Children Day Speech in Hindi for Students
अपना गम लेकर कहीं और ना जाए
घर में बिखरी हुई चीजों को सजाया जाए
घर से मस्जिद है बहुत दूर
तो यूं कर लें किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए
सबसे पहले आप सभी को मेरा सादर प्रणाम।
बाल दिवस के इस शुभ अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
यह हमारा सौभाग्य है कि भारतवर्ष में 14 नवंबर को विशेष रूप से चिल्ड्रन डे मनाया जाता है। 1964 में भारत के प्रथम प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद यह निर्णय लिया गया कि पंडित जी के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
ऐसा इसलिए क्योंकि पंडित जी को बच्चों से अपार स्नेह था। उन्हें बच्चे प्यार से चाचा नेहरू कह कर पुकारते थे। आज हम इस बाल दिवस पर क्या प्रेरणा लें?
ये इसलिये जरूरी है क्योंकि यह दिन इन नादान बच्चों के सम्मान में मनाया जाता है। मुझे आज इस मंच पर अपने विचार रखने का अवसर मिला है तो मैं बस यही कहूंगा कि इन बच्चों के बचपन को छीना ना जाए।
21सवीं सदी में इतना तो अच्छा रहने दिया जाए
बच्चों को बस बच्चा ही रहने दिया जाए
अगर बच्चों के माता-पिता बच्चों में परिवर्तन चाहते हैं उन्हें अच्छी आदतों के साथ देखना चाहते हैं तो हर माता-पिता यह संकल्प ले की पहले खुद के व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लेकर आए।बच्चे खुद ब खुद बदल जाएंगे ।
हर माता-पिता का सपना होता है कि उसका बच्चा महान बने, उनके बड़े-बड़े सपनों को पूरा करें। इसके लिए अभिभावकों को बच्चों के सामने खुद को आदर्श के रूप में रखना होगा।
अपने वक्तव्य के समापन पर यही कहूंगा कि इन नादानों को खेलने दो, दौड़ने दो। और अपने आपको दर्पण की तरह साफ पोंछ कर रखो ताकि ये बच्चे बड़ों को देख कर अपना जीवन निर्माण कर सकें।
इन दो पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देता हुँ।
जिंदगी अपनी बना लीजिए हवन की तरह
प्यार गैरों पर भी बरसाईये सावन की तरह
कल को औलाद देख सकती है चेहरा इसमें
खुद को रखिएगा साफ़ पोंछकर दर्पण की तरह
धन्यवाद
भाषण समाप्त
बाल दिवस कार्यक्रम के मंच संचालन में बचपन की शायरी
जागते ही आंखों में उल्लास होता है
हर दिन इनके लिए खास होता है
बच्चों संग बिताएं कुछ पल हर दिन
तन मन में सुकून भरा एहसास होता है
बचपन साथ रखिएगा
जिंदगी की शाम में
उम्र महसूस ही नहीं होगी
सफर के मुकाम में
आओ ऐसा काम करें
जग में रोशन नाम करें
स्मरण कर उस पारब्रह्म का
इस मंच का सुन्दर आगाज़ करें
सच्चाई और प्यार की तस्वीर हैं ये बच्चे
नफ़रत नाम भी नहीं जानते हैं ये बच्चे
काश इन बच्चों का सा दिल हो जाए हमारा
क्योंकि इस दुनियां में यही हैं सबसे सच्चे
दिखने में ये बच्चे भोले नादान होते हैं
मगर सच्चाई पर हमेशा कुर्बान होते हैं
तुम नन्ही बुनियाद हो नए विधान की
मूरत हो तुम सच्चाई और ईमान की
तुम राम कृष्ण तुम हो नानक
तुम से ही जागेगी किस्मत हिंदुस्तान की
सच्ची दोस्ती तो बच्चे करते हैं
बड़े तो समझौते और सौदेबाजी करते हैं
कागज की कश्ती थी पानी का किनारा था
खेलने की मस्ती थी ये दिल भी आवारा था
कहां आ गए हम इस समझदारी के दलदल में
वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था
शिक्षा के इन मंदिरों से कुछ जिंदगियां
खाली ही गुजर जाती हैं
जब देखता हूं गौर से इन मासूमों की आंखों में
तो मुझे मेरी मंजिल नजर आती है
खिलखिलाती इस महफ़िल के सितारो
आपके लिए दिल में सम्मान बहुत है
मेरे हुनर को देखकर जाना आज
बेशक बच्चा हुँ पर इरादों में जान बहुत है
दौड़ने दो खुले मैदानों में
इन नन्हे कदमों को जनाब
जिंदगी बहुत तेज भगाती है
बचपन गुजर जाने के बाद
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Bahut ache satishji
Sandar speech and sayri h sir ji
Thanks Teekam Ji
Very good
Dhanyavaad Sudhir ji
बहुत अच्छे sir