मंच पर बोलने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है की आप अकेले में बार-बार प्रेक्टिस करें। अभ्यास से ही आप एक अच्छे पब्लिक स्पीकर public speaker बनेंगे। अगर आप मंच संचालन करते हैं या भाषण देते हैं तो शायरी (Shayari) इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अगर आपको हर प्रोग्राम पर शायरी बोलनी आती है तो आप कार्यक्रम को चार चांद लगा देते हैं। मैंने कुछ विषयों पर एक शायरी संग्रह का आर्टिकल बनाया है। आप इन शायरियों के माध्यम से बेहतरीन संचालन और भाषण कर सकते हैं
मंच उद्घोषक शायरी संग्रह
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शुभारंभ शायरी
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गदगद कंठ से वंदन करती हूं
आपके चरणों की धूलि को चंदन करती हूं
परमपिता परमात्मा की करके स्तुति
हृदय से सबका अभिनंदन करती हूं
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फूलों पर भँवरों की गूँजन हो
मां शारदे के चरणों में वंदन हो
सद्गुण संपन्न जीवन हो सबका
इस शुभ वेला पर सबका अभिनंदन हो
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खुदा के रहमों करम पर
हम नाज करते हैं
वही मालिक है जिसके नाम से
हर काम का आगाज करते हैं
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सर झुका कर इस प्रांगण में प्रवेश करते हैं
एक दूसरे के मस्तक पर अभिषेक करते हैं
करबद्ध अभिवादन से करके नमन
खुशियों से भरी महफिल का श्री गणेश करते हैं
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दिल से निकलती प्यार भरी पुकार
दिल से करते हैं आपका सत्कार
सजती रहे मुहब्बत की ये मज़लिसें
भरी सभा को मेरा सादर नमस्कार
मोबाइल स्विच ऑफ या साइलेंट के लिए शायरी (Shayari)
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माना कि किरदार इसका लाज़वाब है
उंगलियों पर आज सारा हिसाब है
मुनासिब नहीं जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल,
हिफ़ाज़त करो ख़ुद की ये मोबाइल खतरनाक है
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उंगलियों पर जब से जहां चला
पूरी दुनियां बदलकर रख दी
ये मोबाइल भी क्या चीज़ है जनाब
कहीं जिंदगी आबाद कहीं बर्बाद करके रख दी।
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अतिथि शायरी
महक उठा ये घर आंगन
जब से आप पधारे हैं
ऐसा एहसास होता है
जन्मों से आप हमारे हैं
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आपकी दुआओं,प्यार और चाहत का
ये सिलसिला यूँ ही चलता रहे
करता रहूँ मैं इबादत और सजदा
कर्म की पृष्ठभूमि पर, फल यूँ ही फलता रहे
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खुशियों के सागर के पार आ गए
लगता है मेरे गले के हार आ गए
करतल ध्वनि से गुंजा दो प्रांगण को
आज की खुशियों के सूत्रधार आ गए
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फितरत बन चुकी है
दिल-ए-बेकरार की
अब तो आदत सी हो गई है
आपके इंतजार की
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अतिथि देवो भवः
कहती ये भारत की धरा
स्वागत करके आपका
निभा रहे हैं परम्परा
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ईश्वर ने भी कीमती रतन
गिनती के ही बनाए हैं
उन रत्नों में सबसे कीमती
आज हमारे बीच में आए हैं
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बसंत की रूत दिन बहार के आते हैं
खिलती है कलियां मौसम प्यार के आते हैं
देवालय बन जाता है आंगन हमारा
जब अतिथि हमारे घर द्वार पे आते है
विधायक सम्मान शायरी
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(प्रांत का नाम)के आप अनमोल रत्न हैं
आपकी सादगी भरी अदा कमाल है
इस क्षेत्र को गौरव दिया है आपने
मिलनसार छवि आपकी बेमिसाल है
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आपकी आभा पाकर रोशन हुआ आंगन
नजारों की अब कोई जरूरत नहीं है
रोशनी बनकर महफिल में वो आ गए
अब सितारों की कोई जरूरत नहीं है
मुख्य अतिथि शायरी
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खुशियों भरी इस महफिल में
आज अपनेपन का एहसास हुआ है
आपकी गरिमामयी उपस्थिति पाकर
यह कार्यक्रम ख़ास हुआ है
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खुशियों के सागर के पार आ गए
लगता है मेरे गले के हार आ गए
करतल ध्वनि से गुंजा दो प्रांगण को
आज की खुशियों के सूत्रधार आ गए
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बिन मंजिल के मुसाफिर को
मंजिल पाने का जुनू मिल गया
मुद्दत हुई थी किसी फरिश्ते को देखे
आज आपको देखा तो सकूं मिल गया
मंच संचालन की शुरुआत शायरी
मां सरस्वती शायरी
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अभिवादन हो आप सबका
मुहब्बत की कोई नज़्म सुनाते हैं
माँ सरस्वती के आगे दीप जलाकर
आओ आज का जश्न मनाते हैं
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आसमान की ऊंचाइयों पर हम परवाज़ करते हैं
हमारे गुरुओं के सर सम्मान का ताज धरते हैं
विद्या की देवी माँ शारदा को करके सज़दा
खुशियों से भरी महफ़िल का आगाज़ करते हैं
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जन-जन में उमंग उल्लास हो
हर मन में समृद्धि का वास हो
सृष्टि में गूंजे राग बसंत
मां सरस्वती की दुआएं सबके साथ हो
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विद्या कला कौशल का वरदान दे दो
हृदय के तंतु में झंकार दे दो
तेरी रहमत बरसती रहे हर पल
समर्पण भरा ऐसा संसार दे दो
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किस तरह से शुक्रिया कहें आपको,
जमीन से उठा कर दिल में बिठा लिया,
विद्या की देवी माँ शारदे को वंदन बार बार
कि मेरे बिखरे शब्दों को कविता बना दिया
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माँ सरस्वती का ध्यान करें
हम मधुर कण्ठ से गान करें
नई चेतना पा करके
सब जग में रोशन नाम करें
ज्योति प्रज्वलन
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जैसे रौशनी होती है दीपक से
वैसा सबमें आप जोश भर दो
पावन किया दरबार को आपने
दीप जला आगाज़ कर दो
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खुशी का सवेरा गमों की शाम ढ़लती रहे
बुलंद इरादे कामयाबी की राहें खुलती रहे
पावन मन से इस मनोहरता का श्री गणेश करते हैं
सत्चरित्र की ये दिव्य ज्योति हमेशा जलती रहे
मोटिवेशनल शायरी
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कुछ करके दिखा इस दुनिया में काम बहुत है
इस दुनिया में जीतने के मुकाम बहुत है
इंसान वही है जो सही वक्त पर काम आए
वरना साथ देने वाले इंसान बहुत है
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सफर की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे
चलो चलें की जहां तक ये आसमान रहे
जो क्या उठाए कदम की पैरों में आ गई मंजिल
मजा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे
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जब टूटने लगे हौसले तो याद रखना
बिन मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते
अंधेरों में भी ढूंढ लेते हैं मंजिल अपनी
क्योंकि जुगनू कभी रोशनी के मोहताज नहीं होते
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पथ में कांटे ना होते तो जीवन का आभास ना होता
मंजिल मंजिल रहा जाती मानव का इतिहास ना होता
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जो खैरात में मिलती कामयाबी
तो हर शख्स कामयाब होता
फिर कदर न होती किसी हुनर की और
न ही कोई शख्स लाजवाब होता
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कल्पनाओं के जाल में कोई सपना नहीं होता
मीठी जुबान से कोई अपना नहीं होता
मंजिल पास ही है बस इरादा अच्छा हो
सफलता के लिए कहीं भटकना नहीं होता
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नजर की भूल है,दृष्टि का दोष है
मूल्यहीन जीवन,मन में बड़ा अफसोस है
पूरा आलम बदल जाएगा
अगर कुछ करने की इच्छा और दिल में होश है
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जो जीवन भर अंधियारों से लड़ते हैं
दुनिया उनके चरणों में दीप जलाती है
फूलों जैसी झड़ने की जिनकी तैयारी है
खुशबू उनके माथे पर तिलक लगाती है
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उसूलों पर आंच आए तो
टकराना जरूरी है
जिंदा हो अगर तो
जिंदा नजर आना जरूरी है
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अनूठे सृजन की युक्ति तुम में है
मोक्ष पद की भक्ति तुम में है
मानव मन की शक्ति की कोई सीमा नहीं
अपने पर विश्वास करो सब शक्ति तुम में है
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संकल्प का पहाड़ हो
शेर की दहाड़ हो
हार नहीं जाना है
चाहे मुश्किलें हजार हो
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हार कर जीतने का सिला सीखो
हार जीत को महान बनाती है
जीवन के पथ में रुकावट आए तो रुकना नहीं
रूकावटें इन्सान को बलवान बनाती है
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सफ़लता का एक कोई पंथ नहीं
विफलता की गोद में ही जीत है
हार कर भी जो नहीं हारा कभी
सफलता उसके हृदय का गीत है
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तजुर्बा शेर को ख़ामोश होना सिखाता है
क्योंकि दहाड़कर कभी शिकार नहीं होते
लकीर को छोड़ अपने अनूठेपन को पहचानो
अनूठे काम कभी नियमों के अनुसार नहीं होते
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जिनके मिजाज दुनिया से कुछ अलग होते हैं
महफिलों में चर्चे उन्हीं के गज़ब होते हैं
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जिन्दगी काँटों का सफ़र है,
हौंसला इसकी पहचान है,
रास्ते पर तो सभी चलते है,
जो रास्ते बनाए वही इन्सान है
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आँखे बंद करने से मुसीबत नहीं टलती
और मुसीबत आए बिना आँखे नहीं खुलती
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जीवन की असल चाल वही समझता है
जो सफर की धूल को गुलाल समझता है
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हर हाल में सूरज अपना है इक रोज ये दावा कर लेंगे
हम अहले जुनू जब चलेंगे दुनियां में उजाला कर देंगे
कश्ती को बचाना आता है बात अपनी दूजी है
तूफान पलटकर रख देगा जिस रोज़ इशारा कर देंगे
परस्पर सहयोग संगठन शायरी
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खूबसूरत होते है वो पल,
जब पलकों में सपने होते है,
चाहे जितने भी दूर रहें,
पर अपने तो अपने होते है।
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थमती नहीं ज़िन्दगी
कभी किसी के बिना
लेकिन ये गुज़रती भी नहीं
अपनों के बिना
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उम्र के इस दौर में हकीकत की भीड़ से
कुछ गुमशुदा सपने ढूंढ रहे हैं
आजकल हम अपनों में
कुछ अपने ढूंढ़ रहे हैं
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अकेले में अक्सर हम अपनी परछाइयों से डर जाते हैं,
साथ मिले गर किसी का तो हम दुनिया जीत जाते हैं
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उसके साथ नहीं था मैं
फिर भी वो मेरे साथ चला
उसने थामा हाथ मेरा
और हाथों में ले हाथ चला
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जीने का सहारा मिल जाए
गर साथ तुम्हारा मिल जाए
जीत लेंगे ज़िन्दगी की जंग
अगर दिल आपका हमारा मिल जाए
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कसर न पूछिए,ओर असर न पूछिए
कटेगा कैसे साकी बिना,ये सफर न पूछिए
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एक दूसरे की हमेशा जय करेंगे
कामयाबी का लंबा सफर तय करेंगे
घुल मिलकर रहने का करें वादा
अपनी ताकत से जमाने को अभय करेंगे,
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सबके व्यवहार भिन्न भिन्न है
पर नीयत नेक होनी चाहिए
हर मकसद पूरा हो सकता है
बस सबकी भावनाएं एक होनी चाहिए
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करना है ग़र अपने घरों को रोशन
तो दीपक की तरह जलते रहना
विश्वास के साथ जीना चाहते हो
तो लक्ष्य पूर्ण होने तक चलते रहना
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सारी धरा भी साथ दे तो और बात है
तु जरा भी साथ दे तो और बात है
चलने को तो एक पांव पे भी चलतें हैं लोग
अगर दूसरा भी साथ दे तो और बात है
नारी शक्ति शायरी
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सलमे सितारे क्या करते जग में आकर
अगर नारी ने उन्हें दामन ना दिया होता
नीम पीपल बरगद का महात्म्य
अजाना ही रह जाता
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जिस घर में नारी खुले मन से मुस्कुराती हैं
उस घर में खुशियां दौड़ी चली आती हैं
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तेरी ,अमर गाथा का गुणगान करता हुँ
हे जगतजननी तुझे प्रणाम करता हुँ
तुझसे रोशन है हर घर का द्वार, आंगन
तेरे वजूद को सलाम करता हुँ
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मीरा की वीणा कल्पना की उड़ान है
झांसी की रानी मदर टेरेसा सी दिकपाल है
नारी की कोख से ही जन्मते हैं महान पुरुष
इसलिए नारी तू पुरुष से महान है
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खुदा ने ये सिफ़त दुनियां की
हर औरत को बख़्शी है
अगर वह पागल भी हो जाए
तो बच्चे याद रखती है
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ये मीरा की अमर भक्ति जहर से मर नहीं सकती
ये झांसी वाली रानी है किसी से डर नहीं सकती
मदर टेरेसा लता हो कल्पना या सानिया,मैरी
असंभव क्या है दुनिया में जो नारी कर नहीं सकती
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नारी तुम प्रेम हो
आस्था हो विश्वास हो
टूटी हुई उम्मीदों की
एकमात्र आस हो
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नारी निंदा ना करो
नारी नर की खान
नारी से नर होत है
ध्रुव प्रहलाद समान
बेटी शायरी
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मै धरती की धरा हूँ
मै अम्बर का आसमान
कहने को मै बेटी हूँ
पर हूँ हर घर की पहचान
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पढ़ा लिखा कर बेटी को
आजादी से जीने का हक दिलाओ
बेशक मत दें धन का दहेज
बस बेटी को क़ाबिल बनाओ
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एक मीठी मुस्कान है बेटी
यह सच है कि मेहमान है बेटी
उस घर की पहचान बना देती है
जिस घर से अनजान है बेटी
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जहाँ बेटी पले खुशियाँ वहाँ दिन रात होती है
हमारी बेटियाँ घर की बड़ी सौगात होती है
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इसे बेटा बना पा लो ये इतिहास छू लेगी
करो विश्वास बेटी पर ये विश्वास छू लेगी
कभी जीवन में बेटी को नजरअंदाज मत करना
जरा से पंख खोलोगे ये आकाश छू लेगी
बुजुर्गों के लिए शायरी
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बदलते दौर में ये कैसा वक्त आया है
हमीं से दूर हो रहा हमारा साया है
हम आज उनकी जुबाँ पे लगा रहे बंदिश
जिन बुजुर्गों ने हमें बोलना सिखाया है
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वह जो सम्मान अपने से बड़ों का आज करते हैं
सफलताओं से दुनिया में वही आगाज करते हैं
हजारों ठोकरें खानी पड़ेगी उनको ए दोस्तों
बुजुर्गों की नसीहत जो नजरअंदाज करते हैं
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जब से लोग बुज़ुर्गों की इज्जत कम करने लगे हैं
दामन में दुआएं कम और दवाएं ज्यादा भरने लगे हैं
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छत नहीं रहती,दहलीज़ नहीं रहती,दीवारों दर नहीं रहता
जिस घर में बुजुर्ग ना हो वो घर घर नहीं रहता
हक अधिकारों के लिए शायरी
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केवल सोचने से सपना चाह नहीं बन सकता
कोरे शब्दों से इन्सान औरों की निगाह नहीं बन सकता
एकत्रित रहकर संगठन में विश्वास भरना सीखो
बिखरा हुआ समाज कभी बादशाह नहीं बन सकता
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फूल बनकर जो जिया वो यहाँ मसला गया
जीस्त को फ़ौलाद के साँचे में ढलना चाहिए
छिनता हो जब तुम्हारा हक़ कोई उस वक़्त तो
आँख से आँसू नहीं शोला निकलना चाहिए
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जिनमें हक के लिए लड़ने का साहस नहीं
वो इस मुर्दापन से कभी आपको दगा देंगे
ऐसी जिंदा लाशों का मर जाना बेहतर होगा
ये जिंदा रहे तो समाज को कायर बना देंगे
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ज़ुल्म सहते सहते मरने वालों की तो
अगली पीढ़ियां भी गुलाम बन जाती है
अपने हक के लिए लड़ते लड़ते जो मर गए
उनकी शहादत पीढ़ियों के लिये तूफ़ान बन जाती है
सांस्कृतिक कलाकारों के लिए
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अनूठी प्रतिभाएं दुनिया में पहचान बनाती हैं
स्वतंत्र सोच इंसान का स्वाभिमान जगाती हैं
आप जोश भरी तालियों का तोहफा देते रहिए
तालियां ही कलाकार को मूल्यवान बनाती हैं
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सब्र की ताकत का कोई मुकाबला नहीं
मगर हौंसले सपनों की परवाज़ बदल देंगे
बस आपकी जानदार तालियों की ज़रूरत है
ये कलाकार महफ़िल का अंदाज़ बदल देंगे
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हृदय में अपनत्व का एहसास होता है
प्रेम की कोई परिभाषा नहीं होती
कलाकारों के सच्चे सम्मान में
तालियों के सिवाय कोई भाषा नहीं होती
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ख़्वाहिशें आली होंगी आसमान बन जाएंगी
उदासियां ग़र्क होकर आसमान बन जाएंगी
आप तालियां बजाकर हौंसलो को हवा देते रहिये
आपकी तालियां महफ़िल की जान बन जाएंगी
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रोम रोम में विश्वास भर देगी
आज इस मंच को खास कर देगी
जोश भरी तालियां बजाते रहना दोस्तो
ये तालियां इन कलाकारों में साहस भर देगी
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इन कलाकारों को बुलंदियों की हवा दीजिये
नये नये फूल खिलें हैं इन्हें मक़बूलियत की दुआ दीजिये
ये अपने फ़न से हर महफ़िल में ऐसे ही रंग जमाते रहें
इनके लिए दुआओं में जोरदार तालियां बजा दीजिये
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बहारों की महफिल सुहानी रहेगी
लबों पर खुशियों की कहानी रहेगी
चमकते रहेंगे खुशियों से ये सितारे
अगर आपकी तालियों की मेहरबानी रहेगी
समापन शायरी
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मिलते ही ख़ुशी यहाँ विलीन हो जाती है
किस्मत यहाँ जागते ही सो जाती है
इस शहर की देखी है अनोखी इक बात
यहाँ सुबह के साथ शाम हो जाती है
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चाहे ईश्वर अल्लाह रब ख़ुदा का नाम लेता हुँ
मगर दिलों में अमन को अपनी आवाम कहता हुँ
मेरी इन नसीहतों को मैं भी जीवन में उतारूँगा
इस वादे के साथ अपनी वाणी को विराम देता हुँ
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