स्कूल में भाषण देने के लिए शिक्षा ,अनुशासन, स्वच्छता , आदतें और समय के सदुपयोग जैसी बातें करनी अति जरूरी है। जैसा कि आप जानते हैं की 10 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों का मन चंचल होता है । ऐसी चंचल अवस्था में बच्चों को भाषण से बांधना आसान कार्य नहीं है। अगर आपने उनको प्रेरणा देनी है तो आपके पास अच्छे डायलॉग, अच्छी बोलने की शैली और प्रभावशाली शायरी तुकबंदी होनी चाहिए। अगर आप रुचिकर कहानी या शिक्षाप्रद गीत सुना सकते हैं तो भी बच्चों को अपनी बातें सुनना आसान हो जाता है। स्कूल के वार्षिक उत्सव में स्कूल के टीचर प्रिंसिपल या अतिथि को भाषण देना हो तो यह दो-चार भाषण लिखे हुए हैं, आप इनसे मदद ले सकते हैं।
वार्षिक उत्सव मुख्य अतिथि भाषण 1
भूखे पेट सोने वाले घरों में चूल्हे ज़लने लगे हैं
बंजर ज़मीनों से हीरे निकलने लगे हैं
समृद्धि की ओर उन्मुख हो रहा मेरा देश
आज हर तरफ शिक्षा के मंदिर खुलने लगे हैं।
सबसे पहले विद्या के इस मंदिर में विद्या की देवी मां सरस्वती को नमन करता हूं। इस भव्य वार्षिक उत्सव में पधारे माननीय मुख्य अतिथि महोदय जिंदादिल व्यक्तित्व के धनी हर दिल अजीज श्री…….जी, इनके साथ आए मेहमानों का हमारे ग्राम परिवार और स्कूल परिवार की ओर से अभिनंदन करते हैं। गांव से आए आदरणीय बुजुर्गों, नारी शक्ति, युवा पीढ़ी एवं प्यार विद्यार्थियों का स्वागत करता हूं।
बच्चों की मनमोहक प्रस्तुतियों के चलते बीच में भाषण सुनना बड़ा मुश्किल लगता है। मैं इस बात को भलीभांति समझता हूं, क्योंकि हम भी कभी बच्चे थे। इसलिए मैं दो-चार बातों से ही अपने वक्तव्य को पूरा करूंगा। सबसे पहले तो जिन बच्चों ने खेल शिक्षा एवं अन्य गतिविधियों में उत्कृष्ट स्थान हासिल किया है, उनको हार्दिक बधाई देता हूं। इनके टीचर्स को हार्दिक शुभकामनाएं,जो आपने इन बच्चों को तरासने का काम किया। अन्य बच्चों को कहना चाहूंगा कि आप भी मन लगाकर पढ़ाई करें।
ज्ञान की ज्योति जलती है यहां
मां सरस्वती की ये देवधरा है
सफलता उसके चरण चूमती है
जिसका हृदय श्रद्धा से भरा है
अपने शिक्षकों के प्रति श्रद्धा रखें और इनके ज्ञान का लाभ उठाएं। एक सच्चे शिक्षक की यही हार्दिक इच्छा होती है कि उसके विद्यार्थी हमेशा सफलताएं अर्जित करें। विशेष रूप से एक बात जरूर कहूंगा की स्मार्टफोन का सही उपयोग करें। अपनी नॉलेज को बढ़ाने के लिए ये बहुत लाभप्रद है। खाली समय में सोशल मीडिया, अनावश्यक साइट्स पर समय लगाने से बर्बादी के सिवा कुछ भी नहीं है।
अच्छी आदतों से ही हमारे भाग्य का निमार्ण होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस जाति से हैं?
गरीब हैं या अमीर है।
दिखने में कैसे हैं?
आपके परिवार का माहौल खराब या सही है।
घर में मूलभूत सुविधाओं और पैसे का अभाव है
पिता शराब पीने के आदि हैं।
अगर कुछ कर गुजरने की ज्वलंत इच्छा हो तो समस्याएं कदमों की धूल से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं।
वाकिफ नहीं जो लोग सफ़र के उसूल से
साए की भीख मांग रहे हैं बबूल से
मैं आज तक सफ़र में हुं इस एतमाद पर
उभरेंगी मंजिलें मेरे कदमों की धूल से
कोई भी इंसान अपनी अच्छी आदतों और कड़ी मेहनत से अपने भाग्य का निर्माण कर सकता है। बस नेक नीयती से खुद के प्रति ईमानदार होकर अपने लक्ष्य की ओर उन्मुख रहें। इंसान का नेक इरादा उसे महानतम लक्ष्य की ओर लेकर जाता है। पढ़ाई के साथ-साथ रचनात्मक भी बने। समय के साथ परिवर्तन करें। जो प्रतिभाशाली बच्चे आज सम्मानित हुए हैं ।वे और ज्यादा मेहनत करें और बड़े लक्ष्य के लिए हमेशा तैयार रहेंगे। आज आपका समय है अगर समय के साथ चले तो कामयाबी आपके कदम चूमेगी।
आज का कार्यक्रम बहुत शानदार रहा। इस भव्यता के लिए हम विशेष रूप से माननीय मुख्य अतिथि महोदय का धन्यवाद करते हैं। आपकी गरिमामयी उपस्थिति ने इस सभा को रूप दिया है। इन्हीं शब्दों के साथ एक बार पुनः आप सभी का आभार धन्यवाद जो अपने यहां आकर इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। धन्यवाद
वार्षिक उत्सव मुख्य अतिथि भाषण 2
सबसे पहले आपको Ms स्कूल के वार्षिक उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं। इस शुभ अवसर पर उपस्थित मुख्य अतिथि डॉ आस्था (मैडिकल ऑफिसर सीएचसी झांसा) डॉयरेक्टर श्रीमती उषा गुप्ता, प्रिंसीपल श्री ………, रेस्पेक्टेड टीचर्स, बच्चों के अभिभावक और सभी बच्चों का वैलकम करता हुं।
ये हमारे लिए प्रेरणा का विषय है कि Ms स्कूल अपनी सफलता के 38 वर्ष पूरे कर चुका है। हमारे क्षेत्र में अच्छी शिक्षा के सपने के साथ इस विद्यालय की नींव पड़ी थी।
और आज ये सपना ही पूरा नहीं हुआ बल्कि इस विद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत कार्य किया है।
मंजिलें क्या है, रास्ता क्या है?
हौसला हो तो फासला क्या है
कोई भी शिक्षण संस्थान कितना भी सुंदर हो।बच्चों की ड्रेस, ट्रांसपोर्ट की सुविधा,इमारत अच्छी हो मगर शिक्षण संस्थान की उपलब्धि उसके स्टूडेंट्स की कामयाबी से होती है। और आज हमारे बीच में मुख्य अतिथि मेडिकल ऑफिसर डॉ आस्था इसी स्कूल की स्टूडेंट रही हैं। इस तरह की मिसाल ही विद्यालय का नाम रोशन करती है। बच्चों के अभिभावकों से एक बात जरूर कहूंगा कि आप अपने बच्चों को समय दीजिए। ठीक है मैं टीचर नहीं हूं पर इतना जरूर जानता हूं कि एक अध्यापक हमेशा यह चाहता है कि बच्चे के पेरेंट्स भी अपने बच्चे पर ध्यान दें।
जिन बच्चों ने शिक्षा, खेल और अन्य रचनात्मक गतिविधियों में स्थान प्राप्त किया है उनको हार्दिक बधाई देता हूं।जब समाज में या किसी स्कूल में किसी को उसकी अनोखी पहल, प्रतिभा पर सम्मान मिलता है तो ऐसे कार्यक्रम दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं। दूसरे बच्चे भी इन बच्चों से प्रेरणा लेकर बेहतर प्रयास करें।
अपने वक्तव्य के समापन पर कहूंगा कि हम
शिक्षा के साथ-साथ अपने आप को रचनात्मक बनाएं ।
बहुमुखी प्रतिभा विकसित करें।आज के दौर में ये आसान भी है और अति आवश्यक भी है कि आपमें पढ़ाई के साथ साथ कोई अन्य अनूठी प्रतिभा होनी चाहिये। जो विद्यार्थी ऐसी बातों पर गहराई से विचार करते हैं। विद्यार्थी जीवन में वो अपने रचनात्मक कार्यों से अपना मजबूत आधार बना लेते हैं।
ऐसे विद्यार्थियों को अच्छे रोजगार आसानी से मिलते हैं और सामाजिक रुतबे में भी हमेशा आगे रहते हैं। इन्हीं शब्दों के साथ विद्यालय परिवार का आभार प्रकट करता हूं जो आपने मुझे मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया। आप सभी बच्चों का आभार जो आपने मेरी बातों को सुना।
दो पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूं।
ग़मों की शाम ढलती रहे
ख़ुशियों की बगिया खिलती रहे
आओ हम मिलकर करें कुछ ऐसा
शिक्षा की ज्योति हरदम जलती रहें
वार्षिक उत्सव शिक्षक भाषण
जीवन और चरित्र का गठन करें
आओ ऐसी शिक्षा के लिए यत्न करें
सर्वप्रथम सम्मानित मंच पर उपस्थित मुख्य अतिथि महोदय गुंडरदेही विधानसभा क्षेत्र से विधायक एवं छतीसगढ सरकार के संसदीय सचिव माननीय श्री कुंवर सिंह जी निषाद, कार्यक्रम अध्यक्षा बालोद से पंचायत सदस्या श्रीमती चंद्रप्रभा जी सुधाकर, विशिष्ट अतिथियों का इस ग्राम परिवार और विद्यालय परिवार की ओर से हार्दिक अभिवादन करते हैं।
इस कार्यक्रम में विशेष आकर्षण हमारे होनहार विद्यार्थी,
बच्चों के अभिभावक, आदरणीय ग्रामवासी और हमारे
विद्यालय के निष्ठावान शिक्षकों का अभिनंदन करता हूं।
विद्यालय आयोजित इस वार्षिक समारोह का मुख्य उद्देश्य यही है कि हम शिक्षा की ज्योति को हमेशा प्रज्वलित रखें। परिवार तक शिक्षा का उजियारा हो।
शिक्षा से रोशन हुआ जहां सारा
हर तरफ उजियारा होने लगा है
जिसे पेटभर खाना नसीब नहीं था कभी
वह आज बड़े बड़े सपने संजोने लगा है
शिक्षा ने आज हर जाति, परिवार को समता दी है। बस जरूरी यही है की शिक्षा की इस निष्पक्षता का लाभ उठाने के लिए हर स्टूडेंट, हर परिवार निष्ठावान बनें। प्रतिभा सम्मान समारोह में जिन स्टूडेंट्स को सम्मान प्राप्त हुआ है,उनको हार्दिक बधाई देते हुए कहना चाहूंगा की जब समाज में या किसी स्कूल में किसी को उसकी अनोखी पहल, प्रतिभा पर सम्मान मिलता है तो ऐसे कार्यक्रम दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं।
अलौकिक प्रतिभाओं का सम्मान देखकर अन्तःकरण में संकल्प जागता है।चिंतन की विशिष्ट धारा मन में बहने लगती है।किसी की सफलता देख कर इंसान स्वयं एक प्रेरक शक्ति बन सकता है। प्रेरणा से भरे इस दिन को सलाम करें।दुआ करें कि जीवन में ऐसी उपलब्धियां हर किसी को मिले।
धरती पर सब व्यक्ति समान हैं। पर क्षमताएं अलग अलग है।प्रतियोगिता ना करके हम स्वयं की क्षमता में विश्वास कायम करें। इसके साथ बच्चों के अभिभावकों से गंभीरता से कहना चाहूंगा कि आप अपने बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करें। मजदूर परिवारों के बच्चे मजदूरी के लालच में पढ़ाई छोड़ देते हैं।इसके लिए मैं गांव के भाई बहनों से कहूंगा कि आप बेशक मजदूरी या अपना कोई छोटा मोटा कार्य करते हैं, आप कीजिए।अपनी रोजी रोटी के लिए ये जरूरी है।
मगर किसी भी हालत में अपने बच्चों को जरूर पढ़ाइए क्योंकि आपके बच्चे शिक्षा रूपी हथियार से आपके सुनहरे भविष्य का निर्माण करेंगे।
इस तरह हौसला आजमाया करो
मुश्किलें देखकर भी मुस्कुराया करो
दो निवाले भले कम खा लेना
लेकिन अपने बच्चों को पढ़ाया करो
आपके साथ और हिम्मत से ही आपकी संतान देश के विकास में भागीदारी निभाएगी। आज विद्यालय में ये विशाल कार्यक्रम आपके बच्चों के लिए ही हुआ है। सरकारी विद्यालय में निष्ठा से पढ़ने वाले विद्यार्थी कामयाबी का लंबा सफर तय करते हैं। लेकिन इसके लिए बच्चों को अभिभावकों से हौंसले की जरुरत होती है। विद्यालय के हर शिक्षक का यह प्रयास है कि हमारे स्कूल के बच्चे लगन से पढ़कर जीवन में सफल हों। हमारे कुछ विद्यार्थी पढ़ाई और अन्य रचनात्मक गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे विद्यार्थियों का अध्यापक भी सम्मान करते हैं।
अपने बारे में जरूर कहना चाहूंगा कि मैं इस विद्यालय का इंचार्ज आपके लिए हुं। मेरे अधिकार क्षेत्र में जितना हो सके, बच्चों की शिक्षा के लिए प्रयासरत रहूंगा। इस कार्यक्रम को मनोरंजक और खूबसूरत बनाने के लिए बच्चों ने मनमोहक प्रस्तुतियां दी। इसके लिए हमारे शिक्षक और सभी प्रतिभागी स्टूडेंट्स बधाई के पात्र हैं। एक बार जोरदार तालियों से इन कलाकारों का सम्मान करेंगे।
माननीय मुख्य अतिथि महोदय,अध्यक्ष महोदया और विशिष्ट अतिथियों का आज के इस सफल आयोजन के लिए ख़ास तौर पर आभार प्रकट करते हैं,जिन्होंने शिक्षा के इस उत्सव में अपनी 100% उपस्थिति दर्ज करवाई। समय की इतनी भागदौड़ में आपने संयम और आनन्द से कार्यक्रम को निहारा। मेरा आपसे सादर अनुरोध भी है कि गांव के इन बच्चों के लिए स्कूल में जरुरी सामान मुहैया करवाने का कष्ट करें। आपका किया हुआ ये प्रयास हमेशा यादगार रहेगा और इन बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल रखेगा।
एक बार पुनः है आप सभी का धन्यवाद करता हूं, जो मुझे आपने सुना। आए हुए अतिथियों का ग्राम वासियों का मातृशक्ति का अभिवादन करते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूं धन्यवाद
वार्षिक उत्सव प्रिंसिपल भाषण
आपके कर्म ही आपकी पहचान है
वरना एक नाम के तो हजारों इंसान हैं
सबसे पहले आप सभी को आज के दिन की हार्दिक शुभकामनाएं हमारे विद्यालय के वार्षिक उत्सव में पधारे माननीय मुख्य अतिथि महोदय विधानसभा सदस्य श्री सतीश कुमार,विशिष्ट अतिथि पंचायत समिति प्रमुख श्री सुमित जी का,हमारे विद्यालय और ग्राम परिवार की ओर से अभिनन्दन करती हूँ
प्रांगण में उपस्थित ग्रामवासी, राजस्थान की शान भामाशाह,सभी विद्यार्थियों एवं अभिभावकों का आभार प्रकट करती हूं जो आपने इस वार्षिक उत्सव को सफल बनाया। इस विद्यालय की प्रिंसिपल होने के नाते मेरा दायित्व है कि मैं भी एक दो बातें आपके साथ साझा करूं। हमारी राजस्थान संस्कृति की राजस्थान की संस्कृति और मरुधरा की मिट्टी से जुड़े लोगों में सबसे बड़ी बात जो मानी जाती है,वह है दान देने का भाव । इस दानवीरता में राजस्थान के भामाशाहों को भारतवर्ष में ही नहीं, विश्व भर में जाना जाता है।
सादगी भरे जीवन को अपनी शान समझते हैं
मरुधरा के संस्कृति को महान समझते हैं
अनूठी पहचान है इस प्रांत के लोगों की
जो दान देना अपनी आन बान समझते हैं
हमारे प्रांत में शिक्षा के मंदिरो में दान देने की जो मुहिम चली है,मैं कहूंगी कि जहां पर शिक्षा के लिए दान होने लगे वहां पर कुछ बड़ा परिवर्तन होता है। हमारे इस विद्यालय में गांव के भामाशाहों ने अनेक कार्य करवाए हैं जिससे स्कूल का विकास और बच्चों को शिक्षण कार्यों में लाभ हुआ है। जैसे आप देख रहे हैं…………… इसके अतिरिक्त भी अनेक कार्य है जो करवाए हैं और ये समय समय पर होते रहते हैं।
ये राजकीय विद्यालय हर ग्रामवासी, विद्यार्थी, अध्यापक और सह प्रबंधकों की संपत्ति है। सबके सहयोग, सद्भावना और अनुशासन से यह संस्था चलती है। इसलिए मिलजुलकर सहयोग की भावना से इस विद्यालय को हमेशा बढ़ाते रहें गांव में शिक्षा के प्रति जागरूकता लाना,अपने घर के साथ-साथ पड़ोस के बच्चों को भी शिक्षा के लिए जागरूक करना,सरकारी विद्यालयों में बच्चों के दाखिले, गाँव और विद्यालय में स्वच्छता जैसे कार्यों की जिम्मेदारी हमें मिलकर निभानी होती है।
हमारे विद्यालय में पढ़ाई का कार्य सुचारू रूप से चल रहा है। सभी अध्यापक लग्न और शिद्दत के साथ अपना कार्य कर रहे हैं। ऐसे अनेक विद्यार्थी भी हैं जो अपनी पढ़ाई के काम को 100% कर रहे हैं। मैं चाहती हूं कि सभी विद्यार्थी अपने शिक्षा कार्य को लगन से करें। इसके साथ बच्चों के अभिभावकों को भी कहूँगी की पढ़ने वाले इन बच्चों का हौंसला बढ़ाएं। समय समय पर स्कूल में बच्चों के बारे में शिक्षको से मिलें।ये सच है कि हर मां बाप अपने बच्चों की आंखों में सुनहरा भविष्य का देख रहे हैं। पर खेद प्रकट करती हूं कि एक वार्षिक उत्सव के दिन भी माता पिता अपने बच्चों के विद्यालय में नहीं आ पाते।
किसी कवि ने सच कहा है
जीवन जितना सजता है मां बाप के प्यार से
उतना ही महकता है गुरु के आशीर्वाद से
बच्चों को बहुमुखी प्रतिभाशाली बनाने के लिए शिक्षकों का साथ दें।विद्यार्थियों के माता पिता और शिक्षकों के तालमेल से बच्चों के जीवन का सफलतम निर्माण होगा। इसके साथ कहूंगी कि बहन बेटियों को सम्मान मिले। समाज में दहेज प्रथा जैसी कुरीतियां समाप्त हो । बेटियों की शिक्षा पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाए ताकि हर बेटी स्वावलंबी बने ।मैं भी एक बेटी हूँ।मेरे पूज्य अभिभावकों ने मुझे शिक्षित किया ।जिसकी बदौलत आज शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रही हूं।
पढ़ा लिखा कर बेटी को
आजादी से जीने का हक दिलाओ
बेशक मत दें धन का दहेज
बस बेटी को क़ाबिल बनाओ
राजस्थान में बेटियों आर ए एस की परीक्षा में और बड़े-बड़े पदों पर विभूषित हुई है।यह नारी शक्ति के लिए एक क्रांति है। मुझे आशा है हम ऐसा संकल्प लेंगे और अपने बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल करेंगे। मैं विशेष रूप से धन्यवाद करुँगी माननीय विधायक महोदय श्री …..और पंचायत समिति प्रमुख श्री……, का जिन्होंने हमारे वार्षिकोत्सव के लिए अपना बहुमूल्य समय निकाला। अंत में सभी भामाशाहों, ग्रामवासियों और बच्चों के अभिभावकों का विद्यालय परिवार की ओर से आभार जो आपके सहयोग ये संस्था अपने लक्ष्य कदम पर गतिमान रहती है। दो पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देती हूँ।
जीवन और चरित्र का गठन करते है
आओ ऐसी शिक्षा के लिए यत्न करते हैं