते

सामाजिक कुरीतियों के अंधकार में अपने दिव्य गुणों की रोशनी से सावित्रीबाई फुले ने 5 सितंबर 1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। जब लड़कियों की शिक्षा पर सामाजिक पाबंदी थी, उस समय एक स्त्री के लिए स्कूल का संचालन करना कितना कठिन कार्य रहा होगा, शायद हम वर्तमान परिवेश में इसकी कल्पना नहीं कर सकते। समाज सुधार के इस कार्य के लिए उन्होंने अपने पति महात्मा ज्योतिबा फुले से प्रेरणा और शिक्षा प्राप्त की। इसके साथ-साथ उन्होंने छुआछूत को मिटाना ,महिलाओं की मुक्ति ,दलित महिलाओं को शिक्षा ,विधवा विवाह करवाना इस तरह के समाज सुधारक कार्य भी किए। इतने समाज सुधारक कार्य, बालिका शिक्षा के लिए विशेष कार्य और समाज की बाधाओं का सामना करते हुए भी वो मराठी काव्य की अग्रदूत थी। मेरा मकसद केवल सावित्रीबाई फुले के जीवन चरित्र को पढ़ना नहीं है। मेरी हार्दिक इच्छा है कि हम ऐसे महान आत्माओं से प्रेरणा लें।

जिस दौर में बालिका शिक्षा इतनी कठिन थी उस समय भी अगर सावित्रीबाई फुले ने इतना महान काम किया,तो आज के परिवेश में तो यह बिल्कुल आसान हो चुका है, आज हम आसानी से बेटियों को पढ़ा सकते हैं। बाल विवाह,दहेज प्रथा, मृत्युभोज जैसी कुप्रथाओं को रोक सकते हैं। आज हम सामाजिक बेड़ियों से मुक्त हैं। नारी शिक्षित होकर बड़े-बड़े पदों पर विभुषित हो रही है।हर बेटी आज पढ़ना चाहती है। बाबासाहेब आंबेडकर ने भी महिलाओं की शिक्षा पर विशेष रूप से बल दिया।

इतनी आजादी होते हुए भी कुछ जाति समाज आज शिक्षा के प्रति जागरूक नहीं हैं। सावित्री बाई फुले की जयंती को मनाने का यही उद्देश्य है कि हम शिक्षा और समाज की कुरीतियों के प्रति जागरूक हो। बेटियों को अधिक से अधिक पढ़ाएं। बेटी शिक्षित और स्वावलंबी होगी तो वह समाज के अत्याचार का सामना कर सकती है अपने हितों के लिए लड़ सकती है। यह बात मैं नहीं कह रहा। मेरे इस विचार से हर लड़की सहमत है और उसके मन में है कि वह पढ़ लिखकर अपने सपना का पूरा करें।

कम नहीं ये किसी से
साबित कर दिखलाएंगी
खोल दो बन्धन
बेटियां हर मंजिल पा जाएंगी

इन्हीं शब्दों के साथ मैं आशा करता हूं कि सावित्रीबाई फुले जयंती पर हम शिक्षा का प्रचार प्रसार और सामाजिक कुरीतियों का उन्मूलन करेंगे। एक बार पुनः आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं और आप सभी का आभार

सावित्रीबाई फुले जयंती 2

सामाजिक कुरीतियों के लिए काल बन गई
बालिका शिक्षा के लिए मशाल बन गई
प्रणाम करता हूँ महान नारी सावित्री बाई फुले को
जो नारी जगत के लिए अनोखी मिसाल बन गई

सर्वप्रथम भारतवर्ष की पहली महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले की जयंती पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। सम्मानित मंच पर आसीन माननीय मुख्य अतिथि विशिष्ट अतिथि गांव नगर क्षेत्र से पधारे युवाओं,बुजुर्गों,बहन बेटियों और मातृ शक्ति का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ। प्रेरणा भरे इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए आयोजकों का तहदिल से आभार प्रकट करता हूँ। जैसा कि आप सभी जानते हैं की 1831 में महाराष्ट्र में जन्मी सावित्रीबाई फूले शिक्षक होने के साथ भारत के नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता समाज सुधारक और मराठी कवयित्री भी थी।

18वीं सदी में जब महिलाओं का स्कूल में जाना पाप समझा जाता है,उस विकट दौर में सावित्री बाई ने बालिका शिक्षा की अलख जगाई। सामाजिक अपमान ,तिरस्कार के आगे झुकी नहीं।और अनेक विद्यालय खोल दिए। सावित्रीबाई फुले के महान कर्म नारी जाति के लिए प्रेरणा है।नारी को अपने आत्मबल से अपने जीवन को नई दिशा देनी होगी। बेटियाँ अपनी शिक्षा पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दें क्योंकि सावित्री बाई का कहना था कि शिक्षा ही स्त्री का गहना है।

बाहरी आडंबरों,दिखावे से दूर होकर समय के मूल्य को समझकर शिक्षा में उच्चतम स्थान प्राप्त करें। शिक्षा ही नारी को बेड़ियों से मुक्त कर सकती है। हर घर में बेटी की शिक्षित करके स्वावलंबी बनाएं।यही बेटी के लिए सबसे बड़ा दहेज होना चाहिए। नारी शक्ति जागेगी,तभी नारी जाति का उत्थान होगा।

बिजली चमकती हैं तो आकाश बदल देती हैं
आंधी उठती हैं तो दिन रात बदल देती हैं
जब गरजती हैं नारी शक्ति तो
इतिहास बदल देती हैं.

सावित्रीबाई फुले जैसी महान नारी की जयंती मनाना तभी सार्थक होगा, जब हम उनके जीवन चरित्र से प्रेरणा लेंगे।समाज की हर बहन बेटी ये चाहती है कि उन्हें भी सफल होने का अवसर प्राप्त हो। समाज को आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा की जरूरत होती है।हमारे लिए सबसे बड़ी प्रेरणा है हमारे सावित्री बाई फूले, बाबा साहेब जैसे महापुरुष । समय समय पर हमें स्मरण रहे हमारे ये युग पुरुष, इसलिए मैं हमारे अग्रणी बन्धुओ और नेताओं से कहूंगा कि ऐसे युग पुरुषों के यथा स्थान पर स्टेच्यू स्थापित हो। ताकि हमारी नई पीढ़ी इनको देखकर इनको याद रख सके और इनके महान कर्मों को अपने जीवन में लागू कर सके।

सावित्री बाई फुले जैसी महान नारियों के जीवन चरित्र से प्रेरित होकर आज वर्तमान केंद्र सरकार ने बालिकाओं की शादी की आयु 18 वर्ष से 21 वर्ष कर दी है। बहन बेटियों को शिक्षित करने और स्वावलम्बन के लिए सरकार के इस कदम के लिए एक बार जोरदार तालियों से स्वागत करेंगे।

नारी को दुनियां ने जब से सम्मान दिया है
नारी ने अपनी ताक़त को पहचान लिया है
अबला से बन गई है सबला देखो
सच है नारी ने जग पर बड़ा एहसान किया है

जगत जननी नारी के सम्मान में आज का दिन उत्सव के रूप में मना रहे हैं।यह हमारे लिए गौरव की बात है। केंद्र सरकार की विशेष करके महिलाओं के सम्मान के लिए प्रतिबद्धता से भारतवर्ष में आज महिलाओं को स्वावलंबन,सम्मान और सुरक्षा मिल रही है

आओ प्रभु से हम दुआ मांगे
जिंदगी जीने की अदा मांगे
अपनी खातिर तो बहुत मांगा है
आओ आज सबके लिए भला मांगें

बस ऐसा ही भाव रहे हमारा कि सभी के जीवन में खुशियां आए। जिस तरह से पति के लिए त्याग, संतान के लिए ममता, दुनिया के लिए दया और जीव मात्र के लिए करुणा संजोने वाले नारी है उसी तरह से पुरूष मन में भी ऐसे ही भाव हों की बिना किसी भेदभाव के सभी को सम्मान मिले।हर हृदय में मानवता का वास हो।ऐसी ही प्रेरणा से भरा होगा ये दिन। भारतीय नारी की लोकतंत्र के प्रति विराट सोच की वजह से भारतीय राजनीति में भी महिला शक्ति ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है।

सावित्रीबाई फुले की जयंती पर जन जन का यही संकल्प हो की समाज में हर बहन बेटी शिक्षित हो। मैं चाहता हूं कि ऐसे विशेष दिवस पर हमारे संवाद, भाषण केवल कोरे शब्द ही न रह जाएं। हमारे सद्पुरुषों के कर्म और निष्ठा को अपने जीवन में उतारें।ताकि सर्वमंगल हो। इन्हीं शब्दों के साथ एक बार फिर से आपको सावित्री बाई फुले जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। आयोजकों का आभार और आए हुए अतिथियों का दिल से स्वागत करता हूं ।

धन्यवाद

Savitribai fule Jayanti Hindi bhashan 3

नारी को दुनियां ने जब से सम्मान दिया है
नारी ने अपनी ताक़त को पहचान लिया है
अबला से बन गई है सबला देखो
सच है नारी ने जग पर बड़ा एहसान किया है

नारी जाति के लिए मिसाल महान नारी सावित्रीबाई ज्योति राव फूले जिनका जन्म आज ही के दिन (3 जनवरी 1831 को) हुआ उनके जन्म दिवस पर मैं सतीश कुमार आपको हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। भारत की इस प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवियत्री के जन्मदिन पर मुझे अपने भाव प्रकट करने का अवसर मिला. इसके लिए आपका आभार

स्त्री शिक्षा के उद्देश्य का सपना संजोए सावित्रीबाई फुले ने कहा की शिक्षा ही स्त्री का गहना है। भारत के वंचित तबकों को शिक्षा से वंचित करके हजारों वर्षों तक गुलाम बनाकर रखा गया। सावित्रीबाई फुले ने शिक्षा को गुलामी से मुक्ति का सबसे बड़ा हथियार बनाया। स्त्री शिक्षा के अधिकार प्रदान करना,विधवा विवाह का समर्थन करना, ऐसे कार्य उन्होंने उस समय किए जब नारी की बड़ी दुर्दशा थी। समाज में कुरीतियों की चरम सीमा थी।

तू आग में ऐ औरत ज़िंदा भी जली बरसों
साँचे में हर इक ग़म के चुप-चाप ढली बरसों

लेकिन किसी भी महान कार्य को साकार करने के लिए एक मार्गदर्शक की जरूरत होती है। एक पथ प्रदर्शक जो सही रास्ता दिखाता है। जो साहस भरता है। सौभाग्य से महात्मा ज्योतिबा जिनको महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है, सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक थे। हर बिरादरी और धर्म के लिये काम करते हुए जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फैंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं।

दिन ढ़ले बिना सवेरा नहीं होता
दृढ़ संकल्प कभी अधूरा नहीं होता
ग़र हो जज़्बा कुछ कर दिखाने का
तो जीवन में कभी अंधेरा नहीं होता।

ऐसे ही दृढ़ संकल्प के साथ वो मुश्किलों को इम्तिहान समझकर बढ़ती गई और ऐसी सामाजिक मुश्किलों में 1852 में बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की और अपने कर्तव्य पथ पर चलते हुए अनेक विद्यालय खोल दिए। दुनियां में नारी के सामर्थ्य की हकीकत से रूबरू होने का सावित्रीबाई फूले से बड़ा उदाहरण और क्या होगा। ऐसी महानायिका स्त्रियों के साथ साथ हैं पुरुषों के लिए भी बहुत बड़ी प्रेरणा है।

ये मीरा की अमर भक्ति ज़हर से मर नहीं सकती
ये झाँसी वाली रानी है किसी से डर नहीं सकती
मदर टेरेसा, कल्पना हो या सानिया, मैरी
असम्भव क्या है दुनियां में जो नारी कर नहीं सकती

आओ हम आज इस शुभ दिन पर नारी जाति के लिए दिल में सम्मान जगाएं। जगत जननी नारी की भावनाओं की कदर करें उनके शुभ संकल्प में उनका साथ दें। पत्नी बहन मां बेटी के रूप में मिली इस नारी पर होते हुए जुल्म को रोकें और इनके मानवीय अधिकारों का सम्मान करें। महानायिका सावित्रीबाई फुले के जीवन चरित्र को अपना आदर्श स्वीकार करते हुए अपनी इन दो पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूं।

नारी तुम प्रेम हो
आस्था हो विश्वास हो
टूटी हुई उम्मीदों की
एकमात्र आस हो

जय हिन्द


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