नमस्कार, सम्माननीय अतिथिगण, शिक्षकों, और प्रिय साथियों। आज हम सब यहां एक विशेष अवसर पर एकत्र हुए हैं – राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती (Gandhi Jayanti) के उपलक्ष्य में। यह दिन हमारे देश के इतिहास का एक महत्वपूर्ण दिन है, जो हमें सत्य और अहिंसा के उन महान सिद्धांतों की याद दिलाता है, जिनके माध्यम से गांधी जी ने स्वतंत्रता संग्राम की राह दिखाई और हमें आज़ादी दिलाई।
महात्मा गांधी, जिन्हें ‘बापू’ के नाम से भी जाना जाता है, ने न केवल भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई, बल्कि अपने जीवन में ऐसे आदर्शों की स्थापना की, जो आज भी हमारे लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। सत्य, अहिंसा, और स्वराज की उनकी शिक्षाओं ने न केवल हमारे देश को नई दिशा दी, बल्कि पूरी दुनिया को एक नए विचारधारा का परिचय कराया।
गांधी जी का जीवन एक साधारण व्यक्ति के असाधारण संघर्षों की कहानी है, जो हमें सिखाता है कि सच्चाई की राह पर चलते हुए कोई भी बड़ी से बड़ी लड़ाई जीती जा सकती है। आज का यह कार्यक्रम सिर्फ एक जयंती नहीं है, बल्कि यह अवसर हमें आत्म-निरीक्षण करने और गांधी जी के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा भी देता है।
आज हम इस कार्यक्रम के माध्यम से गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे, उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को याद करेंगे, और उनके विचारों पर चिंतन करेंगे। हमारे इस कार्यक्रम की शुरुआत गांधी जी के प्रिय भजन और दीप प्रज्ज्वलन से होगी, जिसके बाद हम विभिन्न प्रस्तुतियों और विचार-विमर्श के साथ उनके योगदान को समझने का प्रयास करेंगे।
तो आइए, इस शुभ अवसर पर हम सब मिलकर सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करें, और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लें।
Gandhi Jayanti anchoring script
गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) मंच संचालन script की शानदार शुरुआत करने के लिए आपके पास बेहतर शब्दावली और शायरी होनी चाहिए। गांधी जी के जीवन पर आधारित ही आपके पास शब्द सामग्री हो तो बहुत बेहतर होगा। पहले आप मंच संचालन की विवरणिका पॉइंट बना लीजिए
- शुरुआत
- अतिथि आगमन
- दीप प्रज्ज्वलन पुष्प अर्पण
- ईश वंदना
- स्वागत भाषण
- भजन प्रस्तुति
- भाषण
- कविता प्रस्तुति
- गांधीजी का जीवन परिचय
- गांधी जी अगर आज होते
- समापन आभार
- प्रसाद वितरण
शुरुआत करेंगे
सत्य से मीठा दुनिया में
कोई फल नहीं
झूठ कितना भी बोलो
उसका कोई कल नहीं
सबसे पहले सत्य और अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) की आपको हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।
गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) पर आयोजित इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी महानुभावों को प्रणाम करता हूं।
आज उस युगपुरुष का जन्मदिन है,जिनके त्याग और बलिदान की बदौलत हमें आजादी मिली। उनकी प्रेरणाओं से हमें जीवन जीने की नई राहें मिली। आज हम एकजुट होकर गांधी जी के महान विचारों पर चलने का संकल्प लेंगे।
आज आधुनिक भारत के परिवेश को देखा जाए तो हमें गांधी जी की जरूरत है। आज हम शैक्षणिक, तकनीकी, वैज्ञानिक, आर्थिक रूप से विकास के शिखर छू रहे हैं। मगर इसके साथ साथ हमें जरूरी है की अपने महापुरुषों के आदर्शो को अपनाएं। जीवन और चरित्र के गठन को शिक्षा कहा जाता है। ऐसे में जरुरी है कि हम गांधी को अपनाएं, उनके महान विचार जीवन में ढालें।
गांधी जी विदेश से शिक्षित होकर एक बड़ा व्यवसाय या पद प्रतिष्ठा हासिल कर सकते थे। मगर इनकी आत्मा में कहीं न कहीं मानवता के लिए जगह थी। भारत की दयनीय स्थिति और अंग्रेजो के अत्याचार ने उनकी मानव धर्म की भावना को मजबूत कर दिया।
जिंदगी को ओर भी जिंदा बनायेगे
हम कलम से खून का रिश्ता निभाएंगे
ताज ओर मीनार किस काम के
सबसे पहले आदमी का घर बनायेंगें
मानवता के संकल्प के साथ आज हम एक नए जीवन की शुरुआत करेंगे।
अतिथि आगमन
बसंत की रूत दिन बहार के आते हैं
खिलती है कलियां मौसम प्यार के आते हैं
देवालय बन जाता है आंगन हमारा
जब अतिथि हमारे घर द्वार पे आते हैं
आज के हमारे आदरणीय मुख्य अतिथि महोदय का स्वागत सत्कार करते हैं। हमारी समिति के सदस्यों से निवेदन करूंगा कि कृपया अतिथि महोदय को पुष्पगुच्छ भेंट करके सम्मानित करें।
ज्योति प्रज्ज्वलन
सबसे पहले आदरणीय मुख्य अतिथि महोदय से निवेदन करूंगा कि कृपया मंच पर आएं और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्वलित करके पुष्प अर्पित करें।
दीप ज्योति परम ब्रह्म
दीप पाप का हरण करे
ईश्वर का प्रतीक है दीपक
दीप ज्ञान का वरण करे
दीप ज्योति मन को शांति प्रदान करती है। इस ज्योति से सभी का मन निर्मल हो।सभी को ईश्वर सद्बुद्धि दे। हर इंसान के मन में जीवों के प्रति दया हो। बापू के जन्मदिन पर यही संकल्प हमें आशीर्वाद देगा। आदरणीय मुख्य अतिथि महोदय के साथ आए हुए विशिष्ट जनों को अनुरोध करूंगा कि कृपया गांधी जी के आगे पुष्प करें।
जिसकी निर्झर धारा अनवरत बहती हो
इस धरती पर ऐसा दिव्य चश्मा है
अपनी आदमीयत से परिचित हो जाए
तो आदमी कुदरत का सबसे बड़ा करिश्मा है
गांधी जी के जीवन से प्रेरणा ले तो हमें एहसास होगा कि इंसान से बड़ा करिश्मा इस धरती पर कोई नहीं है। इंसान ही अपने कर्मों से भगवान बनता है। इसलिए हम ईश्वर का धन्यवाद करें, जो हमें शुभ कर्म करने के लिए ये मानव शरीर मिला है।
प्रार्थना
किसी भी कार्यक्रम को शुरू करने से पहले ईश्वर का नाम लेते हैं। उसी की परम सत्ता से हमारा वजूद है। सभी आदरणीय श्रोताओं से निवेदन है कि 2 मिनट के लिए कृपया अपने स्थान पर खड़े होंगे। साउंड पर गांधी जी का ये प्रिय भजन बजेगा। इस स्तुति के साथ हम सबके मंगल की कामना करेंगे।
वैष्णव जन तो तेने कहिए
प्रार्थना के बाद
जरूरी नहीं कि हर समय
जुबान पर भगवान का नाम आए
वह वक्त भी भक्ति का होता है
जब इंसान इंसान के काम आए
धन्यवाद
सभी अपना अपना स्थान ग्रहण करेंगे। गांधी जी मानव धर्म को ही सर्वोपरि मानते थे। हम भी उनका अनुकरण करते हुए सदैव मानवता का पालन करें।