युग प्रवर्तक बाबा साहेब जयंती समारोह मंच संचालन हिंदी स्क्रिप्ट | Baba Saheb

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ज़ख़्म तो आएँगे पर मरहम नहीं आने वाला
सादगी के लिए कोई परचम नहीं आने वाला
आगे आने वाली कई सदियों को तरसना होगा
बाबा साहेब जैसा युग प्रवर्तक नहीं आने वाला

सर्वप्रथम बाबा साहेब (Baba Saheb) का अनुकरण करने वाले आप सभी भाई बहनों को प्रणाम करता हुं। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती के कार्यक्रम में शुरुआत में अतिथि सम्मान, दीप प्रज्वलन ,स्वागत गीत ,स्वागत संबोधन रहता है। आप प्रस्तुतियों की सूची अपने अनुसार बना सकते हैं ।मुझे आपको बाबा साहेब जयंती समारोह की एक स्क्रिप्ट देनी है।इसलिए अपने अनुभव के अनुसार जिस तरह से मैं सूची बनाता हूं ,उसी तरह से एक सूची बनाकर उसकी स्क्रिप्ट आपको दे रहा हूं ।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रेरणा में आयोजित किसी भी कार्यक्रम में आप उनके विचार,शायरी,जीवन की घटनाएं, मोटिवेशनल शायरी, ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले,भगवान बुद्ध के विचार बीच-बीच में जरूर बोलिए। इसी से कार्यक्रम अच्छा होगा। जो भी शब्दावली ,शायरी दी गई है ।अगर आपका कार्यक्रम विवरण इससे आगे पीछे होता है या थोड़ा अलग तरह का होता है तो आप अपनी बुद्धिमता से बदलाव कर सकते हैं। या अगर आपको अच्छा लगे तो आप मेरी तरह ही अपनी सूची बना लें।

  1. सर्वप्रथम मंच संचालक की एंट्री साउंड लगते ही कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत से पहले शायरी ,शब्दावली बोलकर माहौल बनाए।
  2. अतिथि आगमन शायरी,सन्देश से स्वागत
  3. दीप प्रज्वलन
  4. अतिथि स्वागत गीत
  5. अतिथि स्वागत रस्म
  6. स्वागत संबोधन
  7. किसी विशिष्ट अतिथि का भाषण
  8. टीचर प्रवक्ता का भाषण
  9. कविता
  10. बाबा साहेब का जीवन परिचय
  11. अगर आज बाबा साहेब होते
  12. प्रतिभा सम्मान समारोह
  13. लघु नाटिका
  14. भाषण
  15. महिलाओं के लिए बाबा साहेब
  16. बाबा साहेब पर गौतम बुद्ध का प्रभाव
  17. प्रतिभा सम्मान समारोह
  18. मुख्य अतिथि उद्बोधन
  19. अतिथि सम्मान समारोह
  20. आभार समापन

सर्वप्रथम मंच संचालक की एंट्री साउंड लगते ही कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत से पहले शायरी ,शब्दावली बोलकर माहौल बनाए।

तेरी अमर गाथा का गुणगान करता हुँ
हे मानवता के रखवाले तुझे प्रणाम करता हुँ
तेरे कर्मों से रोशन हुआ है भारत का आंगन
तेरी हस्ती तेरे वजूद को सलाम करता हुँ

सबसे पहले आप सभी को युगबोधक डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। बाबा साहब के प्रति आस्था रखने वाले सभी महानुभावों का प्रांगण में पहुंचने पर स्वागत सत्कार करते हैं। भारतीय इतिहास में आज का दिन स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया। आज ही के दिन 1891 ईस्वी में एक ऐसे महापुरुष का जन्म हुआ। जो विश्व के वंचितों,पीड़ितों ,पिछड़ों, दलितों मजदूरों,किसानों और महिलाओं के मसीहा कहलाए। जैसे ही ससम्मान उस महापुरुष का नाम बोलूं, एक बार जोरदार तालियों के साथ इस प्रांगण को गुंजायमान करेंगे। भारत को एक निष्पक्ष संवैधानिक प्रणाली देने वाले वो थे युगपुरुष, युग बोधक, युग प्रवर्तक, संविधान के महानायक डॉक्टर भीमराव अंबेडकर। जोरदार तालियों के साथ स्वागत करेंगे।

आज का दिन बड़ा महान
बनकर सूरज चमका एक इंसान
कर गए सबके भले का एक ऐसा काम
बना गए हमारे देश का संविधान।

सर्वप्रिय,समदर्शी,विश्वबंधु,उद्धारक,अग्रणी,अनुकरणीय,अद्वितीय,अनुपम व्यक्तित्व के धनी बाबा साहब ने एक बात कही थी। जीवन लंबा होने की बजाए महान होना चाहिए। बाबा साहब के जन्मदिन का यह अवसर प्रेरणा का पर्व है। केवल इतना ही जरूरी नहीं है कि हम उनकी याद में एकत्रित हो या प्रतिमा के आगे पुष्प अर्पित करें,जरूरी यह है कि हम उनकी प्रेरणा पर चलें। इन्हीं पलों के चलते में चाहूंगा कि एक बार हमारे विशिष्ट अतिथियों के लिए जोरदार तालियां हो जाए।जिन्होंने हमारे प्रांगण में आकर आज के कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

महक उठा ये घर आंगन
जब से आप पधारे हैं
ऐसा एहसास होता है
जन्मों से आप हमारे हैं

जैसा कि आप जानते हैं की आपसी सहयोग में शक्ति होती है और मनों से एक होकर ही समाज में चेतना जागृत की जा सकती है। ऐसे में हमें एक दुसरे में विश्वास भरना पड़ता है। इसी विश्वास और साथ की बदौलत ही आज हम सभी यहां एकत्रित हुए हैं। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का कथन था कि शिक्षित बनो और संगठित रहो।

बुद्धि का विकास करो
अज्ञानता का नाश करो
ऊंच नीच का भेद मिटाकर
संगठन में विश्वास भरो

नेल्सन मंडेला ने कहा है
स्वतंत्र का अर्थ सिर्फ अपनी जंजीरों को उतार देना नहीं होता,बल्कि इस तरह से अपने जीवन को जीना होता है कि, औरों का सम्मान बढे और उन्हें भी स्वतंत्रता हो।

तमन्ना है जहां सारा ये हिंदुस्तान हो जाए
दुआ करता हुँ हर एक आदमी इंसान हो जाए
मगर यह बात सच होगी तभी जाकर कहीं
जब प्रेम ही गीता प्रेम कुरान हो जाए

बाबा साहब ने आडंबरों,कुरीतियों और ब्राह्मणवाद पर प्रहार करते हुए कहा था

बदलाव बाहर से नहीं
अंतर्मन में पनपता है
जीवंत धर्म विश्वास से नहीं
विवेक से जन्मता है

चाहे कोई कितना भी वंचित,पीड़ित,गरीब हो,उसमें अपनी आत्मिक योग्यता को पहचानने की शक्ति होनी चाहिए। अगर आपका किसी ने तिरस्कार कर दिया तो इससे आपको विचलित नहीं होना।कमजोर लोग अपमानित होकर हार कर बैठ जाते हैं। मगर शक्तिशाली लोग उच्च स्तर पर सफल होकर अपने तिरस्कार का बदला लेते हैं। बाबा साहब ने अपने आप को मानसिक रूप से बलवान बनाकर समाज से अपने तिरस्कार का बदला ही नहीं लिया, अपितु जिस समाज ने उनका अपमान किया उस समाज पर बहुत बड़ा उपकार करके गए। आज हम अपने प्रेरणा स्त्रोत डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का अनुकरण करते हुए अपने जीवन में शुभ संकल्प लेंगे। अपनी सफलता के साथ-साथ समाज के दबे ,पिछड़े , वंचितों के उत्थान का संकल्प लेते हुए मानवता के पथ पर चलकर बाबा साहब को श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे।

है समय नदी की धार
इसमें सब बह जाया करते हैं
पर कुछ एक लोग ऐसे होते हैं
जो अपना एक इतिहास बनाया करते हैं

बाबा साहेब का जीवन संघर्ष और प्रेरणा भरा रहा है। आज इस ऐतिहासिक दिन को हम सभी मिलकर भव्यता प्रदान करेंगें। जैसे ही हमारे माननीय मुख्य अतिथि पहुंचते हैं हम कार्यक्रम को विधिवत रूप से आरंभ करेंगे। सर्व समाज के सभी बंधुओं से निवेदन करूंगा कि अनुशासन का परिचय देंगे।

अपने नारीत्व की असलियत का ज्ञान हो
नारी को अपने दिव्य गुणों की पहचान हो
आओ संकल्प लें बेटियों के सम्मान का
ताकि हर बेटी सावित्री बाई फुले जैसी महान हो

महिला सशक्तिकरण को लेकर बाबा साहेब का विचार था की
‘मैं किसी समाज की तरक्की इस बात से देखता हूं कि वहां महिलाओं ने कितनी तरक्की की है।’

उनकी मॉडर्न थींकिंग और दूरदर्शिता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जब भारतीय समाज महिलाओं को चार दीवारी में कैद रखे हुए था,तब उन्होंने कामकाजी महिलाओं के लिए मैटरनिटी लीव दिलाई। नारी शक्ति का सम्मान बढ़ाने के लिए बाबा साहेब ने संविधान में महिलाओं के राजनीतिक अधिकारों का प्रावधान रखा। डॉ. अंबेडकर के प्रसिद्ध मूलमंत्र की शुरुआत ही शिक्षित करो से होती है।इस मूलमंत्र से आज कितनी महिलाएं शिक्षित और सुशिक्षित होकर अपने पैरों पर जीवन यापन कर रही हैं । हजारों साल से पीछे रह गया एस.सी., एस.टी. और ओ.बी.सी. वर्ग आज के सामान्य वर्ग के साथ बराबरी से खड़ा है । आज हर वर्ग से महिला मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति पद तक पहुँच चुकी है । इस संदर्भ में डॉ. अंबेडकर का महिला शिक्षा आंदोलन एंव योगदान वर्तमान राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरणा स्त्रोत सिद्ध होता है ।

तू आग में ऐ औरत ज़िंदा भी जली बरसों
साँचे में हर इक ग़म के चुप-चाप ढली बरसों

बाबा साहेब का नारी के प्रति आदर सत्कार और श्रेष्ठता का भाव था, जिन्होंने नारी को पुरुष के बराबर लाकर खड़ा कर दिया। इस तरह जब तक अतिथि आते हैं आप माहौल बनाकर रखिए। अच्छी-अच्छी बातें महान विचार बोलते रहिए।

2.अतिथि आगमन

इसी बीच आपके बोलते हुए मुख्य अतिथि आ जाते हैं आप बोल सकते हैं। छोटे से इंतजार के बाद हमारे आज के ख़ास मेहमान का प्रांगण में पहुंचने पर दिल से अभिनंदन करते हैं।

नीचे अवनी ऊपर अंबर
बीच धरा के पवन हिलोरे खाती
सप्तधारा के शांत करों से
सौंधी गंध ये आती
पुष्पगंध में बसा हुआ है
आज यहां पर प्रांगण
अभिनंदन स्वीकार करें
स्वीकार करें अभिनंदन

जोरदार तालियों से हम स्वागत करेंगे आज के हमारे ऑनरेबल Chife Guest श्री………,विशिष्ट अतिथि श्री………. का जो हमारे कार्यक्रम में आए और हमें अनुग्रहित किया। हमारे मुख्य अतिथि आ चुके हैं उनके आने पर मैं हार्दिक स्वागत करते हैं। आदरणीय श्री ……जी पुष्पाभिन्दन करके माननीय मुख्य अतिथि का स्वागत सत्कार करेंगे।

आज की हर्षित बेला पर
खुशियां मिले अपार
यश कीर्ति सम्मान मिले
और बढ़े सत्कार

3.दीप प्रज्ज्वलन माल्यार्पण

इसी बीच में चाहूंगा कि हमारे बीच में आए हुए मुख्य अतिथि मंच पर आएं और युगपुरुष बाबासाहेब आंबेडकर,ज्योतिबा फुले,सावित्रीबाई फुले, गौतम बुद्ध की प्रतिमा के आगे पुष्प अर्पित करके दीप प्रज्वलन करें और आज के इस कार्यक्रम का शुभारंभ करें।

जैसे रौशनी होती है दीपक से
वैसा सबमें आप जोश भर दो
पावन किया दरबार को आपने
दीप जला आगाज़ कर दो

पूरे देश की ओर से जब महामानव डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाते हैं तो यह दृश्य इस बात का गवाह है कि हम कैसे अपने राष्ट्र के निर्माण में एक होकर बाबा साहब के सिद्धांतों और विचारों को दृढ़ करते हैं। यह जो पूरा का पूरा दृश्य है जिसमें देश और विश्व भर के उनके अनुयायी एक होकर उनको याद कर रहे हैं,नमन कर रहे हैं।

हो जायेगा सफ़र आसां आओ साथ चलकर देखें
कुछ तुम बदलकर देखो कुछ हम बदलकर देखें

बाबा साहब के जन्मदिन पर आज हम बदलाव का संकल्प लें। उनकी प्रेरणा,विचारों और सिद्धांतों को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाएं। दीप प्रज्वलन के साथ ही हम 2 मिनट के लिए सभी अपने अपने स्थान पर खड़े होंगे।
बाबा साहेब के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए हृदय से पुष्प वर्षा करें। जिन्होंने हमें जीवन की वास्तविकता का ज्ञान करवाया। मानव धर्म के प्रति आस्था जगाई।

4.स्वागत गीत या देश गान

इसी के चलते माननीय अतिथियों के स्वागत में स्वागत गीत या बाबा साहब को समर्पित देश गान के लिए छात्राओं को आमंत्रित करूंगा।

5.अतिथि स्वागत सत्कार पगड़ी रस्म

परस्पर आदर का भाव एक मानवीय प्रवृति है।सम्मान देना हमारी भारतीय संस्कृति है।इसी संस्कृति को संजोते हुए माननीय अतिथि महोदय को तिलक लगाकर अभिनन्दन करते हैं। माननीय मुख्य अतिथि महोदय को सम्मान स्वरूप पगड़ी पहनाएंगे।

पगड़ी हमारी लाज है
पगड़ी बहादुरी की आवाज है
शुरवीरों के लिए चुनौती है पगड़ी
पगड़ी ही सम्मान का ताज है

पगड़ी सम्मान और संस्कृति की प्रतीक है। माननीय अतिथि महोदय को सम्मान का ताज पगड़ी बांधेंगे।

जब तक हृदय ना फेरे डाले वह गठबंधन व्यर्थ रहेगा
जब तक जले न दिल का दीपक सारा पूजन व्यर्थ रहेगा
चाहे जय जयकार मनाओ मालाओं से कण्ठ सजाओ
जब तक हृदय ना तिलक लगाए वह अभिनंदन व्यर्थ रहेगा

इसी के चलते सम्मान की प्रतीक पगड़ी,साफा पहनाकर श्री….. का welcome करने मंच पर आ रहे हैं श्री……..सम्मान भरी तालियों से स्वागत करें ऐसा लगता है यह सम्मान का दौर चलता ही रहे।अभिवादन, अभिनन्दन, सत्कार की इसी कड़ी के साथ श्री‌…… जी को आदर सम्मान की पहचान पगड़ी भेंट करके स्वागत करने आ रहे हैं……… इसी प्रेरणा के साथ हम आपस में एक दूसरे के साथ अच्छे ताल्लुक बनाए और संसार में सद्भावना और आपसी भाईचारा कायम करें। बाबा साहब का अनुकरण करते हुए शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए हमेशा समर्पित रहें।

नोट -अतिथियों के स्वागत के बाद कुछ कार्यक्रमों में संस्था,स्कूल मैनेजमेंट की ओर से स्वागत संबोधन होता है, तो ऐसे कर सकते हैं।

6.स्वागत सम्बोधन

बाबा साहब ने कहा है “शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो।” आज बाबा साहब के विचारों की बदौलत ही हमारी संस्था संगठन समाज के उत्थान के लिए कार्य कर रहा है। यह संगठन के पीछे टीमवर्क है। मैं चाहूंगा कि हमारे संगठन के प्रेसिडेंट श्री…….. मंच पर आए और आए हुए अतिथियों का वेलकम करें

स्वागत संबोधन
स्वागत संबोधन समाप्त

आदर सत्कार सम्मान खुशियों की कुंजी है
रिश्ते एक दिन की नहीं पूरे जीवन की पूंजी है

जोरदार तालियों से सर का स्वागत करेंगे। जिन्होंने अपने कीमती विचार हमारे सामने रखे। आज के हमारे कार्यक्रम का उद्देश्य केवल बाबा साहब की जयंती मनाना नहीं है। कार्यक्रम का मूल उद्देश्य है कि हम लोग संगठित हो,शिक्षित होने का प्रण लें और जात पात से ऊपर उठकर समाज के वंचित तबके किस सहायता करके उसे बराबर लाने का संकल्प लें।

जिंदगी को ओर भी जिंदा बनायेगे
हम कलम से खून का रिश्ता निभाएंगे
ताज ओर मीनार किस काम के
सबसे पहले आदमी का घर बनायेंगे

गौतम बुद्ध ने कहा है”एक दीये से कई
दीये जलाये जा सकते है, और ऐसा करके उस दीये का जीवन घटता नहीं है। इसी प्रकार खुशियां कभी भी बांटने से घटती नहीं है।”

अभी समय है हमारे बीच में उपस्थित माननीय सज्जनों के संबोधन और कुछ प्रस्तुतियों का।जोरदार तालियों के साथ स्वागत करेंगे।

मरके भी अमर हो जाएं, ऐसी शान होनी चाहिए
दिल में इंसानियत, होठों पे मुस्कान होनी चाहिए
कितनी मजबूत थी कलम के इस सिपाही की ताकत
आज आपकी तालियों में उतनी जान होनी चाहिए

07.किसी विशिष्ट अतिथि का भाषण

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती समारोह में हमारे बीच में कुछ ऐसे प्रबुद्ध जन पधारे हैं,जिन्होंने बाबा साहब की प्रेरणा पर चलते हुए अपनी मेहनत और हौसले की बदौलत समाज में अपना रुतबा कायम किया है। हम चाहेंगे कि उनके संदेश इस मंच के माध्यम से हो। सबसे पहले मंच पर आमंत्रित करूंगा आज के हमारे विशिष्ट अतिथि श्री…..को, मंच पर आएं और बाबा साहब की प्रेरणा से ओतप्रोत अपने विचार रखें।

विशिष्ट अतिथि का भाषण
विशिष्ट अतिथि का भाषण समाप्त

खोटे सिक्कों के कभी दाम नहीं आते
नीम के पेड़ पर कभी आम नहीं आते
जिस मंदिर कि नींव में भर दी गई हों लाशें
उस मंदिर में दर्शन देने कभी राम नहीं आते

श्री …..जी का जोरदार तालियों के साथ स्वागत करेंगे, जिन्होंने सच्चाई भरी कुछ बातें बोलकर हमें प्रेरित किया। डॉ भीमराव अंबेडकर ने भी यही कहा था कि हमें ऐसे धर्म का खंडन और ऐसे ग्रंथों को जला देना चाहिए।जिसमें जाति के आधार पर मानव मानव में भेद हो।

08.टीचर प्रवक्ता का भाषण

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि शिक्षा का कार्य सबसे महान हैं एक शिक्षक से ही सफल समाज का निर्माण होता है। शिक्षक बच्चों के भविष्य को गढ़तें हैं। हर इंसान के पास एक शिक्षक होता है। बाबा साहेब ने भी शिक्षा को हमेशा मुख्य रखा है। हमारे बीच में…. विषय के प्रवक्ता श्री आए हुए हैं जो हमारे लिए आदरणीय है। बाबा साहब को ही अपने जीवन का आदर्श मानते हैं। आपकी सम्मान भरी तालियों के साथ मंच पर आदरणीय श्री….को आमंत्रित करूंगा‌ कि वह मंच पर आएं और अपने विचार रखें।

भाषण
भाषण समाप्त

ग़मों की शाम ढलती रहे
ख़ुशियों की बगिया खिलती रहे
आओ हम मिलकर करें कुछ ऐसा
शिक्षा की ज्योति हरदम जलती रहें।

आदरणीय सर का एक बार तालियों से स्वागत करेंगे जिन्होंने अपने खूबसूरत विचार रखें। डॉ. अंबेडकर के प्रसिद्ध मूलमंत्र की शुरुआत ही शिक्षित करो से होती है। शिक्षा ही वो हथियार है जिससे हम अभूतपूर्व बदलाव ला सकते हैं

09.कविता

स्वाभिमान के साथ जीना ही श्रेष्ट जीवन हैं , स्वाभिमान के साथ जीने के लिए कठिनाईयो को हराना पड़ता हैं। अथक परिश्रम से ही दृढ़विश्वास और गौरव प्राप्त किया जा सकता है। बाबा साहब को समर्पित एक ऐसी ही कविता लेकर मंच पर आमंत्रित करूंगा श्री……जी को , वो मंच पर आएं और अपनी कविता प्रस्तुत करें।

कविता
कविता समाप्त

बहुत ही शानदार कविता। इन प्रेरक पंक्तियों के लिए आपकी तालियों होनी चाहिए। बाबा साहब ने कहा था “मैं रात भर इसलिये जागता हूं क्योंकि मेरा समाज सो रहा है।”

आँखों में नींद बहुत है
पर सोना नही है
यही उम्र है कुछ करने की दोस्तो
इसे खोना नही है

आज हमें जागरूकता की जरूरत है। जागरूकता,संघर्ष ,प्रेरणा,परोपकार, परहित के लिए बाबा साहब का जीवन और साहित्य ही हमारे लिए सर्वोपरि है।

10.बाबा साहेब का जीवन परिचय

आज का दिन हमारे लिए गौरवशाली दिन है। आज उस महामानव की जयंती है, जिन्होंने मानव जाति के लिए काम किया। बाबा साहब की भावनाएं कुछ ऐसी थी कि वह किसी भी वंचित पीड़ित शोषित को देख ही नहीं सकते थे। बाबा साहब से पहले भी अनेक महापुरुष हुए,जिन्होंने जात पात,रंगभेद, छुआछूत के विरुद्ध मुहीम चलाई। मगर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने संवैधानिक,कानूनी रूप से सामाजिक एकीकरण का काम किया। उनकी जयंती पर जरूरी है कि हम उनके जीवन की कुछ घटनाओं से परिचित हो। उनका जीवन संघर्ष और मेहनत की कहानी है। मैं चाहूंगा कि हमारे बीच आए हुए श्री……जी बाबा साहब के जीवन पर प्रकाश डालेंगे। कृपया मंच पर आएं और बाबा साहब का जीवन परिचय रखें।

बाबा साहब का जीवन परिचय
बाबा साहब का जीवन परिचय समाप्त

ज़ुल्म सहते सहते मरने वालों की तो
अगली पीढ़ियां भी गुलाम बन जाती है
ज़ुल्म से लड़ते लड़ते जो मर गए
उनकी शहादत पीढ़ियों के लिये तूफ़ान बन जाती है

जोश भरी तालियों के साथ श्री…जी का स्वागत करेंगे जिन्होंने इतने सुंदर ढंग से बाबा साहब का जीवन चरित्र सुनाया। बाबा साहब ने कहा था”अन्याय से लड़ते हुये आपकी मौत हो जाती है तो आपकी आने वाली पीढ़िया उसका बदला अवश्य लेगी किन्तु अन्याय सहते सहते यदि मर जाओगे तो आने वाली पीढ़िया भी गुलाम बनी रहेगी।”

11.अगर आज बाबा साहेब होते

बाबा साहब के विचारों की गूंज युगो युगों युगों सृष्टि में गूंजती रहेगी। वो विश्व भर के दलित शोषित व वंचितों के लिए आशा की किरण थे। उन्होंने भारत को एक ऐसा संविधान दिया जिसमें देश और कटुता कि कहीं जगह नहीं है। सोच कर देखिए जिसने जीवन भर जाति के नाम पर कटुता, तिरस्कार, अपमान सहा हो।ऐसे व्यक्ति के दिल में कितनी कटुता,बदले का भाव हो सकता था। बाबा साहब के प्रति अगाध श्रद्धा रखने वालों के मन में कई बार यह विचार आता है की अगर आज बाबा साहब होते तो देश में कैसी व्यवस्था होती। इस विषय पर अपने विचार रखने के लिए मंच पर आमंत्रित करूंगा श्री…. जी को वो मंच पर आए और अपने विचार रखें।

अगर आज बाबा साहब होते भाषण
भाषण समाप्त

आदरणीय श्री….. जी के अमूल्य शब्दों का एक बार तालियों से स्वागत करेंगे। वास्तव में ही सच है कि बाबा साहब केवल दलितों पिछड़ों के लिए ही नहीं थे। अगर आज बाबा साहब होते तो स्वर्ण जाति के गरीबों, वंचितों के लिए बेहतर से बेहतर प्रयास करते हैं। आदिवासी लोगों के कल्याण हेतु पूर्ण रूप से सफल प्रयास करते।

सबकी सोच को आकार दिया है
आपने हम पर ये उपकार किया है
आपका दिल से शुक्रिया जो यहां आकर
आपने आज की सभा को साकार किया है

आज की सभा के लिए एक बात जोरदार तालियों के साथ स्वागत करेंगे,जो सभी ने मिलकर आज बाबा साहब की प्रेरणा को जगाने का काम किया।

12.प्रतिभा सम्मान समारोह

इन्हीं शानदार पलों के चलते अभी हमारे उत्कृष्ट विद्यार्थियों का मंच पर सम्मान होगा। समाज के होनहार विद्यार्थी शिक्षा के साथ-साथ खेलों व अन्य रचनात्मक गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं। (समय अनुसार विद्यार्थियों की विशेष उपलब्धियों के बारे में बताइए) स्त्रियों के लिए शिक्षा की अलख जगाने वाले महापुरूष ज्योतिबा फुले ने कहा है “समाज के निम्न वर्ग तब तक बुद्धि, नैतिकता, प्रगति और समृद्धि का विकास नहीं करेंगे जब तक वे शिक्षित नहीं होंगे।”

“सच्ची शिक्षा दूसरों को सशक्त बनाने और दुनिया को उस दुनिया से थोड़ा बेहतर छोड़ने का प्रतीक है जो हमने पाया।” आज जरूरत है समाज की उठती हुई प्रतिभाओं को हिम्मत और हौसले की। इसी उद्देश्य को लेकर यह प्रतिभा सम्मान समारोह रखा गया है। माननीय अतिथियों से अनुरोध करूंगा कि वह कुछ पलों के लिए मंच पर आएं और हमारे स्टूडेंट्स को सम्मानित करें। आपकी जोरदार तालियों के साथ मंच पर आ रहे हैं हमारे समाज के प्रतिभावान बच्चे। जैसे जैसे इन विद्यार्थियों एक एक करके नाम अनाउंस हो,आप तालियों से वेलकम कीजिए

प्रतिभाशाली बच्चों का मंच पर सम्मान

हर सपने को अपनी सांसो में रखो
हर मंजिल को अपनी बाहों में रखो
हर जीत आपकी ही है
बस अपने लक्ष्य को अपनी निगाहों में रखो

अलौकिक प्रतिभाओं का सम्मान देखकर अन्तःकरण में संकल्प जागता है।चिंतन की विशिष्ट धारा मन में बहने लगती है।किसी की सफलता देख कर इंसान की प्रेरक शक्ति जाग जाती है। इन होनहार बच्चों से प्रेरित होकर समाज के अन्य विद्यार्थी प्रेरणा लेंगे। प्रेरणा से भरे इस दिन को सलाम करें।दुआ करें कि जीवन में ऐसी उपलब्धियां हर किसी को मिले।

13.लघु नाटिका

महापुरुष गौतम बुद्ध ने कहा है
“भविष्य में वो अनपढ़ नहीं होगा जो पढ़ ना पाया। अनपढ़ तो वो होगा जो यह समझ नहीं पाया की सीखा कैसे जाता है” ज्योतिबा फुले ने कहा है “मंदिरों में स्थित देवगण ब्राह्मण पुरोहितों का ढकोसला है।” इन्हीं विचारों को लेकर पेश है इस लघु नाटिका के माध्यम से एक जागरूकता भरा संदेश। जोरदार तालियों के साथ स्वागत कीजिए।

लघु नाटिका प्रस्तुत
लघु नाटिका समाप्त

मचा हुआ हाहाकार छाया घोर अंधकार
धुंधली दिशाओं को प्रकाश की जरूरत है
शांति को बनाने और अशांति को मिटाने हेतु
प्रकाश की नई क्रांति की जरूरत है
लाखों सियार किंतु सिंह का विकल्प नहीं
शौर्य स्वाभिमानी इतिहास की जरूरत है
दोस्तों इस दुनिया को कल भी आप लोगों की जागरूकता की जरूरत थी
इस दुनिया को आज भी आप लोगों की जागरूकता की जरूरत है

इस जागरूकता भरी प्रस्तुति के लिए एक बार आपकी करतल ध्वनि होनी चाहिए। बाबा साहब ने भी कहा है “बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।”यानी हम लोग समझ के साथ काम करें। चीजों को तर्क की कसौटी पर तोलकर ही निष्कर्ष निकाले।

14.भाषण

दोस्तों आज किसमें सदी में भी वही काम मुख्य है जो बाबा साहब कह कर गए शिक्षित बनो,संगठित रहो और संघर्ष करो ।और आज हर प्रांत, देश का यही प्रयास है कि 100% लिटरेसी हो। समाज के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को अगर हम शिक्षित बनाते हैं तो बाबा साहब की जयंती‌ मनाना हमारे लिए सच्ची प्रेरणा होगी। यह वही लोग हैं जो शिक्षा से वंचित हैं और जिनके लिए बाबा साहब जीते थे। ऐसे ही विचारों से ओतप्रोत हमारे बीच में एक विद्यार्थी हैं जो अपने विचार व्यक्त करेंगे। आपकी तालियों की आवाज के साथ मैं मंच पर आमंत्रित करूंगा श्री…..को। कृपया वो मंच पर आएं अपना संबोधन रखें।

भाषण
भाषण समाप्त

अपने हितों के लिए लड़ सकते हो
हारे हुए दिल में जोश भर सकते हो
अपनी भावनाओं को शब्दों का रूप देकर
ख़ुद को सैंकड़ों गुना बेहतर कर सकते हो

….. की प्रेरक बातों के लिए एक बार आपकी तालियां हो जाए। संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को संविधान अपनाया गया था।अपने काम को पूरा करने के बाद, बोलते हुए, बाबा साहब ने कहा था मैं महसूस करता हूं कि संविधान, काम करने लायक है, यह लचीला है पर साथ ही यह इतना मज़बूत भी है कि देश को शांति और युद्ध दोनों के समय जोड़ कर रख सके। वास्तव में, मैं कह सकता हूँ कि अगर कभी कुछ गलत हुआ तो इसका कारण यह नही होगा कि हमारा संविधान खराब था बल्कि इसका उपयोग करने वाला मनुष्य अधम था।

15.महिलाओं के लिए बाबा साहेब

बाबा साहब का विचार था की “मैं एक समुदाय की प्रगति को उस डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की है।” ज्योतिबा फुले ने भी कहा था “पृथ्वी पर उपस्थित सभी प्राणियों में मनुष्य श्रेष्ठ है और सभी मनुष्यों में नारी श्रेष्ठ है। स्त्री और पुरुष जन्म से ही स्वतंत्र है। इसलिए दोनों को सभी अधिकार समान रूप से भोगने का अवसर प्रदान होना चाहिए।” नारी सशक्तिकरण को लेकर बाबा साहब के महत्वपूर्ण कार्य और नारी के प्रति उनके विचारों को प्रकट करने के लिए ……को मंच पर आमंत्रित करूंगा। इस मंच पर आएं और अपने विचार रखें


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