Shrimad Bhagwat Katha Manch Sanchalan Script

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सबसे पहले आपको मेरी ओर से सादर प्रणाम जहां तक मेरा अनुभव है, मैं आपको दिशा देने का प्रयास करूंगा। ज्यादातर हम लोग देखते हैं कि जब हमारा कोई भी कार्यक्रम शुरू होता हैं उसमें साज सजावट साउंड हर चीज लग जाती है। उसके बाद भी एक एंकर उस कार्यक्रम के आरंभ होने के इंतजार में रहता है। यानी कि जब श्रीमद् भागवत कथा (Bhagwat Katha) कार्यक्रम में कथा व्यास एवम मुख्य अतिथि पहुंच जाए या विधिवत रूप से शुरू करना हो तभी एक संचालक अपने आप को मंच पर लेकर आता है।

सज्जनों इस से भी अच्छा हो सकता है,अगर आप कथा व्यास और मुख्य अतिथि के आने से पूर्व मंच पर बोलना शुरू कर दें। कथा कार्यक्रम में 30,40 मिनट पहले साउंड लगने के बाद कोई धार्मिक गीत, भजन बजने लगता है,उस समय कुछ कुछ बोलना शुरू कर दें। कथा कार्यक्रम, किसी धार्मिक आयोजन अथवा जागरण में नारी शक्ति, बच्चे, कुछ वरिष्ठ नागरिक, गौशाला कमेटी के सदस्य निर्धारित समय से 30,35 मिनट पूर्व आ जाते हैं, कुछ आ रहे होते हैं। श्रीमद्भागवत कथा (Bhagwat Katha) के संगीतमय कार्यक्रम में एक विशेष बात ये है की सबसे पहले साउंड लगने के बाद वाद्य वृंद यानी साज बजाने वाले अपने वाद्यों की सेटिंग करते हैं, कोई धुन बजाते हैं या गणेश वंदना करते हैं।

ऐसे में आप संचालक की भूमिका श्रेष्ठता से निभाइए। मातृ शक्ति, आज के शुभ मुहूर्त पर, गौशाला, बुजुर्ग, गांव की महिमा पर बोलना शुरू कीजिए। वाद्य वृंद के वादकों का भी नाम सहित परिचय करवाएं। उनका कमेटी अथवा गांव की तरफ से स्वागत करें। गणेश वंदना के लिए उन्हें आमंत्रण दें। साफा, तिलक कथा व्यास के आने के बाद करवाएं। इससे आपको सबसे बड़ा लाभ होगा कि इस आधे घंटे में या 20 मिनट में आप अपने आपको आत्मविश्वास से भर लोगे। ऐसे आपके बोलने के दौरान ही कथा (Bhagwat Katha) व्यास,अतिथि प्रांगण में प्रवेश करते हैं तो आप के कार्यक्रम की कड़ी से कड़ी जुड़ती जाती है । कथा प्रांगण में अपने भक्तिमय शब्दों और शायरी, मुक्तक से वातावरण बनाएं। कार्यक्रम से पहले शायरी, शब्दावली से वातावरण बनाने के लिए बिना हड़बड़ाहट के धैर्य से काम लें। इससे आप अपने अनुसार अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने का प्रयास करें।

मंच संचालन हिंदी में एंकरिंग स्क्रिप्ट

संचालक की प्रांगण में बोलने की शुरुआत शायरी से

फूलों पर भँवरों की गूँजन हो
मां शारदे के चरणों में वंदन हो
सद्गुण संपन्न जीवन हो सबका
इस शुभ दिवस पर सबका अभिनंदन हो

सबसे पहले आप सभी को आज के पावन दिन की हार्दिक शुभकामनाएं। ईश्वर की असीम अनुकंपा से हर वर्ष की भांति इस बार भी हमारे गांव के गौशाला प्रांगण में श्रीमद् भागवत कथा (Bhagwat Katha) का आयोजन हो रहा है। आज प्रथम दिवस है। प्रभु का धन्यवाद करें जो आज का यह शुभ हमें मिला है।

दिन निकला हर दिन जैसा
पर आज का दिन कुछ ख़ास हो
अपने लिए तो जीते हैं रोज
आज सबके भले की अरदास हो।

इस सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा (Bhagwat Katha) कार्यक्रम में अपने वाद्यवृंद के साथ संगीतमयी प्रवचन करेंगे कथा व्यास परम श्रद्धेय संत श्री कृपा राम जी महाराज। सबसे पहले परम श्रद्धेय संत कृपा राम जी महाराज के साथ आए हुए वाद्य वादकों का जोरदार तालियों से स्वागत करें। जो अपने जादुई हाथों से मधुर स्वर लहरियां छेड़ेंगे और वातावरण को मंत्रमुग्ध करेंगे।

साज की खुशबु साज की आवाज़ से आती है
इंसानी मिज़ाज की खुशबु उसके जज्बात से आती है

सम्माननीय वादकों में श्री रमेश जी आर्गन पर मधुर स्वर बजाएंगे। ढोलक (तबला) की थाप से भजन कीर्तन को लय देकर सुन्दर बनाएंगे श्री सलमान जी, इलेक्ट्रो पैड की भिन्न भिन्न लयात्मक ध्वनियों से संगीत और वातावरण को श्रृंगारित करेगे श्री गणेश जी और इनके साथ अपने मीठे मीठे भजनों से प्रांगण को भक्तिमय करेंगे श्री नरेंद्र जी। प्रांगण में लगी साउंड सिस्टम की आवाज़ का सटीक संतुलन बनाए रखने का काम करेंगे बंसी साउंड से श्री विकी चौहान। एक बार जोरदार तालियों से हम सभी स्वागत करेंगे, मैं निवेदन करूंगा वाद्यवृंद से कि आज के इस पावन दिन के स्वागत में एक मधुर स्वर लहरी बजाएं।

गऊ माता के चरणों की धूल चंदन से कम नहीं
आपकी उपस्थिति किसी अभिनंदन से कम नहीं
जोरदार तालियों से कथा प्रांगण को भक्तिमय करें
तो ऐसा लगेगा की आपका प्रयास वंदन से कम नहीं

आपकी इन्ही तालियों के साथ सबसे पहले सिद्धि विनायक, रिद्धि सिद्धि के दाता गजानन महाराज की स्तुति होगी। किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले भगवान श्री गणेश की वंदना करते हैं।

क्षमा भाव मन में रखें हमेशा
यहाँ क़दम क़दम पर भूल होती है
सर्वप्रथम करें गणेश की पूजा
तो दुआएं क़बूल होती है

इसी के साथ हमारे गायक कलाकार गणेश वंदना करेंगे

एक बार सभी जोरदार जयकारा लगाएंगे।
बोलिए गजानंद महाराज की जय
बोलो गऊ माता की
बोलो सच्चे सनातन धर्म की जय
श्रीमद्भागवत महापुराण की जय

इसी के साथ कहना चाहूंगा की हमारे गांव की गौशाला कमेटी का हमेशा प्रयास रहता है की गऊओ के प्रति हमारी श्रद्धा बढ़े। हमारे गांव के आपसी सहयोग, भामाशाहों की कृपा दृष्टि से गऊ माता की सेवा हो रही है।गायों की सेवा हमारी सनातन संस्कृति है। गौशालाओ में दान करके हमारे भामाशाहों ने भारतवर्ष की सनातन संस्कृति को जीवंत किया है। हिंदू धर्म में सेवा, तप, त्याग, दान, जीवों के प्रति दया को ही धर्म कहा जाता है। हमारे धर्म ग्रंथों में भी गाय की महिमा का सुन्दर उल्लेख है। इसी के साथ हमारी राजस्थानी संस्कृति के संस्कार संजोए आयु से अनुभवी सम्माननीय बुजुर्ग,सदगुण संपन्न युवा नागरिक एवं गृहस्थ जीवन की धूरी नारी शक्ति का करबद्ध अभिवादन करता हूं।

क्षुधा, पिपासा तजकर बिखेर रही है मुस्कान,
भावना ने तेरी बना दिया; पति को देव समान।
ममता-शक्ति की तूं बानगी महिमा तेरी अपार,
नारी तूं नारायणी, करते हैं तुम्हें हृदय से प्रणाम।

घर द्वार की देवी माताओं बहनों को चरण वंदन करता हुं। भारतीय सनातन संस्कृति के पूजा पाठ ,अर्चना, व्रत उपवास, पेड़ो की अराधना नारी की ही देन है। जगत जननी नारी का हमेशा सम्मान करें

जगतजननी है तूँ
तेरे वजूद से ये सृष्टि है
प्रेम,दुआएं पाते हैं तुझसे
जिसकी उत्तम दृष्टि है

श्री मदभागवत कथा के इन सात दिनों में हम उत्तम दृष्टि, सद्बुद्धि के लिए प्रेरणा लेंगे। इसी बीच कथा व्यास परम श्रद्धेय संत श्री कृपा राम जी महाराज कथा प्रांगण में पधार चुके हैं। आध्यात्मिक अनुभूतियों से भरपूर इनके शक्तिवान आभामंडल से प्रांगण में नई ऊर्जा आई है।

महक उठा ये घर आंगन
जब से आप पधारे हैं
ऐसा एहसास होता है
जन्मों से आप हमारे हैं

सच यही होता है की संत हमेशा अपने लगते हैं। हमारे गोशाला समिति के प्रधान एवम माननीय सदस्य महाराज जी का पुष्पाभिनंदन करेंगे। देवभूमि राजस्थान की सत्कार संस्कृति को निभाते हुए इनको पगड़ी माल्यार्पण साफा भेंट
करेंगे। परम पूज्य संत श्री का पुनः पुनः हमारे ग्राम परिवार की और से अभिवादन करते हैं जैसे ही परम श्रद्धेय संत श्री कृपा राम जी महाराज व्यास पीठ पर विराजमान होते हैं हम जोरदार जयकारे से वातावरण को गूंजायमान करेंगे इसी के साथ गांव की आन बान शान हमारे भामाशाहों को मंच पर आमंत्रित करूंगा कि वो आएं और महाराज जी के साथ आए वाद्य वादकों, गायक कलाकारों एवम ब्राह्मण देवताओं को तिलक एवम साफा पहनाकर स्वागत करें।

चंदन की खुशबू चौखट पर बिछाते हैं
पवित्र भाव से खुशी के दीप जलाते हैं
मेरे अतिथि आए हैं आज भगवान बनकर
हमारे भगवान को हृदय से तिलक लगाते हैं

सबसे पहले आरती होगी। कथा के प्रथम दिन हमारे यजमान हैं श्री नोपा राम जी

सर्व वेदांत का सार है
श्रीमद्भागवत जीवन का आधार है
इस रसामृत से जो तृप्त हो गया
वह जीव भवसागर से पार है


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