Best Gandhi jayanti Speech | Gandhi jayanti par Bhashan | गांधी जयंती शायरी

भावी मंच उद्घोषकों एक प्रेरकों को Gandhi Jayanti के अवसर पर सादर नमस्कार।
आशा है आपको Swami Ji यू ट्यूब चैनल और healerbaba.com Website से भरपूर मदद मिल रही है।
एक बात मैं आपको बार-बार कहता हूं कि आपका अभ्यास सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
आपको कोई आइडिया तो 1 मिनट में मिल जायेगा, समझ भी आ जायेगा।
मगर इस एक मिनट के आइडिया पर ज्यादा से अभ्यास करेगें तभी आपका एक महान वक्ता बनने का लक्ष्य पूरा होगा।

हर भाषण को पढ़े। किसी विशेष जयंती या विशेष दिवस के संदर्भ में गूगल,u Tube या किसी पुस्तक से जानकारी पढ़े। जिससे आप एक प्रभावशाली भाषण दे पाएं।

ये आर्टिकल गांधी जयंती पर है। गांधी जी एक दिव्य पुरुष थे। जिनका त्याग और आत्मबलिदान युगों युगों याद रहेगा।

Gandhi jayanti पर ये कुछ शायरी और भाषण है
आप पूरी तैयारी से भाषण बोलें

Gandhi jayanti Speech | Gandhi jayanti par Bhashan | Gandhi jayanti shayri | गांधी जयंती शायरी

नि:शस्त्र होकर भी विजय थे
जुल्म के आगे निर्भयी थे
ताउम्र सच्चाई पर कायम रहे
वो संत ऐसे सत्याग्रही थे

बंदगी भरा समर्पण करें
याद उनको हर क्षण करें
राष्ट्रपिता बापू के जन्मदिवस पर
हृदय से श्रद्धा सुमन अर्पण करें

जीवो पर दया करने वाले
होते हैं मानवता के रखवाले
सत्य के लिए अटूट निष्ठा थी जिनकी
कहां होंगे ऐसे बापू से मतवाले

गांधी जयंती पर भाषण | mahatma gandhi | महात्मा गांधी जयंती भाषण | गांधी जयंती | Gandhi jayanti Speech

ज़ख़्म तो आएँगे पर मरहम नहीं आने वाला
सादगी के लिए कोई परचम नहीं आने वाला ।
आगे आने वाली कई सदियों को तरसना होगा
राष्ट्रपिता बापू जैसा युग प्रवर्तक नहीं आने वाला

सबसे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जयंती की आपको शुभकामनाएं।

इस अवसर पर उपस्थित माननीय मुख्य अतिथि श्री …. और उपस्थित सभी सज्जनों का स्वागत करता हुं।

आज उस युगपुरुष की जयंती है जिसने मानवता के लिए ख़ुद को समर्पित कर दिया।
गांधी जी ने जब दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार को देखा तो उनका मन पीड़ा से भर गया। जिसके बाद गांधी जी ने मानव मात्र के कल्याण के लिए अपनी वकालत, पद, व्यवसाय को त्याग दिया और भारतीयों के सम्मान के साथ साथ भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में कूद पड़े।

ऐसा तभी होता जब किसी पुरुष में एक महान चेतना छुपी हो। जिसमें उद्धारक की भावना हो।
ऐसी भावनाओं और मानव धर्म को समर्पित गांधी जी ने सत्य और अहिंसा को अपने जीवन का शस्त्र बनाया।

जिन्होंने कहा था की अहिंसा बलवान का हथियार है। किसी से डरकर शस्त्र न उठाना अहिंसा नहीं है। एक निर्बल और भीरू अहिंसा और सत्य की दिव्यता को नहीं जान सकता ।

झुक जाते हैं जो आपके लिए किसी हद तक
भाव भरे हृदय उनके अपार होते हैं
किसी की सरलता को कमजोरी मत समझना
असल में सरल स्वभाव उसके संस्कार होते हैं

गांधी जी ऐसे ही सरल व्यक्तित्व के धनी थे।
जिन्होंने दुनियां को निष्ठावान हो कर स्वालंबन का रास्ता दिखाया।

भारतभूमि के लिए ये सौभाग्य की बात है कि 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन को विश्व अहिंसा दिवस रूप में स्वीकार किया गया। आज पूरे विश्व में अहिंसा दिवस मनाया जा रहा है।

आज का दिन संकल्प का दिन है।हमें आज मानव धर्म के लिए संकल्प लेने की जरूरत है। सर्व हिताय सर्व सुखाय की भावना पैदा करके गांधी जी के सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलना ही उनके जन्मदिन पर सच्चा सम्मान होगा।

दिल में दया आंखों में करुणा होठों पर मुस्कान
मुश्किल है मिल पाना जग में आप जैसा इंसान

मन में इन्सानियत का बीज बोएं। जीवों पर दया करें। मन, वाणी और कर्म से हमेशा अहिंसक रहें ताकि राम राज्य हो। गांधी जी ने सत्य और अहिंसा को परम धर्म मानते हुए भारतवर्ष में रामराज्य की कल्पना की थी।

अगर हम आज पवित्र संकल्प लेते हैं तो गांधी जी के सपनों के समाज का निर्माण होगा।

गांधी जयंती एवं विश्व अहिंसा दिवस के शुभ अवसर पर यही कहूंगा कि हम सभी आत्म प्रेरित होकर अपने भीतर करूणा का भाव भरें।

इन्हीं शब्दों के साथ मैं आशा करता हुं कि युगनिर्माता, मानव उद्धारक, समदर्शी और सर्वप्रिय राष्ट्र पिता महात्मा गांधी का पथ प्रदर्शन करेंगे।

गांधी जी के पवित्र भावों को इंगित करती दो पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूं।

छोटी सी झलक विश्वास का बीज बो जाती है
पलभर में हृदय को प्रेम के सूत्र में पिरो जाती है
श्रद्धा इंसान के हृदय की आंख होती है
श्रद्धा के जन्म से जीवन में क्रांति हो जाती है

धन्यवाद

gandhi

गांधी जयंती समारोह | गांधी जयंती पर भाषण | Gandhi jayanti Hindi speech | Gandhi jayanti speech for School

आकाश का चमकता सितारा था
जो अंधेरों से कई बार हारा था
सत्य अहिंसा था जिसका मज़हब
वो बापू बेसहारों का सहारा था

सबसे पहले आपको गांधी जयंती एवं विश्व अहिंसा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

सुबह की सभा में उपस्थित सभी शिक्षकों एवम विद्यार्थियों का स्वागत करता हुं।


आज पूरे भारतवर्ष में गांधी जी को याद किया जा रहा है। गांधी जी, जिन्होंने सत्य अहिंसा के परम धर्म का पालन करते हुए मानवता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।

उनकी हृदय में सत्य और अहिंसा के भाव थे। हम सभी गांधी जी के सिद्धांतों से काफी परिचित है और उनकी कोई कहानी, विचार अपनी पढाई के दौरान पढ़ते हैं।

आज आधुनिक भारत के परिवेश को देखा जाए तो हमें गांधी जी की जरूरत है। आज हम शैक्षणिक, तकनीकी, वैज्ञानिक, आर्थिक रूप से विकास के शिखर छू रहे हैं।

हमारे लिए ये गौरव की बात है।
मगर इस गौरव के भाव के साथ हमने बुराइयां भी पाल ली है।

बताएं जो देश की जर्जर हालत
तो पत्थर भी आंसू बहाने लगेंगे
इंसानियत जो खो गई है किसी भीड़ में
उसे ढूंढने में जमाने लगेंगे

आज पढ़े लिखे लोगों में भी गला काट प्रतियोगिता चल रही है। एक दुसरे से आगे निकलने की होड़ में मानवता तार तार हो रही है। बातों में तो हम बोलते हैं कि शिक्षा दिव्य दृष्टि देती है। शिक्षा मनुष्य का तीसरा नेत्र है।

मगर असलियत कुछ और है। पढ़े लिखे लोग उच्च श्रेणी में उत्तीर्ण होकर बड़े पदों पर बैठकर रिश्वतखोर बन जाते हैं।
सरकारी पदों पर या अन्य किसी सत्ता पर काबिज लोग इतने निर्दयी हो गए हैं कि किसी गरीब, निर्धन को भी लूटने में कसर नहीं छोड़ते।

गांधी जी का सत्य ये नहीं की हम सत्य की बात करें या सत्य ही बोलें। निष्ठायुक्त स्वावलंबन भी सत्य है। अपने स्वार्थ के लिए झूठ फरेब करना असत्य है।

किसको क्या मिले इसका कोई हिसाब नहीं
तेरे पास रूह नहीं मेरे पास लिबास नहीं

दिन प्रतिदिन इन्सान का जमीर दम तोड़ रहा है।

पढ़े लिखे पद प्रतिष्ठित लोगों में द्वेष, ईर्ष्या, आडम्बर अहंकार भरा हुआ है।
जिसके परिणामस्वरूप पैसा और सुख सुविधाएं तो प्राप्त हो रहीं हैं मगर मन में सकून नहीं है।
अच्छे अच्छे समृद्ध परिवारों में क्लेश और लोग मानसिक बिमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं।

अहिंसा और सत्य के गुणों के पालन से व्यक्ति में समरूपता, सहयोगी, मैत्री, करुणा, विनम्रता आदि के सद्गुण होते हैं।

आज हमें मन वाणी कर्म से गांधी को अपनाना होगा। पढाई के साथ मानवीय गुणों को धारण करें
लोगों की गला काट प्रतियोगिता से बाहर होकर खुद के साथ होड़ करें।

दया, करूणा का भाव जगाएं।

गांधी जी के अनुसार शिक्षा का कार्य
बालक की शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियों का विकास करके उसके व्यक्तित्व का सामंजस्य पूर्ण विकास करना है।

पूर्ण समर्पण के बिना दीक्षा नहीं होती
विनम्रता के अभाव में भिक्षा नहीं होती
शिक्षा वह जो जीवन और चरित्र का गठन करें
तथ्यों का संकलन करने से शिक्षा नहीं होती

विवेकानंद जी ने भी कहा है जीवन और चरित्र का निर्माण करने का नाम शिक्षा है।

मैंने जो बातें कहीं,ये कड़वी जरूर है मगर सत्य हैं। गांधी जी का पथ प्रदर्शन करते हुए हमें अपनी इन निर्बलताओं को स्वीकार करके मानसिक रूप से सशक्त होने की जरुरत है।

इन्हीं शब्दों के साथ मैं आशा करता हुं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म दिवस के पावन अवसर पर हम सभी निष्ठावान बनने का संकल्प लेंगे।
अपनी योग्यता से परिचित होकर स्वयं से प्रतियोगिता करें।
अपने हृदय के दूषित विचारों को सत्य, अहिंसा के भाव से दूर करेंगे।

वक्तव्य के समापन पर दो पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूं।

जीवन और चरित्र का गठन करते है
आओ ऐसी शिक्षा के लिए यत्न करते हैं

वसुधैव कुटुंबकम्
सर्व हिताय सर्व सुखाय

Gandhi Jayanti Speech Video

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.