15 अगस्त 1947 को आजादी के बाद भारत पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी संविधान Constitution। पूर्ण संप्रभुता तभी होती है जब अपना कानून हो, संविधान हो। हर व्यक्ति को सामाजिक धार्मिक न्याय मिले। इसके लिए जवाहरलाल नेहरू, डॉ भीमराव अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि संविधान सभा के मुख्य सदस्यों के साथ लगभग 389 सदस्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संविधान बनने में 166 बैठक हुई। जिसके साथ 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन में 26 नवंबर 1949 को संविधान तैयार हुआ। और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
आज अगर देखा जाए तो संविधान बनने में एक लंबा संघर्ष एवं एक लंबा दौर चला। आजादी के बाद देश में व्यवस्था को बनाने की इस जिम्मेदारी में संविधान सभा के सदस्यों ने समर्पण और श्रद्धा से काम किया। हमें संविधान दिवस पर अपने इन संविधान संस्थापकों को याद करना चाहिए। जिन्होंने आजादी के बाद इतने कम समय में एक विस्तृत संविधान तैयार किया। हर जाति वर्ग धर्म को स्वतंत्रता मिली वोट का अधिकार मिला। महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान डाले गए।
26 जनवरी 1950 को हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं। मगर उससे पहले 26 नवंबर 1949 के दिन संविधान बनकर तैयार हुआ, उसे दिन विद्यालयों, महाविद्यालय एवं बहुत सी शिक्षण संस्थानों में संविधान दिवस मनाया जाता है। इसके लिए आपको बेहतरीन मंच संचालन करना है तो आप इस स्क्रिप्ट की मदद ले सकते हैं। किसी भी कार्यक्रम में मंच संचालन करना हो आपको उसकी एक बहुत अच्छी शुरुआत करनी आनी चाहिए। अच्छी शुरुआत आधा काम कर देती है।
इसलिए शुरुआत के 5-7 मिनट अच्छी शब्द शायरी,विचारों के साथ अपने शब्दावली पेश कीजिए ताकि आपका आत्मविश्वास सुदृढ़ हो जाए। सबसे पहले कार्यक्रम विवरणिका बना लीजिए।
शुरुआत
अतिथि स्वागत
दीप प्रज्ज्वलन
स्वागत संबोधन या संविधान दिवस की महत्ता
संबोधन
कविता
भारतीय संविधान और शिक्षा
संविधान और संप्रभुता
संविधान के प्रति हमारे कर्तव्य
उद्बोधन
समापन
शुरुआत
सामाजिक क्रांति का दस्तावेज है
देश के हर नागरिक का सम्मान है
जिसने देश को दी नई दिशा
वह भारतवर्ष का संविधान है
सबसे पहले आप सभी को भारतीय संविधान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आज का शुभ दिन हर भारतीय के लिए संप्रभुता का पर्व है। संप्रभुता के इस पर्व पर उपस्थित हमारे स्कूल के प्रधानाचार्य माननीय श्री …….,आदरणीय शिक्षक गण एवं सभी छात्र-छात्राओं का स्वागत करता हूं।
भारत की आज़ादी के बाद संविधान सभा की घोषणा हुई और इसने अपना कार्य 9 दिसम्बर 1947 से आरम्भ कर दिया। संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे। जवाहरलाल नेहरू, डॉ भीमराव अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। संविधान सभा के 284 सदस्यों के सामुहिक चिंतन से निकला संविधान आज के दिन देश को अर्पित किया गया।
आज का दिन भारतीय लोकतंत्र का अहम पर्व है। आज का दिन समस्त भारतवासियों के हक का दिन है। भारतीय संविधान को सरल भाषा में कहा जाए तो हमारा संविधान हर भारतवासी की गरिमा और भारत की एकता है। इन्ही दो मंत्रो को भारत के संविधान ने साकार किया है। नागरिक की गरिमा को सर्वोच्च रखा है है और सम्पूर्ण भारत की एकता और अखंडता को अटूट रखा है।
सर झुका कर करूं मैं सजदा
संविधान लिखने वालों को
श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं
वतन पर मिटने वालों को
आज हम अपने संविधान संस्थापकों को याद करें और हमेशा उनके ऋणी होने का एहसास करें क्योंकि अगर आज हम लोग आजादी से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं या अपने अधिकार के लिए आवाज उठा पाते हैं। किसी भी चुनाव में भाग ले सकते हैं तो ये स्वतंत्रता हमें हमारे संविधान लिखने वालों की बदौलत मिली। देश की आजादी के बाद भारत को एक व्यवस्था की जरूरत थी। 200 वर्ष की गुलामी से अव्यवस्थित भारत को व्यवस्था देना कोई आसान कार्य नहीं था। किसी भी देश के लिए उसका कानून उसका संविधान उसे देश की आत्मा होती है। जिस तरह से आत्मा के बिना शरीर निर्जीव होता है। इस तरह से कानून और विधि के बिना आजादी का कोई अर्थ नहीं रह जाता। इस काम के लिए देश के कुछ महानुभावों ने अपनी महान सोच के साथ समर्पित होकर हमें संविधान दिया।
संविधान निर्माताओं के आदर्शों का दर्पण है
स्वतन्त्रता सैनानियों के बलिदान का तर्पण है
सभी पंथों का स्वागत, ये सर्वोच्चता है इसकी
हमारा संविधान जन जन की संप्रभुता को अर्पण है
जन-जन को संप्रभुता देने वाले संविधान को हमेशा मर्यादित रखने के लिए हम प्रतिबद्ध रहें। ऐसे ही संकल्प के साथ हम आज संविधान दिवस सेलिब्रेट करेंगे। इसके लिए मैं स्कूल प्रबंधन एवं प्राचार्य महोदय का विशेष रूप से धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने इस दिन की इंपॉर्टेंस को समझते हुए इसे शानदार तरीके से मनाने का निर्णय लिया। स्टूडेंट से भी कहना चाहूंगा कि हम अपने विशेष दिनों को हमेशा याद रखें और हम अपना ज्ञानवर्धन करतें रहें।
अतिथि स्वागत
आदरणीय प्रधानाचार्य कर एवं अतिथि गण कार्यक्रम में पहुंच चुके हैं। इनका यहां पहुंचने पर हार्दिक अभिनंदन ,स्वागत करते हैं।
संविधान में निहित मूल्यों को बचाकर
हम अपनी वचनबद्धता दोहराते हैं
हमें हमारे संविधान पर गर्व है
आओ मिलकर संप्रभुता का पर्व मनाते है
आदरणीय अतिथियों के आगमन के साथ ही इस कार्यक्रम का शुभारंभ करते हैं। सबसे पहले विद्या एवं कला के देवी मां शारदा और हमारे संविधान संस्थापकों की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्वलित होगा।
दीप प्रज्ज्वलन
माननीय प्रधानाचार्य सर एवं शिक्षक गण से सादर अनुरोध करूंगा कि कृपया दीप प्रज्ज्वलित करके आज के सभा को ज्योतिर्मय करें।
दीप ज्योति परम ब्रह्म
दीप पाप का हरण करें
ईश्वर का प्रतीक है दीपक
दीप ज्ञान का वरण करे
इस दिव्य ज्योति के साथ हम अपने आदर्शों, महापुरुषों को याद करें। उनकी दी गई सौगातों के लिए हर पल धन्यवाद करें। आभार का भाव ही हमें जीवन के वास्तविक उद्देश्य की ओर उन्मुख करता है।
स्वागत संबोधन या संविधान दिवस की महत्ता
भारत का संविधान सबसे विस्तृत लिखित संविधान है। भारतीय संविधान की विशेषता है कि यह लचीला और कठोर है।भारतीय संविधान अपने ऐतिहासिक संघर्षों, दार्शनिक आदर्शों और सामाजिक आकांक्षाओं की जड़ों के साथ लोकतंत्र, न्याय और समानता की ओर राष्ट्र की सामूहिक यात्रा को प्रदर्शित करता है। आज जरूरत है कि हम अपने संविधान की मर्यादा को बनाए रखने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहें। ऐसे ही प्रतिबद्धता को लेकर जागरूकता संदेश के लिए हमारे स्कूल से प्राचार्य सर आदरणीय श्री……जी को मंच पर आमंत्रित करूंगा। कृपया मंच पर आए और हमें संविधान दिवस की महत्ता को लेकर अपने अमूल्य शब्द कहें।
प्राचार्य भाषण
प्राचार्य भाषण समाप्त
जमीं पर घर बनाया है
मगर जन्नत में रहते हैं
हमारी खुशनसीबी है की
हम भारत में रहते हैं।
माननीय प्रिंसिपल सर का धन्यवाद जो आपने संविधान दिवस पर अपने प्रेरणा भरे शब्द कहे। एक और जहां हमारा संविधान हमें अपने अधिकार और स्वतंत्रता स्वतंत्रताएं प्रदान करता है। वहीं दूसरी ओर हमारे राष्ट्र की सांस्कृतिक छवि हमें भाग्यशाली होने का एहसास कराती है। माननीय प्रिंसिपल सर के सम्मान में एक बार जोरदार तालियां होनी चाहिए जो इन्होंने हमें अपने दायित्वों के प्रति जागरूक किया।
संबोधन
संविधान मूल रूप से किसी भी देश का सर्वोच्च ग्रंथ होता है। भारत का संविधान हमारे गणतंत्र का सर्वोच्च कानून है। आज का दिन संविधान के विषय में केवल चर्चा का दिन नहीं है। बल्कि यह दिन मनाना तभी सार्थक है अगर हम लोग अपने कानून और संविधान की मर्यादा का हमेशा पालन करें। कुछ ऐसे ही विचारों के साथ है हमारे विद्यालय की दसवीं क्लास की छात्रा अपना एक वक्तव्य लेकर मंच पर आ रही हैं। एक बार जोरदार तालियों के साथ सम्मान करेंगे।
संबोधन
संबोधन समाप्त
……….ने बहुत ही प्रभावशाली भाषण दिया। अगर इसी आयु से हम अपने संविधान के प्रति जागरुक रहेंगे, तभी हम संविधान का पालन कर पाएंगे।
आदमी आदमी में कोई भेद नहीं
हर भारतवासी की प्रतिष्ठा हो
सबको मिले अवसर की समता
संविधान के लिए हृदय में निष्ठा हो
हम भी ऐसे शब्दों से प्रेरणा लेकर संविधान के लिए हृदय में हमेशा निष्ठा रखें।
कविता
मैंने एक बात सुनी है कि शब्द ही इंसान की जिंदगी बदलते हैं। प्रभावशाली शब्द समाज में बहुत बड़ा परिवर्तन करते हैं। कविता, गीत,संबोधन के माध्यम से हम अपने शब्दों का प्रयोग करना सीखें। भारत के महान कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज को प्रेरणा और नई दिशा देने का काम किया है। आज संविधान दिवस पर हमारे एक स्टूडेंट ने कविता लिखी है। बहुत ही प्रेरणादायक कविता है।
स्वयं पर आस्था आत्मसम्मान बन जाएगी
जो भी बात कहूंगा ज्ञान बन जाएगी
आप बस जोश भरी तालियां बजाते रहना
ये तालियां हौसलों की उड़ान बन जाएगी
आपकी जोरदार तालिया के साथ ग्यारहवीं क्लास के स्टूडेंट को आमंत्रित करुंगा,कृपया आए और संविधान दिवस पर अपनी तरन्नुम भरी कविता सुनाएं।
कविता पाठ
कविता पाठ समाप्त
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। एक बार पुनः आपकी तालियां होनी चाहिए। किसी महान विचारक ने कहा है,हर कोई इस दुनियां को बदलने के बारे में सोचता है, पर कोई खुद को नहीं बदलता चाहता। इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि संविधान के पालन की बातें सबसे पहले हम खुद लागू करें।तभी बदलाव संभव है।
भारतीय संविधान और शिक्षा
विधान बनाकर भारत का
लिखी अद्भुत कहानी है
याद करें उस भीम को
संविधान जिसकी निशानी है
डॉ भीमराव अंबेडकर एक बात हमेशा मानते थे कि संविधान इंसान के हृदय की चीज़ है। यानी जब तक व्यक्ति हृदय से संविधान का सम्मान नहीं करेगा,तब तक देश में ऊंच-नीच, जाति भेद जैसी समस्याएं समाधान नहीं होंगी। इसलिए हम अपने संविधान का हृदय से सम्मान करें। संविधान के तहत शिक्षा एक मौलिक अधिकार है और किसी भी व्यक्ति को कोई अधिक कीमत देकर इससे वंचित नहीं किया जा सकता है। इस देश का नागरिक होने के नाते प्रत्येक बच्चे को 14 वर्ष की आयु तक मुफ्त शिक्षा का अधिकार प्राप्त है। हमारे संविधान में ने हमें यह शिक्षा के अधिकार दिए हैं । शिक्षा के अधिकारों को हम विस्तार पूर्वक पुस्तकों में पढ़ सकते हैं। शिक्षा और संविधान को लेकर एक प्रभावशाली वक्तव्य के लिए 12वीं क्लास के स्टूडेंट को मंच पर आमंत्रित करूंगा। कृपया आए और अपना संबोधन रखें।