मंच संचालन हिन्दी स्क्रिप्ट | Anchoring Script

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मंच संचालन (Anchoring) एक ऐसा कौशल है, जो न सिर्फ़ किसी कार्यक्रम की रूपरेखा को सजीव बनाता है, बल्कि दर्शकों और प्रस्तुतकर्ताओं के बीच एक सेतु का कार्य भी करता है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मंच संचालन (Anchoring) का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि यह न केवल कार्यक्रम की शुरुआत करता है, बल्कि हर प्रस्तुति को एक आकर्षक ढंग से दर्शकों तक पहुंचाता है।

इस लेख में हम हिंदी में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए संपूर्ण मंच संचालन (Anchoring) स्क्रिप्ट को साझा करेंगे, जिसमें हर एक बारीकी से विचार किया गया है। चाहे वह अतिथियों का स्वागत हो, दीप प्रज्वलन हो, या विभिन्न प्रांतीय सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का परिचय – यह स्क्रिप्ट आपको एक सफल और प्रभावशाली एंकरिंग (Anchoring) के लिए तैयार करेगी। इसके माध्यम से आप न केवल अपने शब्दों की गहराई से दर्शकों को जोड़ पाएंगे, बल्कि सांस्कृतिक विविधता को भी सरल और सजीव रूप में प्रस्तुत करेंगे।

तो आइए, इस मंच संचालन (Anchoring) की स्क्रिप्ट को विस्तार से जानें, जो आपको हर कार्यक्रम में सफल मंच संचालन के लिए मार्गदर्शन देगी।

सांस्कृतिक विरासत कार्यक्रम स्क्रिप्ट मंच संचालन

प्रारंभ संचालक की एंट्री

आओ प्रभु से हम दुआ मांगे
जिंदगी जीने की अदा मांगे
अपनी खातिर तो बहुत मांगा है
आओ आज सबके लिए भला मांगें

सबसे पहले आप सभी को आज के दिन की हार्दिक शुभकामनाएं आज का यह पावन दिन सभी को मुबारक हो। हमारे विद्यालय के चेयरमैन श्री……. प्रधानाचार्य श्री…,सभी आदरणीय टीचर्स एवं सभी विद्यार्थियों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आज हमारे विद्यालय में राष्ट्र के नाम एक सजाई गई है। जिस मंच (Anchoring) पर हम विविधता में एकता के प्रतीक भारत से परिचित होंगे। हर हृदय में मानवता का वास हो।ऐसी ही प्रेरणा से भरा होगा ये दिन।

बहारों की महफिल सुहानी रहेगी
लब पर खुशियों की कहानी रहेगी
चमकते रहेंगे खुशियों से ये सितारे
अगर आप की तालियों की मेहरबानी रहेगी

आज के इस पावन दिवस के सम्मान में एक बार अपनी तालियों से प्रांगण को गुंजायमान कर दीजिए। आज हम साथ मिलकर भिन्न भिन्न प्रांतों की सांस्कृतिक विरासत को निहारते हुए राष्ट्र के प्रति कृतसंकल्प होंगे।

दिन निकला हर दिन जैसा
🌞पर आज का दिन कुछ खास हो 🌞
अपने लिए तो मांगते हैं रोज
आज सबके भले की अरदास हो

हर दिन शुभ होता है।एक उपलब्धि लेकर आता है।हम सब हर दिन खुद से वादा करें कि हमारा जीवन सबके भले के लिए हो। आजादी दिलवाने वाले देशभक्तों ने आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए और गणतंत्र के संस्थापकों ने हमारे स्वर्णिम भविष्य के लिए हमें एक निष्पक्ष संविधान दिया। राष्ट्र के प्रति समर्पण और शुभ संकल्प को लेकर आज हमारे विद्यालय में लघु भारतीय मंच (Anchoring) सजाई गई है।

ऐसा करें संकल्प की भारत का निर्माण हो
शिक्षा हो ऐसी जिसमें भारत का कल्याण हो
वतन के लिए कुछ कर गुजरने की हो चाहत
गौरवशाली हो भारत और भारत पर अभिमान हो

हमारे होनहार विद्यार्थियों के लिए आज का दिन प्रेरणादायक रहेगा क्योंकि हम अपना राष्ट्रीय एकता दिवस विद्यालय में मना रहे हैं। इसके लिए हमारे स्टूडेंट्स ने भिन्न भिन्न राज्यों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां तैयार की है।विद्यालय परिवार की ओर से बाहर से आए हुए अतिथियों,बच्चों के अभिभावकों का अभिनंदन करते हैं।

अतिथि आगमन

इसी बीच आपके बोलते हुए मुख्य अतिथि चेयरमैन सर आ जाते हैं आप बोल सकते हैं।

फितरत बन चुकी है
दिल ए बेकरार की
अब तो आदत सी हो गई है
आपके इंतजार की

छोटे से इंतजार के बाद हमारे विद्यालय के चेयरमैन माननीय श्री ……. एवम विशिष्ट अतिथियों का प्रांगण में पहुंचने पर दिल से अभिनंदन करते हैं।

नीचे अवनी ऊपर अंबर
बीच धरा के पवन हिलोरे खाती
सप्तधारा के शांत करों से
सौंधी गंध ये आती
पुष्पगंध में बसा हुआ है
आज यहां पर प्रांगण
अभिनंदन स्वीकार करें
स्वीकार करें अभिनंदन

जोरदार तालियों से हम स्वागत करेंगे श्री जी का जिनकी बदौलत आज हमें यह अनूठा कार्यक्रम देखने को मिला है।‌आज हमें इस मंच पर (Anchoring) भारत की भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के दर्शन होंगे।

दीप प्रज्वलन

इस कार्यक्रम की प्रयोजन सिद्धि के लिए विद्या और कला की देवी मां शारदा के आगे दीप प्रज्वलन होगा।

अभिवादन हो आप सबका
देशप्रेम की कोई नज़्म सुनाते हैं
माँ सरस्वती के आगे दीप जलाकर
आओ राष्ट्र की एकता का पर्व मनाते हैं

निदेशक महोदय से निवेदन है कि वो मंच पर आएं और ज्ञान की इस ज्योति को प्रज्वलित करें। आओ इस चिन्मय ज्योति के साथ एक हो जाएं ताकि सबके भीतर का अंधेरा मिट जाए।सबके जीवन में ज्ञान के प्रकाश का परम अनुभव हो।मां शारदे के आशीर्वाद से हम जलते हुए चिराग बने। जहां-जहां पहुंचें,अंधेरा दूर हो। हम सभी उस अलौकिक शक्ति, अदृश्य शक्ति को याद करें और धन्यवाद करें कि हमें यह सुंदर जीवन मिला है।

स्वागत सम्बोधन

किसी भी संगठन,संस्था की सफलता के पीछे एक टीम वर्क होता है।हमारे स्कूल प्रबंधन/स्कूल परिवार/के प्रबल भावनात्मक सहयोग की बदौलत हम समाज के उत्थान के लिए प्रेरित हैं ।हमारा यही भावनात्मक जुड़ाव हमारे शुभ कार्यों को गति दे रहा है। अभी मैं ऐसी ही व्यक्तित्व को मंच पर आमंत्रित कर रहा हूं। जो हमेशा बेहतर से बेहतर करने के प्रयास किए हैं। जिनका स्वभाव शीतल चंदन की तरह है। भावों की हार्दिक गहराई के साथ आपकी सम्मान भरी तालियों से मंच पर आमंत्रित करूंगा श्री …… जो आएं और आज के सांस्कृतिक कार्यक्रम का आरंभ करें।

भाषण
भाषण समाप्त के बाद बोलें

एक बार आपकी तालियां चाहुंगा थैंक्यू सर। राष्ट्र को समर्पित आपके प्रेरणादायक विचार हमारे लिए हमेशा मार्गदर्शन का काम करेंगे। बहुत सुन्दर संदेश दिया। आज हमें इसी तरह देश के प्रति समर्पण की ज़रूरत है। यही समर्पण हमें देश हित के लिए प्रेरित करेगा। श्री ….. के अनमोल विचार हमारे लिए पथ प्रदर्शन का काम करेंगे आज के इस शानदार माहौल के लिए एक बार पूरे आवेग के साथ आपकी करतल ध्वनि हो जाए।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की शुरुआत

यूं ही नहीं इस देश में
खुशियों के चमन खिलते हैं
जरा आंख उठाके देख ऐ विश्व
यहां दीप नहीं दिल जलते हैं

अभी समय आ चुका है मनमोहक प्रस्तुतियों का। एक बार आपकी जोश भरी तालियां हो जाए।अभी देशभक्ति सांस्कृतिक गीत, संगीत, कला प्रस्तुतियां होंगी।

मरके भी अमर हो जाएं, ऐसी शान होनी चाहिए
कफ़न तिरंगा और, होठों पे मुस्कान होनी चाहिए
कितनी उज्जवल है हमारी सांस्कृतिक विरासत
आज आपकी तालियों में वैसी जान होनी चाहिए

आपकी जोरदार तालियों के साथ मंच पर पहली प्रस्तुति के लिए आ रहे हैं।

पंजाबी कल्चरल प्रस्तुति

राजस्थान प्रांत को हरियाणा, मध्यप्रदेश प्रदेश,उत्तर प्रदेश और पंजाब की सीमा लगती है।किसी प्रांत पर उसके सीमावर्ती राज्यों की संस्कृति का गहरा प्रभाव पड़ता है।ऐसे में सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी होता है। पंजाबी कल्चर ने भी राजस्थान वासियों पर गहरी छाप छोड़ी है। राजस्थान के लोग पंजाब के लोकगीत ,लोक नृत्य गिद्दा भंगड़ा के लोग मुरीद रहें हैं। हमारे विद्यालय में भी बच्चों ने भंगड़े की जबरदस्त तैयारी की है। पूरी निष्ठा और लगन से टीचर्स ने बच्चों को भंगड़े के लिए तैयार किया है।

💃💃
शीशा टूटे किड़ किड़ होवे पत्थर टूटे अग लावे
तारा टूटे समान दे विचों इक जख्म जैहा कर जावे
मंसूर मियां जद दिल टूटदा
फेर टुटयां आवाज ना आवे
💃💃

जितनी तालियां अब तक नहीं हुई उससे बहुत ज्यादा जोश भरी आपकी तालियां होनी चाहिए। आ रहे हैं आपके सामने स्टूडेंट्स पंजाबी कल्चर लेकर

पंजाबी कल्चरल प्रस्तुति
पंजाबी कल्चरल प्रस्तुति समाप्त

आत्म गौरव भाव लेकर
देश आगे बढ़ चला हैं।
पथ सदा हमने चुना वह
विश्व का जिसमें भला है

इस मनमोहक प्रस्तुति के लिए आपकी करतल ध्वनि की गूंज होनी चाहिए। एमबीडी स्कूल की‌ ये विशेष प्रतिभाएं जिन्होंने भारतीय संस्कृति को संजोने का काम किया है। हमेशा यूं ही हम लोग अपनी सांस्कृतिक विरासत से जुड़े रहे

Cultural program Manch Sanchalan Script In Hind

हरियाणवी संस्कृति प्रस्तुति

अभी हम हरियाणवी संस्कृति के दर्शन करेंगे।हरियाणा का खान-पान और पहनावा सादगी भरा है।

जित दूध दही का खाना
यह मेरा हरियाणा

सादे और पौष्टिक खानपान की बदौलत पहलवानी और अन्य खेलों में हरियाणा के युवा ही ओलंपिक से गोल्ड मेडल लेकर आते हैं। हरियाणा की आन बान शान और यहां कि संस्कृति को उज्जवल करती एक ऐसे ही प्रस्तुति आपके सामने पेश है।
जोरदार तालियों के साथ मैं आवाज दे रहा हूं प्रतिभागी छात्राओं को हरियाणवी ग्रुप डांस के लिए

अपनी जान के दुश्मन को भी
हम अपनी जान कहते हैं
मुहब्बत की इसी मिट्टी को
हिन्दुस्तान कहते हैं

इन बच्चों का जोशभरी तालियों के साथ स्वागत कीजिए। विविधता में एकता यही भारत की शान है यही हमारी पहचान है।

देशभक्ति प्रस्तुति

भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में आजादी का अमृत महोत्सव चल रहा है।अमृत का मतलब होता है “अमर “जो कभी ना मरे, जो चिरस्थाई हो। अमृत शब्द का इतना गहरा अर्थ है। इसलिए इस विलक्षण शब्द का प्रयोग भारत की आजादी के इतिहास के लिए, देश भक्तों शौर्य और बलिदान के लिए किया गया है।

गीत आंसू पोंछ कर सृजन के गा रहा हुँ
मां भारती के दर्द को मैं आप तक पहुंचा रहा हूं
सार मेरी साधना का शेष रहना चाहिए
मैं भले मिट जाऊं मगर मेरा देश रहना चाहिए

वतन की खातिर कुर्बान हमारे देश भक्तों के ऐसे ही प्रचंड भावों से हमें आजादी मिली।भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास अमृत के समान है। जो युगों युगों तक आने वाली पीढ़ियों और विश्व के लिए प्रेरणा बनेगा। शहीदों की याद में आपके सामने पेश है देशभक्ति ग्रुप डांस। देशभक्ति से ओतप्रोत प्रस्तुति देने आ रहे हैं बच्चे आपकी सम्मान भरी तालियों के साथ।

देशभक्ति ग्रुप डांस
देश भक्ति डांस का समापन

दुनियां के सब पीर पैगंबर
यही संदेश सुनाते हैं
प्रेम से मजलिस सजती है
नफरत से मरघट बनते हैं

आज की हमारी देश भक्ति इन प्रस्तुति उसे हम प्रेरणा लें कि हम अपने वतन के लिए कुछ ऐसा करें । जिससे अमन, चैन और भाईचारा कायम हो और मानवता का विकास हो।

बिहार कल्चरल प्रस्तुति

बिहार की संस्कृति प्राचीन काल से ही समृद्ध रही है।भोजपुरी, मैथिली, मगही, तिरहुत तथा अंग संस्कृतियों का मिश्रण है। नगरों तथा गाँवों की संस्कृति में अधिक फर्क नहीं है। नगरों में भी लोग पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते है। बिहार प्रान्त में छठ पूजा, होली जैसे पर्वों पर बनाए जाने वाले पकवान विश्व भर में प्रसिद्ध है। अपनी इस मंच पर बिहार प्रांत की छोटी सी सांस्कृतिक झलक देखते है। एमबीडी विद्यालय के माननीय निदेशक सर का दिल से धन्यवाद करते हैं ,जिन्होंने इस मंच को लघु भारत का रूप देने का सुंदर निर्णय लिया। आपकी जोरदार तालियों के साथ पैसे आपके सामने यह है बिहार की सांस्कृतिक प्रस्तुति।

बिहार कल्चरल प्रस्तुति
बिहार कल्चरल प्रस्तुति समाप्त

कौम को कबीलों में मत बाँटिये
यह सफ़र चंद मीलों में मत बाँटिये
एक नदी की तरह है हमारा वतन
इसे नालों और झीलों में मत बाँटिये

हमारी राष्ट्रीय एकता का संदेश देती आज कि इन सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के लिए एक बार फिर से आपकी करतल ध्वनि से प्रांगण में गूंज उठनी चाहिए।

महाराष्ट्र कल्चरल प्रस्तुति

अभी आपको फिर ले चलते महाराष्ट्र प्रांतीय कल्चर की ओर। भारतीय सांस्कृतिक गीत संगीत में आज विश्व स्तर तक धूम मचाई है। गीत संगीत नृत्य में ही किसी प्रांत की संस्कृति की झलक मिलती है।
महाराष्ट्र कल्चरल के गीत पर खुबसूरत डांस नृत्य करने मंच पर आ रही हैं …. क्लास की स्टूडेंट्स। आपकी तालियों की गूंज बनी रहनी चाहिए। आपकी तालियों की आवाज से इन कलाकारों के हौसलों को परवाज देगी।

पेश है नृत्य
नृत्य समाप्त

वन में पंछी अनेक हैं पर ठिकाना एक है
सबकी भाषाएं भिन्न भिन्न हैं पर तराना एक है
दिल में हो अगर प्यार तो सारा जमाना एक है
हम शिकारी भिन्न भिन्न हैं पर निशाना एक है

बहुत ही अच्छी प्रस्तुति एक बार में जरूर कहना चाहूंगा कि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को हृदय में संजोकर रखे। अपनी संस्कृति से ही अपनी पहचान है। बेशक हम भिन्न-भिन्न भाषा,भिन्न भिन्न संस्कृतियों से है। लेकिन हमारा मज़हब, हमारी क़ौम बस एक ही है कि हम भारतीय हैं।

उड़ीसा की संस्कृति

ओडिशा में अतीत में विभिन्न शासकों का शासन रहा है और उन्होंने राज्य की संस्कृति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।यहां के लोग भगवान जगन्नाथ और भगवान शिव के उत्साही अनुयायी और उपासक हैं। उड़िया यहाँ बोली जाने वाली प्राथमिक भाषा है, जिसमें बहुत सारी आदिवासी भाषाएँ भी हैं। प्राचीन राज्यों में एक उड़ीसा की संस्कृति अति उज्जवल है आओ हम लोग उड़ीसा की उज्जवल संस्कृति का दर्शन करते हैं। एक बार जोरदार तालियों के साथ स्वागत करेंगे हमारे आदरणीय टीचर्स का जिन्होंने बच्चों को भिन्न-भिन्न राज्यों के कल्चर कि कल्चरल प्रस्तुतियां तैयार करवाई। आ रहे हैं हमारे स्टूडेंट उड़ीसा का लोकनृत्य लेकर।

उड़ीसा का लोकनृत्य प्रस्तुति
उड़ीसा का लोकनृत्य प्रस्तुति समाप्त

बहुत ही अच्छी प्रस्तुति एक बार में जरूर कहना चाहूंगा कि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को हृदय में संजोकर रखे। अपनी संस्कृति से ही अपनी पहचान है। बेशक हम भिन्न-भिन्न भाषा,भिन्न भिन्न संस्कृतियों से है। लेकिन हमारा मज़हब, हमारी क़ौम बस एक ही है कि हम भारतीय हैं।हमारी भारतीय संस्कृति के लिए जोरदार तालियां होनी चाहिए।भारत में अनेक भाषाएं है फिर भी अभिव्यक्ति एक है। भारत के रंग अनेक मगर तिरंगा एक है।भारत‌ में राज्य अनेक मगर राष्ट्र एक है।

गुजरात सांस्कृतिक विरासत

गुजरात की संस्कृति में मुख्यत: शीशे का काम तथा ‘गरबा’ एवं ‘रास’ नृत्य पूरे भारत में प्रसिद्ध है। गुजरात हमारा पड़ोसी राज्य है।हमारा पड़ोसी राज्य है। इसके कुछ सांस्कृतिक झलक राजस्थान में भी देखने को मिलती है और राजस्थानी संस्कृति की झलक गुजरात में भी देख सकते हैं। विविधता में एकता के प्रतीक इस लघु भारत के मंच पर दर्शन करते हैं गुजरात के विश्व प्रसिद्ध लोकनृत्य का। तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्टूडेंट्स का सम्मान करेंगे।

गुजरात सांस्कृतिक प्रस्तुति
गुजरात सांस्कृतिक प्रस्तुति समाप्त

दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर जब हम भारत के राज्यों की भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के दर्शन करते हैं तो भारत की श्रेष्ठता के दर्शन होते हैं । अलग-अलग भाषाओं के लोग देश गान करते हैं तो राष्ट्र की एकता महसूस होती है। ऐसा ही भाव हमारा रहे और आज इस मंच से हम यही संकल्प लेंगे।

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