Ravidas Jayanti speech.Speech in Hindi. रविदास जयंती भाषण. संत रविदास जयंती

जर्रे जर्रे में झांकी भगवान की
किसी सूझवान इंसान ने पहचान की

हर युग के पथ प्रदर्शक शिरोमणि संत रविदास जी की जयंती पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

ग्रामवासियों की अगाध श्रद्धा और प्रेम की बदौलत हमारे बीच पहुंचे हमारे मुख्य अतिथि विधान सभा सदस्य माननीय ————– का आभार प्रकट करते हैं।

जिला पार्षद श्री——- और सभी विशिष्ट अतिथियों का समस्त ग्रामवासियों की तरफ से हार्दिक अभिनन्दन।

सन्तों की वाणी का गुणगान करने पधारे भजन गायक और वाद्य कलाकारों की कला को साधुवाद

सन्त रविदास जयंती के इस सत्संग कार्यक्रम की भव्यता के लिए सभी ग्रामवासियों,बच्चों, बुजुर्गों,नारी शक्ति,युवाओं और हर घर के आंगन की महक इन बेटियों को बधाई देता हूँ

सन्त रविदास जी ने व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त किया था।जूते बनाने के अपने काम को भी पूरी लगन और परिश्रम से करते थे।

समय के पाबंद और मधुर व्यवहार से लोग उनसे अपार स्नेह रखते थे।

आज हम उनके इस पावन दिवस पर ऐसे ही संकल्प लें।समय का पालन करें।

अपने काम से प्यार करें। बेशक काम छोटा हो बड़ा।

ज्ञान की बड़ी बड़ी बातों का बखान करने की बजाय व्यवहारिक बने।

संत रविदास जी के जीवन से प्रेरित होकर परोपकार यानी दूसरों के लिए भी जीना सीखें।

धर्म जाति के भेद से ऊपर उठकर समाज के लिए प्रेरणा बनें।

अभिमान और बड़प्पन त्याग कर विनम्रता के भाव से आचरण करें।ताकि समाज में आपसी सद्भाव, प्रेम और बन्धुता बढ़े।

किसी भी युगनिर्माता, महापुरुष की जयंती मनाना तभी सार्थक होगा जब हम उनके दिए वचनों पर चलेंगे।

छीन कर खाने वाले का कभी नहीं भरता
बांट कर खाने वाला कभी भुखा नहीं रहता

ऐसे ही कर्म करते हुए हम संसार की सेवा करें।

इस पावन पुनित अवसर पर ये भी कहूंगा कि बहन बेटियों के प्रति पवित्रता का भाव रखें।

जगतजननी नारी और बेटियों का सम्मान करें।
एक नारी की एक बेटी की दुआ जिंदगी सँवार देती है।

अपार हर्ष का विषय है कि हमारे गांव में आज यह पावन पर्व मनाया जा रहा है।

भारतीय संस्कृति और सभ्यता की पहचान हमारे गांवों की पृष्ठभूमि है।यहीं से देश की स्वच्छ संस्कृति की झलक मिलती है।

गांव में अपनापन मिलता है।सद्भाव और आपसी रिश्तों में संजीवता होती है।

गांव की मिट्टी से मेरा जन्म का रिश्ता रहा है। ख़ुद का सौभाग्य समझता हूँ कि एक गांव का रहने वाला हूँ

रविदास जी के प्रेरित वचनों से मैं भी आपकी सेवा में हमेशा तैयार हूँ।
मेरा भी जीवन का एक लक्ष्य है कि मैं भी जनधर्म के कोई काम करूँ।

इसके लिए मैं प्रतिबद्ध हूँ और ऐसे ही गांव के सांझे सम्मेलनों में शामिल होने का अवसर मिलता रहा तो मैं इसे अपना गौरव समझूँगा।

जो बात दवा से ना हो सके
वो बात दुआ से होती है
क़ामिल मुर्शिद अगर मिल जाए
तो बात खुदा से होती है

इन्हीं शब्दों के साथ आपका आभार

सन्त रविदास महाराज की जय

सन्तों की धरती भारतभूमि की जय

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