Political party Rajnitik Shayari In Hindi

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अगर आपका एक सफल वक्ता बनने का सपना है तो इसके लिए मीनिंगफुल शेरो शायरी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अगर आपको राजनीति (Political) में गजब का संचालन है या एक जबरदस्त स्पीच देना है तो इसके लिए यह राजनीतिक मुक्तक है जो आप अपने जरूरत के अनुसार यहां से लिख सकते हैं। एक बात जो मैं हमेशा कहता हूं आज फिर से कहना चाहूंगा की शायरी की बात अभी होती है अगर वह आपको स्पष्ट से याद है। इसलिए शायरी को जुबान पर लाने के लिए आपको बार-बार प्रैक्टिस करनी होगी एक शायरी को लगभग 40 बार जोर-जोर से बोलकर प्रैक्टिस करेंगे तो आपकी शायरी बोलने का अंदाज बहुत ही खूबसूरत होगा। लोगों को भी सुनने में बहुत अच्छालगेगा

राजनितिक मुक्तक

राजनीति चाहते हो दिलों पर राज करना सीखो
हो चुकी जो जर्जर आवाज उसमें साज़ भरना सीखो
अगर चाहते हो बुलंदियों को छूना तो
अपने गुरू और आदर्शों को याद करना सीखो

गुलशन गुलशन फूल खिले हैं
पंख लगे विकास को
जिसने स्वर्ग ना देखा यारों
देख लो हिंदुस्तान को

श्रेष्ठ आचरण ही आपका स्वाभिमान है
बेदाग राजनीतिक छवि आपकी पहचान है
लोकतन्त्र की मर्यादा को निष्ठा से निभाया है आपने
यहां पधारने पर दिल से आपका स्वागत सम्मान है

हमारे क्षेत्र का नाम और पहचान आपसे है
हमारे क्षेत्र की आन और शान आप से है
आपके विकास कार्यों ने क्षेत्र की दशा बदल दी
क्षेत्र की जनता के चेहरों पर मुस्कान आपसे है

सियासत ख़रीद फरोख्त का बाजार हो रहा है
जनता के हितों से खिलवाड़ हो रहा है
जागो देश के युवाओं जागृति पैदा करो
भारत का लोकतन्त्र तार तार हो रहा है

जनसेवा की नीति पर चलते हुए
भारतीय राजनिति में इनका वजूद है
छत्तीसगढ़ के विकास को देख लगता है
वर्तमान शासन की बुनियाद मजबूत है

जनसेवा की नीति पर चलते हुए
भारतीय राजनिति में अपना वजूद है
विश्वास और साथ से मिलकर चलें
अपनी पार्टी की बुनियाद मजबूत है

देश को सुनहरा कल देंगे
सियासत को ऐसे पल देंगे
कांग्रेस पार्टी बदलाव करेगी
जिस दिन हम मिलकर चल देंगे

सियासत की एक ऐसी रीत है
जनता की आस्था का प्रतीक है
ये है देश की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि
जहाँ लोकतंत्र के लिए दिल में प्रीत है

बुलबुलों के पंखों में बंधे हुए कभी बाज नहीं रहते
बुजदिलों और कायरों के हाथों में कभी राज नहीं रहते
सर झुका कर चलने की आदत पड़ जाए जिस इंसान को
उस इंसान के सर पर कभी ताज नहीं रहते

सत्ता स्कूल है,नैतिकता है,शिक्षित समाज होता है
सत्ता न्याय में सच्चाई,ईमान का ताज होता है
जनता की अंतरात्मा को सुन लिया जिसने
राष्ट्र की सर्वोच्च सत्ता पर उसी का राज होता है

सत्ता केवल राजनीतिक इकाई नहीं
सत्ता हर नागरिक के जीवन को अभिव्यक्त करती है
प्रजातंत्र जनता की अंतरात्मा की आवाज है
जो हमेशा सत्ताधारी को गुणयुक्त करती है

इस दौरे सियासत का
बस इतना सा फ़साना है
बस्ती भी जलानी है
मातम भी मनाना है

व्यवस्था बिगाड़ने वालों को बाहर करता है
जनता के हितों का हमेशा विचार करता है
जनता उसी के सर सत्ता का ताज रखती है
जो उनकी आत्मिक योग्यता को स्वीकार करता है

आ रहा है जलजला देखिए
आदमी अधजला देखिए
बिक रही है देश की आबरू
कट रहा है गला देखिए
बन रहे हैं प्रजातंत्र में
कुछ नए कर्बला देखिए

मैं ही भारी पड़ा जमाने पर
तीर फिर लग गया निशाने पर
कितनी नाराज है अंधेरी रात
एक जुगनू के टिमटिमाने पर

Political shayari for political bhashan

बस बातों ही में नेक रस्में निभा रहे हैं
करके फ़रेब ख़ुद को देशभक्त दिखा रहे हैं
जो खुद को बदल नहीं पाए आज तक
सुना है वो देश बदलने की कसमें उठा रहे हैं

मतलब परस्ती का दौर ऐसा चला की
किसी की ग़रीबी अमीर का भोजन हो रहा है
ख़ुद मजदूरों का शोषण करने वाले
बोल रहे हैं हमारा शोषण हो रहा है

अपने ही घर में मिले
आग लगाने वाले
कैसे हम कह दें इन्हें
मुल्क के चाहने वाले

ऐसा हुनर पता नहीं
लोग कहां से लाते हैं
लगाकर आग खुद फिर
खुद ही बुझाते हैं

जज़्बाती जुमले बोल बोलकर
लोगों को अपना बनाते हैं
बेईमानी की बुनियाद पर महल बनाकर ये
दूसरों को ईमानदारी का सबक सिखाते हैं

जिनके अपने राज राज नहीं रह सके
वो दूसरों के भेद सरेआम खोल रहे हैं
ख़ुद का दांव लगने पर लूट मचाने वाले
आज किसानों के हितों की बात बोल रहे हैं

समाज सेवा करके अखबारों में छपा देते हैं
वतनपरस्ती से ओतप्रोत होके तिरंगा उठा लेते हैं
आदमी से प्रेम करना जिनके लिए है नामुमकिन
वो देशप्रेम के नारों से आसमान गूंजा देते हैं

वे बड़ी बड़ी बाजी मारते हैं
नहीं जाता उनका वार कोई खाली
विजय उनके कदमों को चूमती है
हम केवल बजाते हैं ताली

कल के नौसखिए सिकंदर हो गए
हल्की हवा के झोंके बवंडर हो गए
मै लड़ता रहा उसूलों की पतवार थामें
मै कतरा ही रहा लोग समन्दर हो गए

जरूरी नहीं फिर बंदूक की गोली खराब की जाए
जब सामने वाला चला हुआ कारतूस नज़र आए

दिल की शमाँ जलाकर एक परवाना आया है
देश के लिए जीने एक दीवाना आया है
लाखों शिकारी आए और चले गए
आज जंगल में कोई शेर पुराना आया है

चर्चाए ख़ास हो तो
किस्से भी जरुर होते है,
उँगलियाँ भी उन पर ही उठती है
जो मशहूर होते है

लहजे में बदजुबानी
चेहरे पे नक़ाब लिए फिरते हैं
जिनके ख़ुद के बही-खाते बिगड़े हैं
वो मेरा हिसाब लिए फिरते है

नजर वालों की कहाँ रब पे नजर है साहिब
मगर जो रब है उसकी सब पे नजर है साहिब
जिस सियासत का खुद इमान ही नहीं
उसकी आपके और मेरे मजहब पर नजर है साहिब

जहाँ लोकतंत्र में आस्था होती है
वहाँ सोच भी बलवती होनी चाहिए
निरंकुश शासन से मुक्त होना हो तो
जन-जन की परस्पर सहमति होनी चाहिए

तन की हवस मन को गुनहगार बना देती है
बाग के बाग को उजाड़ बना देती है
भूखे पेटों को ईमानदारी सीखाने वाले
भूख पेट को गद्दार बना देती है

दुख का दरिया शर्म का समंदर होता है
सबसे खौफनाक भूख का मंजर होता है

सबके व्यवहार भिन्न भिन्न है
पर नीयत नेक होनी चाहिए
हर मकसद पूरा हो सकता है
बस सबकी भावनाएं एक होनी चाहिए

करना है ग़र अपने समाज को रोशन
तो दीपक की तरह जलते रहना
विश्वास के साथ जीना चाहते हो
तो लक्ष्य पूर्ण होने तक चलते रहना

संधि कर ली है सूरज ने अँधियारों से
रोशनी कैद में छटपटाने लगी है
झूठ का हर तरफ बोल बाला हुआ
सच्चाई खौफ से मुंह छुपाने लगी

नकली यश का मुकुट पहले वालों
अपनी औकात न भूलो
बनकर सूर्य चमकने वालों
अंधेरी रात ना भूलो

जिंदगी को ओर भी जिंदा बनायेगे
हम कलम से खून का रिश्ता निभाएंगे
ताज ओर मीनार किस काम के
सबसे पहले आदमी का घर बनायेगे

दिल में दया, आंखों में करुणा
होठों पर मुस्कान
मुश्किल है मिल पाना जग में
आप जैसा इंसान

खोटे सिक्कों के कभी दाम नहीं आते
नीम के पेड़ पर कभी आम नहीं आते
जिस मंदिर कि नींव में भर दी गई है लाशें
उस मंदिर में दर्शन देने कभी राम नहीं आते


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